-आडवाणी को प्रधानमत्री बनाने के लिए संघ ने चलाया मोदी का नाम

-आडवाणी को प्रधानमत्री बनाने के लिए संघ ने चलाया मोदी का नाम/ -निशंक बने संघ व भाजपा के सुशासन के मुखोटे/
नरेन्द्र मोदी को ढाल बना कर लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाने की रणनीति पर कार्य कर रहा है संघ या आडवाणी को जिन्ना भक्ति का दण्ड देने के लिए नरेन्द्र मोदी को आगे कर रहा है संघ। हालांकि राजनीति के मर्मज्ञों को संघ द्वारा नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने में सहमति देने पर भी विश्वास नहीं हो रहा है। क्योंकि संघ व भाजपा में नीति निर्धारण में जिन लोगों का शिकंजा जकड़ा हुआ है उसे देख कर नितिश के कंधे में बंदुक रख कर गुजरात में नरेन्द्र मोदी का विरोध क्या भाजपा व संघ कीं ंजातिवादी मानसिकता का एक दाव के रूप में भी देखा जा रहा है। लोगों को इस बात की आशंका के है कि सघ -भाजपा नेतृत्व मोदी के नाम पर वोट ले कर बाद में आडवाणी या अपने किसी और प्यादे को प्रधानमंत्री के पद पर आसीन कराने का तो षडयंत्र तो नहीं रच रहे है। क्योंकि नितिश कुमार द्वारा बिहार से आडवाणी के भ्रष्टाचार विरोधी रथ यात्रा को झण्डी दिखाने को इसी षडयंत्र का एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। मोदी के नाम को प्रधानमंत्री के प्रत्याशी के लिए संघ द्वारा ऐलान किये जाने से जहां आडवाणी व उनके समर्थकों के मंसबों पर एक प्रकार से बज्रपात ही हो गया था, आडवाणी व उनके समर्थक इसे अपना अपमान मान कर चुपचाप अपमान के घुंट को पीने के बजाय उन्होंने आडवाणी को भ्रष्टाचार के खिलाफ रथ यात्रा निकाल कर प्रधानमंत्री के लिए अपना दावा मजबूत करने का शंखनाद ही कर दिया। इस मामले में संघ व भाजपा की राजनीति के विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघ की सोची समझी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। क्योंकि वे सीधे तोर पर आडवाणी को प्रधानमंत्री का दावेदार बना कर मोदी के पक्ष में पूरे देश में बह रही समर्थन की एक मजबूत लहर को खोना नहीं चाहती। इसी लिए वह इन मतों को हासिल करने के लिए चुनाव में मोदी का नाम लेगी परन्तु विवाद उत्पन्न करके मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के बजाय आडवाणी की ताजपोशी भी की जा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि संघ अपनी रणनीति को समय आने से पहले कभी खुलाशा नहीं करता। खासकर रामजन्म भूमि आंदोलन के बाद देश में वर्तमान राजनीति को देखते हुए हो सकता है यह संघ को छुपा हुआ ऐजेन्डा हो। वहीं दूसरी तरफ भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश में भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा निकालने से पहले राष्ट्रीय कार्यकारणी के समापन पर भाजपा ने निशंक को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया। उससे भाजपा का भ्रष्टाचार विरोधी मुखोटा पूरी तरह से बेनकाब हो गया। हालांकि चंद दिन पहले भ्रष्टाचार के मामले में चर्चित रहे उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पद से हटाये गये रमेश पोखरियाल निशंक को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का ऐलान कर अपने सुशासन का असली चेहरा देश के समक्ष रखने से भाजपा से सुशासन की आश करने वालों को गहरा धक्का लगा । वहीं उनके विरोधी अब कह रहे है कि आडवाणी के रथ की सारथी सुषमा होगी तथा आडवाणी के आजू बाजू में भाजपा के सुशासन के नये प्रतीक निशंक व यदिरुप्पा उनके प्रमुख सेनानी की तरह आसीन हो कर पूरे देश में भ्रष्टाचार का ऐसा नैतिक पाठ पढ़ायेंग। हो सकता है कि इसे देख कर संघ के स्वयं सेवकों के दिव्य चक्षु भी खुल जायेगे। यह तय है कि देश की जनता के साथ साथ उत्त्ंाराखण्ड की जनता भाजपा नेतृत्व के इस अदभूत फेसले के लिए आगामी चुनावों में लोकसभा के चुनाव की तरह उचित ईनाम देगी।

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