चीन के दुशाहस के आगे कायर बना भारतीय हुक्मरान 


नई दिल्ली(प्याउ)। चीन द्वारा भारतीय सीमा के अंदर 10 किमी आ कर काबिज होने की घटना पर भारतीय हुक्मरानों ने जिस प्रकार शर्मनाक मौन रखा है, उससे भारतीय जनमानस स्तब्ध व शर्मसार है। गौरतलब है कि इनदिनों लद्दाख में भारतीय इलाके में चीन की घुसपैठ का मामला बड़ा विवाद बन सकता है। यह इलाका पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओलदी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से दस किलोमीटर भीतर है। दौलत बेग ओल्दी इलाके में की है, जहां उन्होंने अपने टेंट लगा दिए हैं। यह इलाका करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर है। ऐसा नहीं की यह पहली बार हो रहा है। चीन न केवल लद्दाख व अरूणाचल अपितु उत्तराखण्ड से लगी सीमाओं पर बार बार अतिक्रमण कर करता है। परन्तु क्या मजाल की कैलाश मानसरोवर सहित हजारो वर्ग मील भारतीय भू भाग को 1962 व उसके बाद काबिज चीन से संसद द्वारा चीन द्वारा बलात कब्जायी हजारों किमी वर्ग भारतीय भू भाग को दो बार हर हाल में वापस लेने के संकल्प के बाबजूद भारतीय हुक्मरान चाहे किसी भी दल के हों चीन से इस भू भाग को मांगने का साहस तक नहीं जटा पा रहे है। यही नहीं भारतीय हुक्मरानों की इसी कायरता से पाक ने भी कब्जाये कश्मीर का एक बडा भू भाग चीन को खैरात समझ कर दे दिया है परन्तु भारत के हुक्मरान इस का प्रचण्ड विरोध करने का साहस तक नहीं जुटा पा रहे है।
जब यह मामला संसद में उठा तो रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने 22 अप्रैल को संसद भवन को आश्वासन दिया कि हम अपने हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ चीन भारतीय आरोपों को सिरे से नकार कर इसे चीनी सैनिकों की नियंत्रण रेखा पर केवल गश्त बता रहा है। वहीं उल्टा चीन नैतिकता की दुहाई देते हुए कह रहा है कि वह दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा को लेकर हुई सहमति का आदर करता है। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री भगतसिंह कोश्यारी ने भी सरकार की चीन की इस दुशाहस पर शर्मनाक मौन रखने की कड़ी भत्र्सना करते हुए सरकार से देश की सुरक्षा की रक्षा करने के दायित्व का बोध कराया।

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