दो टके के लिए कत्लघर बना देते हैं


स्वार्थ में अंधे नेता वतन को भूल जाते हैं
धरती ही नहीं ये जमीर भी बेच देते है। 
दो टके के लिए कत्लघर बना देते हैं
स्वार्थ में ये बाप का नाम बदल देते है। 
मत चुराना तुम इस शहर की एक शाम
यहां तो हर सांस भी अब चंगेजी हुूई ।।
जो ख्ुाद लूट रहे हैं और लुटवा रहे हें
वहीं  आज वतन के बने हुए है रहनुमा ।।

देवसिंह रावत
(10 अप्रेल 2013 प्रात 10 बज कर 20 मिनट )

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