जनहितों को रौंदने वाले कंस व दुशासनों को हर हाल में स्वयं दण्डित करता है महाकाल 

अण्णा व रामदेव आंदोलनों के हस्र से निराश न हो अपितु इन जनांदोलनों में खुल कर भाग लें जनता

‘अण्णा हजारे व बाबा रामदेव के नेतृत्व मे अलग अलग ढ़ग से ंचल रहे भ्
रष्टाचार के खिलाफ देश व्यापी जनांदोलन को निरंकुश व अलोकतांत्रिक ढंग से देश की सरकार व राजनैतिक दलों द्वारा शर्मनाक उपेक्षा को अपनी जीत मान कर अहंकार में उपहास उडाने वाले देश के हुक्मरानों व उनके प्यादों को एक बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि उनके कुशासन की लंका का हर हाल में ढहेगी और उन सभी दुशासन रूपि कंशों व रावणों को उनके जनविरोधी कुशासन का दण्ड महाकाल स्वरूप भगवान श्री कृष्ण स्वयं देंगे।’ इसके साथ देश की भ्रष्टाचारी मनमोहनी कुशासन व भ्रष्टाचार को बनाये रखने में अपना राजनैतिक धर्म ईमानदारी से नहीं निभाने वाले राजनैतिक दलो सहित पूरी व्यवस्था से त्रस्त देश की जनता को देश में चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ जनांदोलनों के हस्र को देख कर निराश नहीं होना चाहिए। क्योंकि दुनिया की अदालतें भले ही इन गुनाहगारों को कटघरे में खड़ा करने में असहाय रहे परन्तु महाकाल किसी भी शोषक को माफ नहीं करता।’
यह विचार मेरे मन में उस समय बिजली की तरह क्रोंधे जब मैं भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन सांयकाल दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के नेतृत्व में 9 अगस्त चलाये जा रहे जनांदोलन में सम्मलित होने गया था। भले ही बाबा रामदेव व अण्णा हजारे के सारे विचारों व कार्यो से मैं सहमत न होने पर भी देश में व्याप्त कुशासन के खिलाफ उनके नेतृत्व में चलाये जा रहे जनांदोलनों में मैं सदैव भगवान श्री कृष्ण के उस परमादेश को आत्मसात करके भाग लेता हूॅ कि अन्याय के खिलाफ चलने वाले संघर्ष में हर प्राणी को अपना योगदान देना चाहिए। वेसे भी भगवान श्रीकृष्ण का असली भक्त वहीं है जो वर्त, उपवास, जप, तप, पाठ, पूजा में एकांत जीवन अपनी मुक्ति या परमात्मा प्राप्ति के लिए गुजारने के बजाय अन्याय के खिलाफ चल रहे संघर्ष में स्वयं को जोड़ दे। हर पल कुरूक्षेत्र में असत के खिलाफ संघर्ष का सिपाही बने यही भगवान श्रीकृष्ण की सर्वोच्च भक्ति है।
मेरा मानना है कि बाबा रामदेव व अण्णा हजारे या उनकी टीम में लाख बुराईयां क्यों न हो फिर भी वे उन सब बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, नौकरशाहों, समाजसेवियों आदि से लाख गुना अधिक श्रेष्ट हैं जो इस अन्याय को जानते हुए भी अपने निहित स्वार्थो के अंध मोह में इन लोकशाही को रोंदने वाले अन्यायी कुशासकों के जुल्मों का मूक समर्थन करते है।
मैं अण्णा हजारे के दिल्ली में चलाये गये जंतर मंतर से लेकर रामलीला मैदान वाले जनांदोलनों तथा रामदेव के दिल्ली में चलाये गये आंदोलनों में भाग लेने के कारण मै इस बात का साक्षी रहा हॅू कि वर्तमान में अण्णा आंदोलन के आत्मघाती समापन के बाद लोगों में घोर निराशा ही नहीं अपितु एक प्रकार से विश्वासघात सा भी महसूस हो रहा है। इसकी स्पष्ट छाप बाबा रामदेव के 9 अगस्त से रामलीला मैदान में चल रहे जनांदोलन में दिखायी दे रहा है। भले ही यहां पर हजारों की संख्या में देश भर के आंदोलनकारी भाग ले रहे हैं परन्तु जो उत्साह व आम जनता का स्वयं स्र्फुत भागेदारी विगत आंदोलनों में देखने को मिल रहा था वह कहीं दूर तक नहीं देखने को मिल रहा हैं। लोगों को ही नहीं मीडिया को भी ऐसा लग रहा है यह सब सरकार की विजय व आंदोलनकारियों की हार है। मुझे फेसबुक पर मेरे देश विदेश के मित्रो ने इस आशय के बारे में जानना चाहा। वे सभी दुखी थे इन आंदोलनों का हस्र देख कर और सत्तासीन दुशासनों की अठ्ठाहसों को सुन कर।
मैने अपने सभी मित्रों को कहा वे निराश न हों, महाकाल का न्याय का अपना अलग ही विधान है। वह निमित बनाता है इस अन्याय से मुक्ति के लिए। उसके तरकस में न जाने अनादिकाल से गांधी, अण्णा या रामदेव से बढ़कर भी जैसे कितने तीर हैं। अण्णा हजारे की टीम व रामदेव का भ्रम व अहंकार भी महाकाल को दूर करना था और सत्तांध राजनेताओं को भी भ्रम में रखना जरूरी हैं। क्योंकि मां बाप अपने गलत राह पर चल रहे अबोध बच्चे को भी सही राह पर चलने को सिखाने के लिए कई बार स्वयं दण्डित करना पड़ता है। टीम अण्णा जो अपनी कई भूलों से भी सीख नहीं ले रही थी, रामदेव भी संगठन व धनादिमद में कई भूले कर गये। इनको भी राह दिखाने का काम स्वयं परमंपिता करता है।
इसलिए देश की जनता को निराश नहीं होना चाहिए। यह देश कोई टीम अण्णा के उदघोष की तरह आजादी की दूसरी लड़ाई नहीं लड़ रहा है अपितु इस देश में अन्याय के खिलाफ अनादिकाल से निरंतर कुरूक्षेत्र का संघर्ष जारी रहता है। इसलिए टीम अण्णा या किसी तथाकथित बुद्धिजीवियों को यह देश 1857 या 1947 का ही नहीं मानना चाहिए कि आजादी की दूसरी या तीसरी जंग है। बाबा रामदेव, अण्णा हजारे व टीम अण्णा सबने अन्याय के खिलाफ आवाज उठा कर अच्छा कार्य किया परन्तु इस मार्ग में अपनी अज्ञानता के कारण कई ऐसी भूलें कर दी जिसके कारण उनको आज का दिन देखना पडा। परन्तु इसके बाबजूद उनका अन्याय के खिलाफ संघर्ष श्रेष्ठ है। देश की सोई हुई जनता को जो जागृत करने का ऐतिहासिक कार्य बाबा रामदेव व अण्णा हजारे के नेतृत्व में चले आंदोलन ने किया उसके लिए उनको शतः शतः नमन्। केजरीवाल व किरण वेदी जैसे आंदोलनकारियों को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए देश की जनता को दोनों से काफी आशा है। अपनी भूलों को सुधारें और फिर से अपने अहं को छोड़ कर राष्ट्र रक्षा के लिए अण्णा, बाबा रामदेव सहित तमाम आंदोलनकारी ताकतों को एकजूट करके जनांदोलन छेडें। यही अपनी भूलों को सुधारने का प्रायश्चित होगा।
रही बात देश के सत्तांध मनमोहनसिंह की सरकार व विपक्षी भाजपा आदि दलों को। ये कितनी भी कोशिश करलें, देश का खजाना चाहे गरीबों को मोबाइल फोन देने के नाम पर अपने वोटों के खातिर लुटा दें परन्तु महाकाल उनके किसी भी तिकड़म को सफल नहीं होने देगा। जिस प्रकार राव, अटल, मुलायम , माया व तिवारी आदि को दूध में से मक्खी की तरह दूर पटका है उसी प्रकार से वर्तमान कांग्रेस व भाजपा के मठाधीशों को सत्ताच्युत हर हाल में करेगा। संसार की कोई ताकत 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व भाजपा को देश की सत्ता में नहीं आसीन कर सकती। मुलायम सिंह पहले ही अपने कृत्यों से सत्ता से दूर हो गये है। इन दोनों दलों व मुलायम को छोड़ कर तीसरे मोर्चे का कोई प्रधानमंत्री बनेगा। परन्तु जो भी बने उसे इस बात का ऐहसास होना चाहिए कि जो महाकाल इन भाजपा व कांग्रेस जैसे मजबूत दलों को सत्ता से बेदखल कर सकता है वह उस जेसे पतवार को कहां पटकेगा। इसलिए इनको जनहित के कार्य करने चाहिए। एक बात देश की जनता को देश के इन सत्तासीन चंगेजों से भयभीत होने की कोई जरूरत नहीं, ये सब अपने ही कुकृत्यों के समान खुद अपनी कब्र खोद चूके है। इनका पतन निश्चित है। महाकाल को इन दुशासनों को हटाने के लिए किसी आंदोलन करने की जरूरत नहीं पड़ती वह इनकी कब्र तैयार करता है इनकी मतिभ्रमित करके। जैसे कांग्रेसी व भाजपाई नेताओं की उसने वर्तमान में कर दी है, ये देश के हितों पर कुठाराघात करते करते खुद अपने ही पांवों पर भी कुल्हाड़ी भी मार रहे हैं। देश के हित में हमें जाति, धर्म, क्षेत्र, नस्ल, स्व और पर से उपर उठ कर केवल न्यायार्थ कार्य करना चाहिए। इसके साथ जहां भी हो सके अन्याय के खिलाफ सत्त संघर्ष करना चाहिए और कुशासन के खिलाफ संघर्ष में सहभागी रहना चाहिए। शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।
 

Comments

Popular posts from this blog

-देवभूमि की पावनता की रक्षा की फिर भगवान बदरीनाथ ने- निशंक के बाद मनंमोहन को भी जाना होगा

नव प्रभात शुभ प्रभात हो