रामदेव पर प्रतिशोध में जुल्म ढाने से सरकार खुद हो रही है जनता में बेनकाब
-बंगलादेशी घुसपैटियों व अपने एक सांसद पर शर्मनाक मूक रखने वाली सरकार का रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण पर कहर क्यों?
एक तरफ भारत सरकार देश में भ्रष्टाचार व काले धन के खिलाफ खुद कार्यवाही का दम भर रही है परन्तु देश की जनता यह देख कर हैरान है कि सरकार काले धन के खिलाफ व भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के बजाय जो व्यक्ति देश की जनता को कई सालों से इस मांग के खिलाफ व्यापक जनांदोलन छेड़े हुए है उसी व्यक्ति बाबा रामदेव के खिलाफ आयकर सहित तमाम सरकारी ऐजेन्सियां ताड़व तोड़ कार्यवाही कर रहे है। वह भी उस बाबा रामदेव के खिलाफ जिसके राष्ट्रहित में की जा रही सेवाओं को देख कर देश विदेश की तमाम सरकारें व खुद मनमोहनसिंह की यह यूपीए सरकार के चार मंत्री हवाई अड्डे पर जा कर स्वागत करते है।
स्वामी राम देव कोई देशद्रोही कार्य या कानून के खिलाफ कार्य कर रहा था तो उनको पहले अब तक क्यों छोड़ा गया। भारतीय संस्कृति व भारतीय योग, भारतीय वस्तुओं का बडे स्तर पर जनता को रोजगार देते हुए बडा कार्य करना कहां कानून का उलंधन है। क्या कानून का उलंघन सरकार को तब नजर नहीं आता जब देश का मंत्री ही खुद इंडियन एयर लाइन्स को कैग की रिर्पोट के अनुसार चूना लगा रहे थे। बाबा रामदेव पर सरकार की कार्यवाही आंदोलन के बाद कुल मिला कर प्रतिशोध से प्रेरित लग रही है। जिन रामदेव को भारतीयता का नाम पूरे विश्व में रोशन करने के लिए देश की सरकारों ने भारत रत्न देना चाहिए था उन रामदेव को इस प्रकार से प्रताडित करके सरकार जनता की नजरों में खुद गुनाहगार हो गयी है। देश का आम जनमानस को मनमोहनी सरकार का तर्क समझ में नहीं आ रहा है कि देश के हित में कहां रामदेव ंगलत कर रहे है। अगर वास्तव में वे गलत कर रहे हैं तो उन पर सरकार ने अब तक क्यों कार्यवाही नहीं की। इसका मतलब यही नजर आ रहा है कि सरकार केवल प्रतिशोध से बाबा रामदेव को देशहित में आंदोलन करने के लिए सबक सिखाने का कृत्य कर रही है। जो निंदनीय ही नहीं अति दुर्भाग्यपूर्ण भी है। बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ कार्यवाही को भी देश की जनता बाबा को सबक सिखाने की सरकार की नापाक कृत्य ही मान रही है। देश की सरकार देश में घुसे करोड़ांें बंगलादेशियों को सर्वोच्च न्यायालय की कड़ी फटकार के बाबजूद देश से बाहर करने के बजाय उनका मौन रह कर शर्मनाक संरक्षण दे रही है। वहीं बंगलादेशी आज असम सहित देश के अनैक राज्यों में भारतीयता पर हमला कर देश की एकता व अखण्डता पर हमला कर रहे हैं। परन्तु क्या मजाल देश की सरकार इन आतंकी घुसपेटियों को और उनके संरक्षकों पर कार्यवाही करने का साहस तक करे। वहीं भारतीय संस्कृति व भारतीय प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद को विश्व में सराहनीय ढ़ग से स्थापित करने में संलग्न आचार्य बालकृष्ण को तमाम प्रकार से प्रताडित सरकार प्रताड़ित कर रही है। वहीं ऐसे ही मामले में अपने एक सांसद सुब्बा पर सीबीआई से लेकर कोर्ट के दखल के बाबजूद सरकार कोई कार्यवाही करने के बजाय उनको सांसद तक बनवा कर देश में कानून को अपने हितों के लिए दुरप्रयोग कर रहे है। गत सप्ताह नैनीताल उच्च न्यायालय ने फर्जी पासपोर्ट मामले में योगगुरु बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को जमानत दे दी है। गौरतलब है उच्च न्यायालय ने गत सप्ताह आचार्य बालकृष्ण को जमानत दस-दस लाख रूपये के दो जमानती भी कोर्ट में पेश करने को कहा है। इसके साथ ही जेल में बंद आचार्य बालकृष्ण को भारी राहत मिल गई है ।
हकीकत तो यह है कि बाबा रामदेव ने अरबों खरबों की सम्पति व देश विदेश में अकल्पनिय सम्मान अर्जित करने के बाबजूद अन्य धनपशुओं या आत्मकेन्द्रीत व्यक्तियों की तरह अपने तक सीमित न रह कर देश के सवा सो करोड़ जनता के भविष्य को संवारने व बनाने के लिए देश की निरंकुश सत्तासीनों से टकराने का तथा दशकों से सुप्तप्राय भारत की जनता को अपने प्राचीन गौरव को आत्मसात करने का जो विश्व को झकझोरने वाला ऐतिहासिक जनांदोलन किया उसके लिए बाबा रामदेव को कोटी कोटी नमन्। भले ही बाबा रामदेव व अण्णा हजारे कई कार्यो से मैं खुद सहमत नहीं हॅू परन्तु उनके भारतीय संस्कृति व भारतीय जनमानस को जागृत करने वाले कार्य व विदेश में जमा भारतीयों के कालाधन को भारत में वापस लाने के लिए चलाये गये जनांदोलन के लिए मैं उनको हार्दिक बधाई देता हॅू। वहीं इसी प्रकार पूरे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल बनाने की मांग को लेकर जनांदोलन का नेतृत्व करने वाले अण्णा हजारे को भी शतः शतः प्रणाम।?
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