अमेरिका के नेतृत्व में लीबिया में हो रहे कत्लेआम पर नपुंसक क्यों बना है विश्व

अमेरिका के नेतृत्व में लीबिया में हो रहे कत्लेआम पर नपुंसक क्यों बना है विश्व
नई दिल्ली(प्याउ)। कई महिनों से लीबिया पर अमेरिका के नेतृत्व में नाटो द्वारा लीबिया में लोकशाही की रक्षा के नाम पर किये जा रहे कत्लेआमी हमले के विरोध में जिस प्रकार से संयुक्त राष्ट्र सहित पूरा विश्व हुक्मरान ने शर्मनाक चुप्पी साध रखी है, उससे साफ हो गया है कि पूरे विश्व में रूस, चीन व भारत जेसे तथाकथित ताकतवर देश भी अमेरिका की इस विश्व की अमन शांति को ग्रहण लगाने वाली हिटलरी प्रवृति के आगे नपुंसक की तरह आत्मसम्र्पण कर चूके है। लोकशाही की दुहाई दे कर लीबिया में हमला करने वाले अमेरिका व उसके पिछलग्गू नाटो का मुखोटा उस समय बेनकाब हो जाता है वे जब फिलिस्तीन की आजादी व प्रभुसत्ता को रौंद रहे इस्राइल के कृत्य पर न केवल मूक हैं अपितु उसकी हैवानियत को लगातार संरक्षण दे रहे है। अमेरिका व उनके प्यादे नाटो की लोकशाही व आतंकवाद के उनमुलन के प्रति दावे उस समय बेनकाब हो जाते हैं जब वह विश्व को आतंक से तबाह करने वाले आतंकियों के उत्पादन का विश्व का सबसे बड़ा कारखाना बन चूके पाक पर शर्मनाक मौन साधे हुए है तथा सीरिया व सउदी अरब में लोेकशाही दम तोड़ रही है परन्तु क्या मजाल कि अफगानिस्तान, इराक व लीबिया में कत्लेआम मचाने वाले अमेरिका व उसके नाटो को ये देश कहीं दिखाई तक देते होे। संयुक्त राष्ट्र व विश्व जनमत को अमेरिका की इस दोरही प्रवृति का मूक समर्थन करने के लिए इतिहास बार बार धिक्कारेगा तथा गुनाहगारों को परमेश्वर अवश्य दण्डित करेगा। अमेरिका व उसके प्यादा ें की यह प्रवृति विश्व शांति व लोकशाही के लिए एक कलंक ही नहीं खतरा भी बन चूका हैै।

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