-राम का नहीं रावणों का सम्मान होता है यहां

-राम का नाम बदनाम न करो/ -राम का नहीं रावणों का सम्मान होता है यहां/
दशहरे के पावन पर्व पर विजय दशमी के रोज भले की रामलीलाओं के मंचों में भगवान राम द्वारा रावण का वध करने के साथ लाखों की संख्या में रावण सहित उसके समुल वंश के पुतलों का दहन ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’ के नाम पर ंकिया जाता हो। परन्तु सच्चाई यह है कि भगवान राम को उनके देश भारत में ही नहीं अपितु उनकी पावन जन्म भूमि ंअयोध्या में भी एक प्रकार से बनवास दिया गया हैं वहीं यहां आसुरी शक्तियों के प्रतीक रावण का सम्राज्य चारों तरफ विद्यमान है। यही नहीं भगवान राम के नाम पर आयोजित की जाने वाली रामलीलाओं के पावनमंच में भी भगवान राम की तरह मानवीय व सनातनी मूल्यों के लिए समर्पित लोगों के बजाय जनहितों व सनातनी परमपरा को रौदने वाले मनमोहन सिंह जैसे राजनेताओं तथा धन ंपशुओं को सम्मानित किया जाता है। राम के नाम पर हो रही रामलीलाओं ंके अधिकांश आयोजक स्वयं नैतिक मूल्यों व आदर्शों से कोसो दूर होते है। इसी कारण भगवान राम की पावन लीलाओं के मंचन वाले पावन मंच पर नैतिक मूल्यों के पुरोधाओं के बजाय रावण की तरह आम जनता व मर्यादाओं को रौंदने वालों को ंबेशर्मी से सम्मानित किया जाता है। जिन राक्षसी प्रवृति के लोगों के विनास व संताप दूर करने के लिए भगवान ने स्वयं समय समय पर मानव देह का धारण किया, उन्हीं राक्षसी प्रवृति के जनहितों पर डाका डालने वाले लोगों को उनकी पावन लीलाओं के मंचन मंच पर गौरनावित किया जाता है। इससे बड़ा ं भगवान राम व भारतीय संस्कृति का दूसरा क्या हो सकता है। Li

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