मोक्ष भूमि उत्तराखण्ड के दर्शन को बेताब है विश्व भर के श्रद्धाुल


16 को तुंगनाथ व 20 मई को खुलेंगे मद्महेश्वर के कपाट 

मोक्ष भूमि उत्तराखण्ड को अपनी सत्तालोलुपता से तबाह करने में लगे लोगों को लगेगा अभिशाप 


रुद्रप्रयाग(प्याउ)। मई माह के दूसरे सप्ताह में प्रारम्भ होने वाली विश्व की एकमात्र दिव्य मोक्ष भूमि उत्तराखण्ड के पावन तीर्थ यात्रा के लिए संसार के लाखों श्रद्धालु बेसब्री से इंतजारी कर रहे है। इस साल पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर के कपाट भक्तों के लिए 20 मई को खोल दिये जायेंगे। वहीं तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट 16 मई को खोल दिये जायेंगे।
गौरतलब है कि चार धाम के अलावा पंच बदरी व पंच केदार की इस दिव्य धरती में कई प्रकृति के मनोहारी रहस्यमय स्थल है जिसको देखने के लिए विश्व भर के प्रकृति प्रेमी यहां हर साल आते हैं। यहां फूलों की घाटी, रूप कुण्ड, स्वर्गारोहण, वेदनी बुग्याल, कुबैर की अलकापुरी सहित अनैक मनोहारी स्थल हैं। विश्व की सबसे प्राचीन व विलक्षण सनातन ‘हिन्दु ’धर्म के सर्वोच्च भगवान हरि व हर के पावन धाम श्रीबदरीनाथ व केदारनाथ के साथ पतित पावनी गंगा व यमुना की इस पृथ्वी पर अवतरण धाम गंगोत्री व यमुनोत्री धामों की चार धाम यात्रा के नाम से विख्यात तीर्थ यात्रा हर हर सनातनी श्रद्धालु अपने जीवन में एक बार करना चाहता है। विक्रमी सम्वत् 2070 में यानी सन् 2013 में चार धाम यात्रा का शुभारंभ 13 मई को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने से होगी। 14 मई को भगवान केदारनाथ धाम के कपाट व 16 मई को भगवान श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट 6 माह के लिए खोल दिये जायेंगे। वहीं शीतकाल में यह चार धाम के नाम से विख्यात तीर्थ यात्रा प्रायः हर साल 6 माह के लिए इस हिमालयी क्षेत्र में भारी हिमपात होने के कारण बंद कर दिये जाते हैं। इस साल चार धाम यात्रा के दौरान होने वाली(29 अगस्त से 16 सितम्बर ) विश्व विख्यात माॅं भगवती स्वरूपा ‘नन्दादेवी राजजात यात्रा के आयोजन होने से इस यात्रा में भी भारी संख्या में देश विदेश से श्रद्धालुओं उमड़ंेंगे। भगवान विष्णु का सर्वोच्च धाम श्री बदरीनाथ धाम, के अलावा सप्त बदरी के नाम पर आदि बदरी, भविष्य बदरी, वृद्ध बदरी, योगध्यान बदरी, ध्यान बदरी, अर्ध बदरी व नरसिंह बदरी प्रमुख हैं। भगवान श्री दिव्य आलौकिक धाम केदारनाथ के साथ साथ मदमहेश्वर, तुगनाथ, कलपेश्वर व रूद्रनाथ प्रमुख है। इसके साथ कई ऐसे प्रमुख तीर्थ व आलौकिक धाम है जो अभी प्रदेश शासन व प्रशासन के नक्शें में ही नहीं है। इनमें भगवान शिव के प्रमुख दिव्य मंदिर जिसमें रावण द्वारा भगवान शिव की अखण्ड तपस्या व अपने सीस हवन करने वाला तीर्थ बैराश कुण्ड, है। वहीं 9 बहिन नाग कन्याओं की नन्दा देवी की तर्ज पर निकलने वाली नैणी की यात्रा। माॅं भगवती के दिव्य धाम सुरकण्डा, पूर्णागिरी, द्रोणागिरी, बूंखाल कालिंका, धारी देवी, चंद्रवदनी, मनसा देवी, चण्डिका देवी ही नहीं कदम कदम पर माॅं भगवती के दिव्य मंदिरों की भरमार है।
भगवान शिव के परम धाम नीलकण्ठ, बागेश्वर, जागेश्वर, ताडकेश्वर,कोटेश्वर, कोठुलेश्वर, गोपेश्वर, विनसर, आदि प्रमुख है। वहीं भगवान शिव के दिव्यांश भैरव भगवान के असंख्य मंदिर अपने आप में विलक्षण है। अल्मोड़ा में ग्वेल देवता का चितई ग्वेल मंदिर हो या लाटू व दाणू के मंदिर अपने आप में विलक्षण है। उत्तराखण्ड के हर कण में शंकर भगवान का वास माना जाता है। संसार भर में उत्तराखण्ड ही एक मात्र ऐसा दिव्य व पावन स्थान है जहां नर व रीषि मुनियों की तपस्थली ही नहीं अपितु नारायण व भगवान शिव -शक्ति की तपस्थली भी रही है। यही नहीं विष्णु व शिव की महान धरती व हरि हरिद्वार की नगरी उत्तराखण्ड ही इस महान भारत देश के प्रतीक महाराजा भरत जिनके नाम से इस देश का नाम भारत है, उनकी जन्म स्थली कर्णाश्रम भी उत्तराखण्ड में है। इस विख्यात धरती पर भारत धाम बनाने के बजाय यहां शराब के गटर बनाने वाले उत्तराखण्ड के हितैषी नहीं दुश्मन ही है।
आज भले ही यहां के शासकों ने इस दिव्य मोक्ष भूमि की पावनता की रक्षा करने के बजाय इसको शराब, भ्रष्टाचार, सत्तालोलुपु वुराचारियों की धरती बनाने में लगे है। उत्तराखण्ड जो अपनी दिव्य औषिधियों, अपने दिव्य धामों व मनोहारी स्थलों से विश्व के असंख्य लोगों को बरबस अपनी तरफ आकृष्ठ कर उत्तराखण्ड को पर्यटन व औषिधि आदि संसाधनों से अर्जित आय से समृद्ध बना सकती है परन्तु यहां के दिशाहीन भ्रष्टाचारी, जातिवादी व संकीर्ण मानसिकता के हुक्मरानों ने इसे बर्बादी के कगार पर पंहुचा दिया है। उत्तराखण्ड की धरती को नमन् करने के बजाय ये यहां के संसाधनों को विदेशों में सैरसपाटा करने में बर्बाद कर रहे है। इनको उत्तराखण्ड की दशा व दिशा पर चिंतन करने व यहां की जनांकांक्षाओं को साकार करने ंकी फुर्सत ही नहीं है। इनको प्रदेश के संसाधनों की लूट खसोट कर अपनी तिजौरियां भरने व अपनी व अपने परिजनों तथा प्यादों को आसीन करने के अलावा कुछ दूसरा सुझता ही नहीं। इसी कारण आज यह दिव्य भूमि के अभिशाप से इसको अपनी संकीर्ण कुण्ठाओं से तबाही के गर्त में धकेलने वाले नेता, नौकरशाह व माफिया तथा इनके प्यादे अभिशापित हो रहे है। कई बार मेने इन कुकृत्यों में लगे लोगों को अपने लेखों से सचेत किया परन्तु दुर्भाग्य है इनका इनको चोट खाने के बाद भी अपने कुकृत्यों का भान नहीं है। परन्तु इनको एक बात गांठ बांध लेना चाहिए उत्तराखण्डी जनमानस की जनांकांक्षाओं व सम्मान को तबाह करने वाले मुलायम, राव व तिवारी जैसे दिग्गज नेता कहीं के नहीं रहे तो खण्डूडी, निशंक व बहुगुणा कहां बच पायेंगे मोक्ष भूमि के अभिशाप से। उत्तराखण्ड दिव्य पावन भूमि है इसको शराब व भू माफिया बन कर रोंदने वालों की क्या दुर्गति होती है यह जगजाहिर है।

Comments

Popular posts from this blog

-देवभूमि की पावनता की रक्षा की फिर भगवान बदरीनाथ ने- निशंक के बाद मनंमोहन को भी जाना होगा

नव प्रभात शुभ प्रभात हो