देशद्रोहियों के  जघन्य कृत्यों पर भी मौन रखना देशद्रोह है

क्यों नपुंसकों की तरह मूक बनी हुए है सरकार, बुद्धिजीवी, पत्रकार व  कथित धर्मनरिपेक्षवादी समाजसेवी

एक तरफ असम में बंगलादेशी घुसपेटिये आतंकियों ने देश में छुपे हुए अपने आस्तीन के सांप संरक्षकों की शह पर असम के बडे भू भाग पर कब्जा करने के बाद भारतीयों का नरसंहार करके देश की एकता अखण्डता को रौंद रहे हैं, दूसरी तरफ उनके कृत्यों को जायज ठहराने के लिए धर्म के नाम पर उनको खुला समर्थन देने के लिए मुम्बई में शनिवार 11 अगस्त को हिंसा का तांडव मचाने का दुशाहस किया गया, उस पर देश की सरकार, मुम्बई की सरकार, मीडिया, बुद्धिजीवी व तथाकथित धर्मनिरपेक्षवादी समाजसेवी क्यों दोषियों के कृत्यों पर नपुंसकों की तरह मूक बने हुए है।
इनकी मूकता के कारण दिल्ली में सुभाष मैदान में न्यायालय के आदेशों की खुले आम अवेहलना करके बनाया जा रहा विवादस्थ ढांचा बनाने का दुशाहस कट्टरपंथियों ने की। परन्तु क्या मजाल की पुलिस, प्रशासन, राजनेता, पत्रकार व धर्मनिरपेक्षता का लबादा ओड़ने वाल समाजसेवियों ने उफ तक की हो।
देश में जनभावनाओं  को रौंदने की इजाजत व देश की संस्कृति, मान्यताओं, आराध्य का अपमान करने की इजाजत किसी को नहीं है। देश की आस्थाओं व संविधान को रौंदने की इजाजत किसी को नहीं है। जिन संस्थाओं पर देश की कानून व्यवस्था व संविधान का  पालन कराने की जिम्मेदारी है वे अगर इनके उलंघन व सरेआम अपमान होने पर शर्मनाक मूक रहेगे तो यह देश के साथ इनका घोर विश्वासघात ही होगा। आज जरूरत है देश की पुलिस प्रशासन बंगलादेश के आतंकी घुसपेटियों, उनके संरक्षकों, मुम्बई में हिंसक तांडव मचाने वाले असामाजिक तत्वों व दिल्ली के सुभाष मैदान में देश के कानून को ठेंगा दिखा कर जबरन शांति भंग करने वालों पर कड़ी कार्यवाही करने की। देश में लोकशाही व मजबूत व्यवस्था को जीवंत रखने के लिए देशद्रोही व आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाना जरूरी है। आज सरकार के शर्मनाक मौन के कारण देश में देशद्रोही ताकतें व उनको शह देने वाले आस्तीन के सांप बने सत्ता के सौंदागरों की शह से देश में देशद्रोही सरेआम देश की एकता व अखण्डता को चुनौती देने की हिम्मत कर रहे है।

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