असम प्रकरण के लिए पाक से अधिक गुनाहगार हैं देश के हुक्मरान

-अपनी असफलता के लिए सोशल मीडिया के सर पर दोष न मंढ़े सरकार 

-हुक्मरानों द्वारा देश के हितों व ज्वलंत समस्याओं को नजरांदाज करने व देशद्रोही तत्वों को संरक्षण देने से हुई देश की स्थिति विस्फोटक





असम में बंगलादेशी आतंकी घुसपेटियों द्वारा किये गये हिंसक हमले के बाद जिस प्रकार से मुम्बई, लखनऊ, इलाहाबाद सहित उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हुए  हिंसक प्रदर्शनों व इन घटनाओं के बाद जिस प्रकार से बंगलोर, हेदराबाद सहित देश के कई भागों से पूर्वोत्तर के छात्रों व लोगों ने पलायन के  लिए भारत सरकार ने पाकिस्तान व उसके अतिवादियों द्वारा संचालित सोशल मीडिया को जिम्मेदार ठहराया वह अपने आप में सरकार द्वारा अपनी जिम्मेदारी से बचने का गैरजिम्मेदाराना कृत्य ही है। सरकार को चाहिए था कि उस की मूल जड़ में जा कर दोषियों को सजा दे ओर इस समस्या का ठोस निदान करे। परन्तु सरकार लगता है इस सभी प्रकरण के लिए पाकिस्तान के अतिवादी तत्वों द्वारा संचालित सोशल मीडिया को जिम्मेदार बता कर फिर इस गंभीर समस्या से आंख मूंदना चाहती है। सरकार की यही कृत्य आने वाले समय में देश के लिए इससे भी अधिक विकराल होगा।
 यह सही भी है परन्तु सरकार पाक को बलि का बकरा बना कर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। पाकिस्तान हमारा मित्र नहीं अपितु जन्मजात दुश्मन है, दुश्मन सदैव ऐसी हरकत करेगा यह जग जाहिर है परन्तु इसकी नापाक कृत्यों को रोंकने के लिए सरकार ने क्या किया। न तो सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय व अपनी खुफिया ऐजेन्सियों की इस आशय की चेतावनी पर ही ध्यान दिया। केवल अपने वोट बंेक के लिए उन लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। जो मस्जिदों में नमाज के बाद आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भड़का कर इन हिंसक आंदोलनकरने के लिए गुमराह करके देश की एकता अखण्डता व शांति को भंग कर रहे है। अगर सरकार ने असम प्रकरण पर वहां के सांसद व हेदराबाद के सांसद पर समय रहते कार्यवाही की होती तो इस प्रकार की कार्यवाही न मुम्बई में होती व नहीं लखनऊ मे। सरकार को म्यामार की सरकार या चीन की सरकार से सबक लेना चाहिए कि घुसपेटियों के साथ कैसा व्यवहार करे। देश में कोन बंगलादेशी आतंकी घुसपेटियों को बार्डर पार कराकर उनको बसा रहा है? कौन उनके मतदाता कार्ड व राशन कार्ड बना रहा है? जब तक देश के हुक्मरान अपने निहित स्वार्थ से उपर उठ कर देश हित में काम नहीं करेंगे तब तब ऐसी समस्यायें दिन प्रतिदिन ओर बिकराल बनती जायेंगी। इसका दायरा केवल असम ही नहीं दिल्ली, उप्र, बंगाल, और उत्तराखण्ड सहित देश के तमाम उन प्रदेशों में बढ़ जायेगा जहां वोट की राजनीति के कारण ऐसे आतंकी घुसपेटियों को शर्मनाक संरक्षण खुद सत्तासीन नेता देते है।
असम में बंगलादेशी घुसपेटियों को अंध समर्थन देने के कारण उपजी हिंसा का विरोध करने के बजाय  जिन सांसदों व नेताओं ने समाज में तनाव फैलाने वाली धार्मिक टिप्पणियां या बयान दिये उनके खिलाफ सरकार अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं कर रही है? जिन नेताओं ने बंगलादेशी आतंकी घुसपेटियों को देश में शर्मनाक संरक्षण दे रखा है उनके खिलाफ कार्यवाही के साथ पूर्वाेत्तर के छात्रों व कामगारों को पूरे देश में सुरक्षा देने के लिए देश के तमाम राजनैतिक दलों व प्रबुद्ध जनता को आगे आना चाहिए। मनमोहन सरकार इसको दलगत राजनीति से उपर उठ कर राष्ट्र रक्षा के लिए अपने दायित्व के रूप में कार्य करे। जनता भी तमाम प्रकार की अफवाहों को न तो फैलाये व नहीं उस पर कहीं ध्यान दें। पूर्वोत्तर के लोगों को भी इस बात का भरोसा रखना चाहिए कि पूरा राष्ट्र उनके साथ है उनको किसी प्रकार से इन अफवाहों से घबरा कर पूर्वोत्तर की तरफ कूच नहीं करना चाहिए। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व सप्रंग प्रमुख सोनिया गांधी को उन बंगलादेशी घुसपेटियों के संरक्षक बन कर देश में अशांति फेलाने वाले सांसद व नेताओं पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए जिससे पूर्वोत्तर के भारतीयों को सुरक्षा का विश्वास लोट सके।
असम में बगलादेशी आतंकी घुसपेटियों के कारण कोकराझार इलाके में हुई हिंसा के कारण आज देश के कई हिस्सों में तनाव का माहौल है। इस समस्या पर संसद से लेकर आम आदमियों में चर्चायें हो रही है। सरकार ने  इस प्रकार की विवादस्थ 254 वेबसाइटों को बंद कर दिया है। जहां सरकार व राजनेता इस समस्या के लिए सोसल मीडिया को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं अधिकांश प्रबुद्ध लोग इसके लिए देश के हुक्मरानों सहित देश की तमाम राजनैतिक दलों को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे है। इन प्रबुद्ध लोगों का मानना है कि देश के हुक्मरान देश के हितों व ज्वलंत संवेदनशील मुद्दों को जिस तरह से नजरांदाज करने की प्रवृति आजादी के बाद से अब तक देखी गयी है उसके कारण आज देश में कई समस्यायें बेकाबू ही नहीं बिकराल हो गयी है। आज भी समस्या के मूल में जाने के बजाय उसके विकारों पर केवल घडियाली आंसू बहाने का काम किया जा रहा है। वहीं सरकार अपनी नाकामयाबी को स्वीकार करके इसमें गभीर सुधार करने के बजाय जब देश के हुक्मरान अपने कृत्यों से इस विवाद को और हवा देने का काम करते से प्रतीत हो रही है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह अपनी इस हिमालयी भूलों को तत्काल हल निकालना होगा। परन्तु सरकार लोगों का ध्यान बटाने व अपनी नालायकी को बचाने के लिए सोशल मीडिया पर अपनी खाज उतार रहे है। जो लोकशाही में नितांत गलत है। अफवाहों, झूठी खबरे फेलाने वालो पर कड़ा कानून बनाना चाहिए। परन्तु इस घटना की आड़ में सोसल मीडिया पर बंदिशें लगाने के बजाय उनकी जिम्मेदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। सोशल मिडिया को भी अपनी जिम्मेदारी व देश की एकता अखण्डता के साथ सामाजिक सौहार्द के दायित्व निर्वहन करने से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।
संसद की चैखट जंतर मंतर पर 16 अगस्त को अनैक सामाजिक व राजनैतिक चिंतकों के साथ मैरी इस समस्या पर चर्चा हुई। इस चर्चा में देश के वरिष्ठ राजनेता रहे जगजीवन राम के निकट सहयोगी
ताराचंद गौतम, सुलतानपुर से समाजसेवी मोहम्मद आजाद तथा इस चर्चा में 17 अगस्त को जनांदोलनों से जुडे सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत, उत्तराखण्ड राज्य गठन के प्रखर आंदोलनकारी जगदीश भट्ट व राकांपा से जुड़े रहे समाजसेवी पाण्डे आदि सभी ने एक स्वर में देश वासियों से देश में शांति बनाये रखने व एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने की खुली अपील की। वहीं बंगलोर सहित देश के अन्य भागों में शिक्षा व रोजगार के लिए रहने वाले पूर्वोत्तर क्षेत्र के निवासियों से अफवाहों के कारण वापस पूर्वोत्तर न  लोटने का अनुरोध किया।
इसके साथ सभी ने एक स्वर में सरकार से देश के संवेदनशील समस्याओं को तत्काल समाधान खोजने की जरूरत बताते हुए कहा कि  निहित स्वार्थ के लिए सामाजिक सौहार्द को रौंदने वाले असामाजिक तत्वों पर कड़ी कार्यवाही करने की जरूरत बताया।
चर्चा में भाग लेते हुए मोहम्मद आजाद ने कहा कि सरकार को दंगो में अनाथ हुए बच्चों व लोगों को सहारा देना चाहिए जिससे वे कट्टरपंथियों के हाथों के मोहरे न बन पाये। वहीं सरकार को अपने निहित स्वार्थ के लिए समाज में अशांति फैलाने वाले तत्वों को सर उठाने से पहले शक्ति से कुचल देना चाहिए। इसके साथ मोहम्मद आजाद का कहना था कि सरकार को मदरसे आदि शिक्षा संस्थानों में दीन की शिक्षा देने के साथ दुनिया की शिक्षा के साथ उर्दू के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं में भी दिलाने की व्यवस्था करनी चाहिए। श्री आजाद ने कहा कि हमारी सरकार व आम लोगों को यह समझना चाहिए कि हमारे लिए राष्ट्र सर्वोच्च है, उसके बाद धर्म, प्रांत, जाति आदि है। राष्ट्रवादी विचारों के समाजसेवी मोहम्मद आजाद ने कहा कि हमें ध्यान रखना चाहिए हमारे किसी काम देश कमजोर न हो, हमारे देश के अमन शांति पर ग्रहण न लेगे। अगर देश में शांति होगी तभी देश उन्नति करेगा तथा देश के आम  आदमियों का जीवनस्तर सुधर सकता है।
इस चर्चा में भाग लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने भी देश में पूर्वाेत्तर के छात्रों व लोगों के पलायन को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को तत्काल इस प्रकार देश के माहौल को खतरे में डालने वालों को दण्डित करना चाहिए। इसी प्रकार के विचार जगदीश भट्ट के रहे। वहीं राजनैतिक विचारक व नेता ताराचंद गौतम ने कहा कि देश में शांति भंग करने व यहां की प्रगति को रोकने के लिए कुछ विदेशी तत्व तथा इस देश में असामाजिक लुटेरे टाइप के लोग इस प्रकार का वातावरण इस देश में बनाते हैं सरकार को जहां इनसे शक्ति से निपटना चाहिए वहीं लोगों को इस प्रकार के अवसरवादी लोगों की अफवाहों पर किसी प्रकार से ध्यान नहीं देना चाहिए ।
इस चर्चा  में भाग लेते हुए मैने कहा कि सरकार को चाहिए कि संवेदनशील समस्याओं का समाधान करना चाहिए तथा देश के हितों से खिलवाड़ करने वाले तत्वों से शक्ति से निपट लेना चाहिए। रामजन्म भूमि, मथुरा काशी विवाद का समाधान सरकार को पहले तो देश के विभाजन के समय ही कर देना चाहिए। नहीं तो इसको यथाशीघ्र करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि देश में बहुसंख्यक समाज ही नहीं देश की युगों से आत्मा रहे भगवान राम, कृष्ण व भगवान शिव के आस्था के मूल केन्द्रों पर विदेशी हुक्मरानों ने जो बलात निर्माण किये हैं उसको तत्काल सरकार को देश को सोंप देना चाहिए। वहीं सुभाष पार्क में बलात ढांचा बनाने वाले तत्वों से सरकार को अपनी वोट  व सत्ता के लालच में किसी प्रकार से नजरांदाज नहीं करना चाहिए। इस प्रकार के कृत्यों को करने वालों को तुरंत कडा दण्ड देना चाहिए।
इसके साथ असम की वर्तमान समस्या का मूल कारण यहां पर देश के हुक्मरानों ने बंगलादेश से आने वाले करोड़ों घुसपेटियों को देश से बाहर करने कोई ठोस कदम आज कई दशक गुजर जाने के बाद भी नहीं उठाये। अभी भी इतने भीषण दंगों के बाबजूद सरकार इस समस्या का ठोस निर्णय नहीं ले रही है। किसी को भी अपने पक्षधर मतदाता बनाने की अंधी होड़ में आज देश में बंगलादेशी घुसपेटियों ने खतरनाक हालत बन गये है। सत्तारूढ़ दल ने कभी भी देशहित को प्रमुखता से रख कर कोई निर्णय लेती तो आज यह हालत देश में नहीं होती। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि आजादी के बाद अब तक 65 सालों में  देश की एक भी सरकार ऐसी नहीं रही जो इन बंगलादेशी घुसपेटियों पर  कठोर कार्यवाही करके इनको देश से बाहर खदेड़े।  हमारा भ्रष्ट्र शासन प्रशासन तंत्र  इनको देश से बाहर खदेड़ना तो रहा दूर उल्टा इनको राशनकार्ड, मतदाता कार्ड  से  नवाज पर भारत की छाती पर मूंक दलने के लिए छोड़ देते है। जिस प्रकार से असम आज हालत शर्मनाक हो रखे हैं वहीं अगर सरकार ने इसी प्रकार से ज्वलंत समस्याओं के प्रति उपेक्षापूर्ण व पक्षपात पूर्ण रवैया बनाये रखा तो देश की सुरक्षा व एकता अखण्डता को गंभीर खतरा उत्पन्न हो जायेगा। देश की सरकार को देश के संवेदनशील मुद्दों का तत्काल ठोस समाधान करना चाहिए और देश के हितों को रौंदने वाले तत्वों को शक्ति से निपटना चाहिए तभी देश की एकता अखण्डता अक्षुण्ण रहेगी और देश में अमन शांति व प्रगति की गंगा बहेगी।
दुर्भाग्य है कि सरकार असम दंगों से नासूर बन चूकी समस्या का स्थाई निदान खोजने में ईमानदारी से कदम उठाने के बजाय इस मामले को हवा दे रहे तत्वों द्वारा मुम्बई, लखनऊ, आदि शहरों में जो तथाकथित उग्र प्रदर्शन आयोजित कर अन्य समाजों व देश के सम्मान को ठेस पंहुचाने का काम किया गया। इस प्रदर्शनों केे आयोजकों व असामाजिक तत्वों को शक्ति से दमन करनी चाहिए। आज अभी तक देश की सरकारें देश हित से अधिक अपनी व्यक्तिगत हितों व दलीय हितों के पूर्ति के लिए देश का तानाबाना तहस नहस करने वाले तत्वों के कृत्यों पर आंखे मूदे रहती है । इसी कारण आज देश में असम व कश्मीर जैसी समस्यायें  विकराल बन कर देश के अमन शांति के लिए एक प्रकार का ग्रहण लगा देते है।
शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्।
श्री कृष्णाय् नमो। 

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