मेरी बर्बादी का जश्न
(भारत माता की भारत पाक के सत्तांधों से करूण फरियाद)
कितने ना समझ हो तुम..
कितनी खुशी से कह रहे हो मुझसे
आओ! जश्ने आजादी का मनाओ।।
तुम्हें याद हो या न हो.......
क्योंकि तुम तो डूबे रहते हो सत्तामद में,
इसी दिन मेरे जिस्म के टुकडे किये थे तुमने,
मेरी संतानों का कत्ले आम कराया था तुमने,
मैं तड़फ रही थी, मैं बिलख रही थी,
पर तुम और तुम्हारे साथी,
जश्न मना रहे थे।।
गुलामी में मैं जिंदा तो थी...
इसी आश में..,
कि कभी तो मैं भी आजाद हॅूगी,
परन्तु आजाद होने से पहले ही
मुझे कत्ल किया तुमने ।
आज में जिंदा लांश हॅू और
मेरे जख्म नासूर बन गये।
मेरी जुबान पर लगा दिया
तुमने फिर अंग्रेजी का ताला।
और तो और तुमने तो
मेरा नाम ही मिटा दिया।।
अब तो मेरी इस हालत पर तो तरस खाओं
मेरे नाम से मेरी बर्बादी के दिन पर
मेरे बेटो जश्न तो न मनाओ।
पर तुम क्या जानो माॅं की ममता का दर्द!
तुम्हें तो सत्ता चाहिए केवल सत्ता
चाहे इसके लिए खून की दरिया क्यों न बहे।।
-देवसिंह रावत
(एक दशक पूर्व लिखी अपनी इस कविता को आज फिर भारत माॅं के चरणों में सादर समर्पित कर रहा हॅू।www.rawatdevsingh.blogspot.com)
सुन्दर अभिव्यक्ति रावत जी
ReplyDeleteसत्यता से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता