ऐसे कामुक व हैवान व्यवस्था परोसने से केसे होगी मासुम दामिनियों की रक्षा
गुनाहगारों पर अंकुश लगाने के बजाय दामिनी गुहार लगाने वाले आंदोलनकारियों का जंतर मंतर से टेण्ट उखाडने व अस्पताल में आंदोलनकारी को थप्पड़ मारने में लगी पुलिस
कामुकता व दुराचारी को बढ़ावा देने वाली फिल्म, धारावाहिक, विज्ञापन, कार्यक्रमों व नेता व अधिकारियों पर लगे अंकुश
देश को शराब का गटर बना कर व राजनीति का अपराधिकरण करके किया जा रहा है देश को तबाह
यौन नहीं नैतिक शिक्षा का हो प्रसार
एक तरफ भारत में ही नहीं विश्व में नवरात्रे के पावन पर्व में कन्याओं को जगतजननी माॅ भगवती का दिव्य स्वरूप मान कर उनकी पूजा आराधना की जा रही थी वहीं दूसरी तरफ देश की राजधानी दिल्ली के गांधी नगर में 5 साल की मासूम दामिनी को उसी का कामांध पड़ोसी 15 से 17 अप्रैल को अपने कमरे में बंधक बना कर दरंदगी की सारी हदे पार कर उस पर जुल्म ढा रहा था। इस जघन्य काण्ड की खबर सुन कर देश ही नहीं विदेशी स्तब्ध है कि संसार के सबसे प्राचीन संस्कृति के देश भारत की राजधानी दिल्ली में 5 साल की अबोध बालिकाओं से लेकर वृद्धाओं के साथ जो आये दिन जघन्य हैवानियत का काण्ड हो रहे हैं उस पर अंकुश रखने में देश की व्यवस्था क्यों बौनी पड़ रही है। आज न केवल पुलिस प्रशासन ही नहीं पूरा तंत्र कटघरे में है कि आखिर मातृदेव भव व कन्याओं को देवी का स्वरूप मानने वाले संस्कारवान देश भारत का इतना शर्मनाक पतन कैसे हो गया। यही नहीं 19 अप्रैल को रामनवमी के दिन जब लोग नवरात्रे में कन्याओं की पूजन के इस पर्व का समापन कर रहे थे उसी दिन दिल्ली के गांधी नगर में घटित इस मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना की पीड़िता मासूम दामिनी का इलाज जिस दयानंद अस्पताल में चल रहा था, उस अस्पताल में इस मासूम दामिनी के लिए न्याय की मांग कर रहे महिला आंदोलनकारी को पुलिस का सहायक उपायुक्त बीएस अहलावत सरेआम मीडिया के केमरे के आगे भी थप्पड़ बरसा रहे थे। इसी 19 अप्रैल को दिल्ली में इस प्रकार के हैवानों से बचाने में असफल रही पुलिस संसद की चैखट जंतर मंतर पर 16 दिसम्बर की दामिनी प्रकरण पर न्याय की गुहार लगाने के लिए 24 दिसम्बर से निरंतर धरना प्रदर्शन करने वाले 16 दिसम्बर क्रांति आंदोलन के शमियाने को उखाडने में अपने पुलिसिया शौर्य दिखा रही थी। 16 दिसम्बर को हुए दामिनी प्रकरण से सहमी व्यवस्था ने भले ही अपनी खाल बचाने के लिए गांधी नगर की इस 5 वर्षीया मासूम बच्ची के गुनाहगार मनोज को उसके बिहार स्थित मुजफ्फरपुर के चिकनौता गांव ससुराल से गिरफतार कर दिया हो तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में बेहतर इलाज के लिए दाखिल करके इस प्रकरण में गांधीनगर दिल्ली के थाना प्रमुख, जांच अधिकारी के अलावा महिला पर थप्पड मारने वाले सहायक उपायुक्त को तुरंन्त निलंबित कर दिया हो, परन्तु इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाने के प्रति उदासीन रहने से पूरे देश की जनता आक्रोशित है। देश को शर्मसार करने वाले इस प्रकरण में हैवान मनोज के साथ प्रकरण में सम्मलित एक और हैवान प्रदीप को भी बिहार से गिरफतार करके दिल्ली लाया जा चूका है। प्रधानमंत्री आवास, सोनिया निवास, गृहमंत्री आवास, इंडिया गेट, जंतर मंतर व दिल्ली पुलिस मुख्यालय सहित देश के कोने कोने में जनता इस शर्मनाक प्रकरण का विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार को न जाने क्यों जनभावनाओं का सम्मान करना व भांपना तक नहीं आता उसे अविलम्ब दिल्ली पुलिस के आयुक्त को पदमुक्त करना चाहिए था।
पीड़िता के परिजनों द्वारा 15 अप्रैल से लापता बच्ची की खोज खबर करने में सहायता मांगने पुलिस के पास गयी तो ,पुलिस उस मासूम की खोज खबर करना तो रहा दूर उसकी गुमशुदी की रिपोर्ट तक लिखने के लिए तैयार नहीं हुई। जब 17 अप्रेल को बच्ची को बेहद गंभीर रूप से घायल हालत मेंउसी पडोसी के कमरे से रोने की आवाज आने के बाद बरामाद किया गया तो पुलिस अपना दायित्व का ईमानदारी से निर्वाह करने के बजाय उस पीड़िता के परिजनों को रूपये दे कर मूक रहने की पुलिसिया सलाह देती रही। वहीं हैवान मनोज उस बालिका को अपनी हैवानियत का शिकार भी बना रहा था और उसके परिजनों के साथ बालिका की खोज खबर करने का ढोंग भी कर रहा था।
16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में दामिनी प्रकरण से इडिया गेट से राष्ट्रपति भवन सहित पूरे विश्व में उमड़े जन आक्रोश से सहमे देश के हुक्मरानों ने भले ही दिल्ली के गांधी नगर की इस मासूम 5 बर्षीया बच्ची के साथ हुए हैवानियत की कड़ी भत्र्सना करके दिल्ली पुलिस के संवेदनहीनता के लिए उसको फटकार लगायी हो। परन्तु हकीकत यह है 16 दिसम्बर के बाद घटित हुई विश्व में भारत को शर्मसार करने वाले प्रकरण के बाद भले ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व सप्रंग प्रमुख सोनिया गांधी सहित तमाम पक्ष विपक्ष के नेताओं के घडियाली आंसू बहाने के बाद आये दिन निरंतर हो रही इस प्रकार की शर्मसार करने वाली घटनाओं में कोई कमी नहीं आयी है। इसका मूल कारण यह है कि इस देश की पूरी व्यवस्था ही दम तोड़ चूकी है। देश के हुक्मरानों का असली चैहरा 16 दिसम्बर को दामिनी प्रकरण के कुछ ही दिन बाद दिल्ली में घटित हुआ लाजपत नगर की दामिनी प्रकरण से बेनकाब हो गया जहां इस बहादूर 16 वर्षीय बालिका के मुंह में हैवान ने राड ही घुसेडने का कृत्य किया। परन्तु 16 दिसम्बर पर घडियाली आंसू बहाने वाले मनमोहन व सोनिया व शीला ही नहीं नेता प्रतिपक्ष सुषमा तक को भी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज करा रही इस बालिका की सुध लेने की होश नहीं रही।
इसके बाद कई महिने बाद तुरंत कठोर कानून बनाने की मांग के लिए निरंतर हो रहे देश ही नहीं विश्व व्यापी आंदोलन के बाद जब सरकार ने यौन हिंसा पर कानून बनाया तो उस पर उनकी चिंता यौन अपराधों को रोकने के बजाय योन सम्बंध बनाने की उम्र कम करने की रही। इस काण्ड के सबसे हैवान को दण्डित करने के लिए उसको नाबालिक का ढाल से बचाया जा रहा है।
देश में सड़ चूकी व्यवस्था को सुधारने के लिए व्यवस्था में आमूल सुधार करने के बजाय मात्र कोरे कानून बनाने मात्र से सुधार होने का दिवास्वप्न देख रहे हुक्मरान व पुलिस प्रशासनिक तंत्र ही इस व्यवस्था को पथभ्रष्ट करने का असली खलनायक रहा है।
हमारे देश में विधायिका, न्याय पालिका, कार्यपालिका ही नहीं आम समाज कितना पथभ्रष्ट व संवेदनहीन हो गया है इसको जीता प्रमाण हर रोज घटित हो रही दुराचारी हैवानियत घटनायें ही हैं। दशकों तक ऐसे मामले न्यायालयों में दम तोड़ने के आंकड़े व सिंघवी केसेट प्रकरण ही न्यायपािलका की हकीकत को उजागर करने के लिए काफी है। इसके साथ देश में राजनैतिक नैतृत्व कितना पतित हो चूका है इसके लिए हेदरावाद राजभवन में घटित तिवारी प्रकरण, राजस्थान का भंवरी, हरियाणा का वयोवृद्ध नेता का प्रकरण, उप्र के मंत्री का जिलाधिकारियों व हेमामालनी के प्रति कुविचार रखने व मध्य प्रदेश के मंत्री का मुख्यमंत्री की ही पत्नी व बच्चियों पर कांमांध टिप्पणी करने से देश की वर्तमान राजनीति को पूरी तरह बेपर्दा करती है।
जिस देश का प्रधानमंत्री मनमोहन व उनकी सरकार मंहगाई, भ्रष्टाचार व आतंकवाद से त्रस्त जनता के दुख दूर करने के बजाय उनके जख्मों पर पदलोलुपता,उपेक्षा व उदासीनता का संवेदनहीन नमक छिडके और जिस देश में नैतिक शिक्षा के बजाय यौन कुण्ठाओं को और भडकाने के लिए यौन शिक्षा के नाम से जहर अबोध बच्चों को शिक्षा के नाम पर परोसा जाय वहां की जनता में इस प्रकार के दुराचार नहीं पनपेगा तो कहां पनपेगा। यही नहीं देश में जिस प्रकार से फिल्मों, धारावाहिकों, विज्ञापनों के द्वारा हर घर में हर पल लोगों को टीवी के माध्यम से परोस कर पूरे समाज में कामुकता को बढ़ावा दिया जा रहा है, उससे समाज में ऐसे हैवानियत उभर कर सामने नहीं आयेगी तो क्या आयेगी। जिस प्रकार से राजनीति,नौकरशाही, समाजसेवा के साथ साथ धार्मिक संस्थानों का अपराधिकरण हो गया है उससे देश को इसी प्रकार के अपराध का दंश झेलना पडेगा।
देश को जिस प्रकार से शराब, गुटका सहित नशीले पदार्थो का गटर बनाया जा रहा है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का काम करने के बजाय अपराधियों व दागदार लोगों को राजनीति, नौकरशाही, समाजसेवा व धार्मिक संस्थानों में बढावा दिया जा रहा है उससे इस दमतोड़ चूकी व्यवस्था को मात्र कठोर कानून के दम पर नहीं सुधारा जा सकता। इसके लिए व्यवस्था में आमूल सुधार के साथ शिक्षा में नैतिक मूल्यों का समावेश करके देश में नैतिक मूल्यों के फिल्म, धारावाहिक, विज्ञापनों व कार्यक्रमों को बढावा देना होगा। कामुकता परासने वाले तमाम कार्यक्रमों पर तत्काल अंकुश लगाना होगा। इसके साथ देश की जनता दुराचारी, भ्रष्टाचारी नेतृत्व के बजाय जनहितों के लिए समर्पित नेतृत्व को ही चुनावों में बढावा दें। तभी समाज में इस प्रकार के अपराधों से मुक्ति मिलेगी।
शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।
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