महारानी की गुलामी की पालकी को कब तक ढोते रहेगे भारतीय हुक्मरान


महारानी की गुलामी की पालकी को कब तक ढोते रहेगे भारतीय हुक्मरान/
-अंग्रेजों के गुलाम देशों का सम्मेलन सम्पन्न/
भले ही विश्व में आज लोकशाही  का डंका बज रहा हो। परन्तु इसके बाबजूद संसार के 54 देंश ऐसे भी  है जो गुलामी की पहचान को बहुत ही सम्मान से वीरता के तकमे की तरह सीने पर  लगाये  घुम रहे हैं। हम यहां पर बात कर रहे है ं  ब्रिटिश के गुलाम रहे विश्व के 54 देशों के  संगठन ‘राष्ट्रमण्डल यानी कोमनवेल्थ  की। इसका 21 वां शिखर सम्मेलन इसी सप्ताह आस्ट्रेलिया में सम्पन्न हुआ। संसार का सबसे ंबड़ा लोकतंत्र कहलाने वाला भारत इस संगठन का प्रमुख सदस्य है। परन्तु स्वाभिमानी अमेरिका ने गुलामी के  इस बदनुमा कलंक के  प्रतीक कोमनवेल्थ संगठन की सदस्यता लेने से ठुकरा दिया। हालांकि अमेरिका भी एक प्रकार से ब्रिट्रेन का आधिपत्य में रहा। हजारों राष्ट्रं भक्तों की शहादत के बाद हासिल ंआजादी के बाबजूद भारत जैसे सबसे समृद्व व प्राचीन संस्कृति के ध्वजवाहक देश द्वारा गुलामी के प्रतीक वाले इस राष्ट्रमण्डल की सदस्यता ग्रहण करने में यहां के हुक्मरानों को तनिक सी भी शर्म नहीं आयी। शासन चाहे महात्मा गांधी के नाम की दुहाई देने वाली कांग्रेस का रहा हो या राष्ट्रवाद का परचम फहराने का दंभ भरने वाले संघ पोषित भाजपा का राज रहा हो परन्तु किसी को भी इस कलंक के प्रतीक संगठन की सदस्यता छोड़ने का नैतिक साहस तक नहीं रहा। वर्तमान पर्थ में सम्पन्न इस सम्मेलन में मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए जाने की मांग के बीच महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की सरपरस्ती में राष्ट्रमंडल देशों के राष्ट्र प्रमुखों की 21 वीं बैठक (चोगम) की  इस सप्ताह सम्पन्न हुआ। अंग्रेजों के गुलाम रहे 54देशों के इस सम्मेलन में वैंक वित्तीय संकट, खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और व्यापार से उत्पन्न हुई चुनौतियों से निपटने पर चर्चा की गयी। जहां चोगम की निवर्तमान अध्यक्ष और त्रिनिदाद और टोबेगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिस्सेसर ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की उपस्थिति में अध्यक्षता की जिम्मेदारी आस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड को सौंपी।   इस शिखर बैठक में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अपने भाषण में राष्ट्रमंडल की अध्यक्ष ब्रिटेन की महारानी ने सभी उपस्थित नेताओं से समूह को भविष्य के लिए उपयुक्त और नवीन बनाने का आह्वान किया। इस संगठन की महता का यशोगान करते हुए महारानी ने कहा कि ‘इस बैठक के परिणामों का वैिक स्तर पर प्रभाव पड़ेगा’ और वे ‘सकारात्मक और स्थायी’ होंगे। आस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड, राष्ट्रमंडल महासचिव कमलेश शर्मा और कमला प्रसाद ने भी संबोधित किया। अंग्रेजों के गुलाम रहे देशों के सम्मेलन को देखते हुए पर्थ में सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया गया है। सबसे बड़ी हैरानी वाली बात है वंदे मातरम कहने  वाले संघ, भारतीय जनता पार्टी, अण्णा हजारे या भारत स्वाभिमान के बाबा रामदेव को देश पर लगा गुलामी के इस कलंक के खिलाफ पुरजोर आवाज उठाने का साहस तक नहीं रहा।

Comments

  1. neharu ne sadsyata ji thi vahi parivaar ise chhutkaara dilaa sakata hai, bharteey jantaa paarti ka isamen koee role nahin hai ! sonia gaandhee ko patr likh kar is kalank ko mitaane ke liye abhiyaan chalao . isi raashtr mandal khelon ke aayojan men kalmaadee aur sheelaa dikshit ne arabon par haath saaf kiyaa kalmaadee jel men sheela aish kar rahee hai, bhala kaun is kalank ko mitaaega ?

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