जनलोकपाल को हाथी का दांत न बनाये खंडूडी !


खंडूडी जी मात्र जनलोकपाल से नहीं होगा प्रदेश से भ्रष्टाचार दूर/
जनलोकपाल को हाथी का दांत न बनाये  खंडूडी !/
हाथी के दांत खांने के कुछ  व दिखाने के कुछ और ही होते हैं। यह कहावत ंमेरी तरह आपने भी सुनी हंोगी। परन्तु उत्तराखण्ड  में प्रदेश की सत्ता पर आसीन भुवनचंद खंडूडी पर यह कहावत सटीक बैठती है। ंभारतीय आला कमान  की आत्मघाति प्रवृति की  नयी मिशाल देखने को मिली  कि भाजपा आला नेताओं के आंखों के तारे निशंक   के कुशासन -भ्रष्टाचार के गर्त में फंसी भाजपा की नैया को चुनावी भंवर से पार लगाने के लिए खेवनहार भी बनाया गया तो चंद साल पहले जनता द्वारा पूरी तरह से नकारे गये अलोकतांत्रिक प्रवृति के भुवनचंद खंडूडी को ही। हालांकि प्रदेश की जनता को खंडूडी को ईमानदारी व कुशल प्रशासक का तकमा देने की ंभाजपा नेतृत्व व प्रदेश की मीडिया की आत्ममुग्ध प्रवृति ंपर हंसंी ंही आ रही है । क्योकि प्रदेश की जनता खंडूडी द्वारा अपने पहले कार्यकाल में प्रदेश पर सारंगी व निशंक का अनमोल तोफहे का दंश ंझेल चूकी है। ंऐसे में अपनंी  छवि को निखारने के लिए  ंमुख्यमंत्री खंडूडी ं, अण्णा हजारे को मिले व्यापक जनसमर्थ के समुद्र में ‘जनलोकपाल विधेयक का ’गौता लगा कर जनता की नजरों में अपने आप को भ्रष्टाचार के खिलाफ ंलड़ने वाला योद्वा ंसाबित करना चाहते हैं। परन्तु ंख्ंांडूडी जी भूल ंगये कि उत्तराखण्ड की जनता को अण्णा व ंखंडूडी के कथनी ही नहीं करनी में भी भेद करना आता है। ंखंडूडी जी को इस बात का भान होना चाहिए कि ंप्रदेश की जनता कानूनों ंकी किताब बनाने से अधिक उसको मजबूती से लागू  करने मे यकीन करती है। वह जानती  है कि एक तरफ खंडूडी  ंउन भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रहे हैं जिनके भ्रष्टाचार पर वे कई सालों से व चंद महिने पहले ंयत्र तत्र घडियाली आंसू बहा रहे थे।  खंडूडी के इन्ही हाथी के दांतों को देख कर प्रदेश की जनता ने उनके कुशासन से प्रदेश से मुक्ति दिलाने के लिए व खंडूडी मोह में धृतराष्ट्र बने ंभाजपा आलाकमान को लोकशाही का सबक सिखाने के लिए जनता ंने लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश से भाजपा का पूरी तरह से सफाया किया था। जनता का करारी  ठोकर से तिलमिलाये भाजपा आला नेतृत्व ने भारी मन से खंडूडी को मुख्यमंत्री के पद से हटाया परन्तु खंडूडी कंीं हटधर्मिता के आगे दण्डवत करते हुए ईमानदार, साफछवि व वरिष्ठ अनुभवी भगतसिंह कोश्यारी,   डा केदारसिंह फोनिया,  मोहनसिंह ग्रामवासी जैसे दिग्गज भाजपा नेतााओं ंको दरकिनारे करके ,चंद महिनों पहले तक जिस निशंक को  फूटी  आंख से भी देखना जो खंडूडी जी पसंद नहीं करते थे उस निशंक को खंडूडी जी ने प्रदेश का भाग्य विधाता बनावंां ंकर ंप्रदेश की जनता को हस्तप्रद कर दिया। निशंक के कुशासन से जब जनता ही नहीं भाजपा के स्वाभिमानी व साफ छवि के उत्तराखण्डी हितो के लिए समर्पित पूर्व सांसद  ले. जनरल तेजपाल सिंह रावत ंने ंभारी विरोध किया। जब उनके विरोध को भ्रष्टाचारी चासनी ंकी तान के मोह में ंधृतराष्ट्रं बने भाजपा आला नेताओं ने ंअनसुनी की तो भाजपा में सेना के सबसे वरिष्ठ  अधिकारी ले. जनरल तेजपालसिंह रावत ने ‘उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा’ के बेनर तले उत्तराखण्ड में लाखों की संख्या में रहने वाले पूर्व सैनिकों, उत्तराखण्ड के महान जनगायक नरेन्द्रसिंह नेगी व ंवरिष्ठ ंसेवा निवृत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सुरेन्द्रसिंह पांगती सहित तमाम उत्तराखण्ड के हितों की भाजपा-कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों की भ्रष्टाचारीं कुशासन ंसे रक्षा के लिए समर्पित ंलोगों का विशाल जनसैलाब सडकों परं उतरा तो भाजपा नेताओं के  पैरों तले जमीन ही खिसक गयी। ंजनरल तेजपाल सिंह रावत के नेतृत्व वाली उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा की हुंकार से  भयभीत भाजपा आला नेतृत्व ने ंआगामी विधानसभा चुनाव में अपनी ंपाटी्र के भविष्य को अंधकार की गर्त में फंसने की आशंका से भयभीत हो कर नेतृत्व  परिवर्तन तो किया परन्तु फिर उसी खंडूडी जी को प्रदेश की सत्ता में काबिज करा ंदिया जिसको चंद महिनों पहले ही जनता ने लोकसभा चुनाव में पूरीं तरह से नकार दिया था।
प्रदेश की  सत्ता में आसीन खंडूडी के एक माह के कार्यकाल को देखने के बाद साफ हो गया कि उन लगे जातिवाद, क्षेत्रवाद, भ्रष्ट ाचारियों व प्रदेश  की जनभावनाओं की उपेक्षा करके अलोकशाहीं प्रवृति से लोकशाही को रौंदने वाले पूर्व कार्यकाल में भी लगे आरोपों की छाया आज भी ज्यों की त्यों उनके साथ लगी  हुई है। केवल नये अवतार में खंडूडी भ्रष्टाचार विरोध में देश व्यापी अण्णा की  लोकप्रियता को भूनाने के लिए प्रदेश में जनलोकपाल सा कानून बनाने का दावा कर रहेे है । परन्तु जनता यह  देख कर भौचंक्की है कि  जिस निशंक व  तिवारी के कार्यकाल को वे निरंतर  कोसते रहे उन दोनों ंपर कोइ्र कार्यवाही करने के बजाय खंडूडी जी तिवारी जी की चरणवंदना करते व निशंक से मंचों पर जुगलवंदी  करते नजर आ रहे  हैं। फिर जो लोग अपने कुशासन से प्रदेश के भविष्य को रौंदने के  िलए मुख्य जिम्मेदार हो उनके प्रति ऐसा अचम्भित करने वाला  नजरिया खंडूडी व उनके प्रशासन का होगा तो जनलोकपाल बनाने या दागदा रों की सरपरस्ती में  जांच आयोग  बनाने के हाथी दांत कैसे प्रदेश से भ्रष्टाचार सेे मुक्त कर पायेंगे। इसके लिए  हुक्मरानों को जनता के ंमानसपटल पर छाये सारंगी व निशंक जैसंी प्रवृति को संरक्षण देने के दंशों  को मिटा कर ईमानदारी से जातिवाद व क्षेत्रवाद से उपर उठ कर भ्रष्टाचार को रौंदने ंकी ईमानदारी से ठोस  पहल की  जरूरत है।  नहीं तो मजबूत से मजबूत कानून, किताबों तक ही में दफन ंहो कर दम तोड़ देगा व पूरे समाज, प्रदेश व देश को भ्रष्टाचारी पहले की तरह ही रौंदते रहेगे। इसके लिए जरूरी  है संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों का व्यक्तिगत जीवन पावसाफ व जनहितों के  लिए समर्पण  न कि दल या निहित स्वार्थपूर्ति के लिए समर्पण। सबसे दुखद  बात यह है कि  खंडूडी अपने दूसरे कार्यकाल में भी निशंक के  शासन में इतनी ठोकरें खाने के बाबजूद खुद पर लगे पूर्व कार्यकाल में लगे आरोपों की छाया से खुद को ंदूर नहीं कर पाये व नहीं व नहीं वे एक भी  ऐसे व्यक्ति को अपने साथ अपनी टीम में रख पाये जिसे संगठन व जन भावनाओं का सम्मान तक करना आता हो। उनकी  टीम में वही अलोेकशाही प्रवृति के लोग आज भी जुडे हुए है जो न तो आम जनता  का सम्मान करना जानते व नहीं पार्टी कार्यकत्र्ताओं का। ंखंडूडी ने अपने पहले कार्यकाल में प्रदेश के हितो ं पर जनसंख्या पर ंआधारित विधानसभाई क्षेत्र परिसीमन, गैरसैंण ंराजधानी बनाने, मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को दण्डित करने, प्रदेश के संसाधनों की रक्षा करने  व जनभावनाओं के अनरूप ंप्रदेश में जातिवाद-क्षेत्रवाद व भ्रष्टाचार मुक्त विकासोनुमुख राज्य बनाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ं ंशर्मनाक मूक रख कर प्रदेश ंके भविष्य के साथ पूर्व मुख्ंयमंत्री  तिवारी की भांति ही शर्मनाक खिलवाड ़ किया। इसका खमियाजा प्रदेश को दसकों तक चूकाना पडेगा। ंआज जरूरत है कानून बनाने से अधिक  उसको ईमानदारी से लागू करने की। ंजिसे प्रदेश की जनता ंदेखने के लिए राज्य गठन के बाद से निरंतर तरसती आ रही है । ंशर्मनाक बात यह है कि अभी तक किसी भी  राजनैतिक  दल की सरकार ने इस दिशा में कोई एक कदम भी उठाना मुनासिब नहीं समझा। ंखंडूडी जी ंदीवारों पर लिखी इस बात को पढ़ने में जितनी जल्द  ही सफल होंगे उससे उनके साथ प्रदेश ंका भी भला होगा। उनको इस बात का भी भान होना  चाहिए कि उत्तराखण्ड के  लोग सहृदय व ईमानदार  हैं वे ंप्रदेश के हितों को रौदने वाले नौछमियों व कलंकों ंको ंप्रदेश की सत्ता से दूर करने का माद्दा रखते है। ंहर दुशासन को उखाड़ फेंक ने का अदम्य साहस रखते है। हर कालनेमियों को सबक सिखाने के लिए हर पल तेयार रहते हैं। ईश्वर ने उनकोे फिर अपनी  भूल सुधारने का दुर्लभ अवसर दिया, ंअगर  इसको भी वे हाथी ंके दांत दिखाने, ंनंौछमियों व कलोंको को सरंक्षण देते  रहे, ंजातिवादी, क्षेत्रवादी छाया से अपने आप को शीघ्र मुक्त नहीं किया तो आगामी विधानसभा चुनाव में भी जनता  लोकसभा की तरह प्रदेश  से भाजपा का पूरी तरह सुपडा ही साफ कर देगी। शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।

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