जनहितों व जनांदोलनों को जानबुझ कर उपेक्षा करने वाली सरकार होती है लोकतंत्र की दुश्मन 




अण्णा व रामदेव के नेतृत्व में चले शांतिपूर्ण आंदोलन की उपेक्षा से व्मनमोहनी सरकार ही नहीं व्यवस्था के खिलाफ लोगों में भड़का असंतोष


जिस शर्मनाक ढ़ग से द
ेश की वर्तमान मनमोहनी सरकार अण्णा व बाबा रामदेव के नेतृत्व में देश को भ्रष्टाचार मुक्त व देश को मजबूत बनाने के लिए लिए चलाये गये राष्ट्रवादी शांतिपूर्ण जनांदोलनों की घोर उपेक्षा कर रही है उससे न केवल लोगों का मनमोहनी कांग्रेस सरकार के खिलाफ आक्रोश भड़क रहा है अपितु देश की वर्तमान व्यवस्था से भी मोह भंग हो रहा है। यह देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सबसे खतरनाक संकेत है। देश की जनता हैरान है कि आखिर देश में व्याप्त भ्रष्टाचार से देश की पूरी व्यवस्था मृतप्राय सी हो गयी है, उस पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कानून लोकपाल के रूप में बनाने की अण्णा हजारे की मांग को स्वीकार करने में सरकार क्यों कतरा रही है? इसके साथ देश के तमाम भ्रष्टाचारियों ने दशकों से जो भ्रष्टाचार की काली कमायी विदेशी बैंकों में जमा की है उसको देश में वापस लाने के लिए चलाये जा रहे बाबा रामदेव के आंदोलन की मांग मानने में सरकार को क्या परेशानी हो रही है? देश की जनता जानना चाहती है कि देश की सरकार व राजनेता क्यों देशहित की इन मांगों को स्वीकार नहीं कर रहे है? आखिर देश की सरकारें व राजनेता किसके हितो ंकी पूर्ति के लिए ये जनांदोलनों की उपेक्षा कर रहे हैं।
एक तरफ सरकार जहां जनहितों के लिए चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलनों की या तो उपेक्षा कर रही है या उनको निरंकुशता से कुचल रही है वहीं दूसरी तरफ सरकार असम में बंगलादेशी घुसपेटियों के कारण विकराल हुई समस्या के स्थाई निदान के बजाय उसे सामान्य जातीय हिंसा या विवाद मान कर उस पर पर्दा डालने की आत्मघाती भूल करके देश के हितों पर कुठाराघात कर रही है। कश्मीर में देश के संविधान, झण्डा व भारत विरोध नारे लगा कर अर्ध सैनिक व सैनिक बलों पर हमला करने वाले पाकिस्तानी झण्डा फहराने वालों के आगे सरकार गूंगी बहरी बनी रहती है। देश में कानून व लोकशाही पर विश्वास करने वाले हैरान है कि क्यों दिल्ली सरकार व पुलिस सुभाष पार्क में न्यायालय के आदेशों की घोर अनदेखी कर कुछ मुसलिम कट्टपंथियों को वहां पर विवादस्थ ढांचे को जबरन बनाने दे रही है। यही नहीं देश के हुक्मरान देश की संसद पर हमले करने के दोषी को देश की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी सजा-ए-मोत दिये जाने पर भी वर्षो से उसको फांसी देने के बजाय बहाने वना कर टाल रही है।
देश मे ंसत्तासीन कांग्रेसी नेता जहां जनहितों व भ्रष्टाचार के खिलाफ व काले धन को विदेशों से देश में लाने की मांग करने के समर्थन में आंदोलन का नेतृत्व करने वाले बाबा रामदेव व अण्णा हजारे के खिलाफ अनाप शनाप आरोप लगाने के साथ उनके आंदोलनों को कमजोर करने के लिए तमाम षडयंत्र कर रहे हैं, वहीं विपक्ष भी ईमानदारी से अपने राष्ट्रीय दायित्व का निर्वहन करते हुए इस आंदोलन का समर्थन करने के बजाय इन आंदोलनों को कमजोर करने का इंतजार कर रहे हैं।
सरकार व विपक्ष की इस राष्ट्रीय हितों पर शर्मनाक मौन के कारण आज देश की आम जनता का मोह देश की वर्तमान व्यवस्था से भंग हो रहा है। संसार में भारत ही एकमात्र ऐसा अभागा देश हे जहां राष्ट्रहित व कानून का सम्मान करने वाले शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों को रौंदा जाता है और देशहितों व कानून को रौंदने वालों के सामने सरकार नतमस्तक है। अमेरिका सहित तमाम देशों में देश हितों को रौंदने वालों को दण्डित किया जाता है परन्तु भारत में उल्टी गंगा ही बहायी जा रही है। यह मात्र कुर्सी के लिए देश के राजनेता कर रहे है। इनको इस बात का अहसास होना चाहिए कि देश में जब तक राष्ट्रवादी मजबूत रहेंगे तभी देश में लोकशाही व मानवता जीवंत रहेगी। अगर देश में शांतिपूर्ण आंदोलनों की उपेक्षा होगी तो देश में लोकतंत्र कहां जीवंत रहेगा। इसके लिए जिम्मेदार अगर कोई हैं तो सरकार सहित तमाम राजनेतिक दल है। अगर सरकारों की ऐसी ही प्रवृति रही तो देश में राष्ट्रद्रोही तत्व, अलगाववादी तत्व व नक्सलियों के शिंकजे में जकड़ जायेगी और लोकशाही इस देश में दम तोड़ती नजर आयेगी।
 

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