एनजीओे व मीडिया क ो सम्मलित करने वाला अण्णा से मजबूत लोकपाल बाये सरकार


एनजीओे व मीडिया  क ो सम्मलित करने वाला अण्णा से मजबूत लोकपाल बाये सरकार
नई दिल्ली (ंप्याउ)। भ्रश्टाचार पर अंकुल लाने के लिए सरकार जिस लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने की  हवा  फेला रही है अगर  उसमें  जरा सी  भी सच्चाई  व ईमानदारी है तो  सरकार को आगामी  सत्र में इसको संवेधानिक  दर्जा  देते हुए पारित  करना चाहिए। इसके साथ अण्णा द्वारा सुझाये गये जनलोेकपाल से अधिक  सषक्त लोकपाल बनाना चाहिए, जिसमें देष में भ्रश्टाचार का  प्रतीक बने एनजीओ व मीडिया जिन पर ंअण्णा भी मुंह  खोलने का साहस तक नहीं जुटा पा रहे  है , उनको  भी इसके  दायरे में लाना चाहिए। हालांकि सरकारी तंत्र में काबिज एजीओ की  मजबूत लोबी  इसका पुरजोर विरोध कर रही है । इसी कारण सरकारी लोकपाल  में भी एनजीओ व मीडिया को ंअण्णा के आधे अधूरे जनलोकपाल की तरह  बाहर ही रखा गया है । सुत्रों के  अनुसार सरकार संसद की एक स्थायी समिति इस संबंध में एक मसौदा विधेयक पर विचार कर रही है, जिसमें एक प्रावधान के तहत राज्यों का अनुमोदन जरूरी नहीं होगा। संवैधानिक संशोधन विधेयक का मसौदा भारत के दो प्रधान न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे एस वर्मा और न्यायमूर्ति एम एन वेंकटचलैया ने तैयार किया है, जिसमें निर्वाचन आयोग की तर्ज पर प्रस्तावित प्रावधान हैं। संविधान (116वां) संशोधन विधेयक का प्रारूप विधि एवं न्याय तथा कार्मिक विभाग की स्थायी संसदीय समिति को पिछले सप्ताह दोनों पूर्व प्रधान न्यायाधीशों ने सौंपा। मसौदे के प्रावधान चुनाव आयोग की तर्ज पर तैयार किए गए हैं। सरकार इसको जल्द ही  आगामी  सत्र में संसद में पारित  कर अण्णा के अपंग जनलोकपाल से मजबूत लोकपाल बनाकर भ्रश्टाचार पर  अंकुष  लगाये।  

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