आओ रक्षा बंधन हम मनायें,
आओ रक्षा बंधन हम मनायें, राग द्वेष से कलुषित जग को
सहृदय व नेक कर्मो से इस जग उपवन को स्वर्ग बनायें ।।
हम भारत से अमन शांति का ऐसा ऐसा सुन्दर दीप जलाये
हो रोशन सकल जड़ चेतन, खिले फूल दिल में आशाओं के ।।
ऐसे प्रेममय बंधन से हम आओ जग में न्याय के दीप जलायें
मिटे राग-द्वेष, हिंसा-शोषण आओ ऐसे प्रेम बंधन में बंध जायें ।।
रक्षा करें हम सब मिलकर खुद अपने बचनों व जग गौरव की
रक्षा करे हम प्रभु कृपा से मिले इस विलक्षण जग जीवन की।।
रक्षा हो सभी के अधिकार-सम्मान की आओ ऐसा जग बनायें
प्रभु के दिव्य उपवन में मधुर गीत जीवन का हम सब गायें।।
-देवसिंह रावत
(बृहस्पतिवार 2 अगस्त 2012 प्रातः 8 बजे कर 22 मिनट)
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