निकाय चुनाव में कांग्रेस की शर्मनाक पराजय के लिए इस्तीफा दें मुख्यमंत्री बहुगुणा को तुरंत हटाये कांग्रेस आला कमान


बहुगुणा को बलात मुख्यमंत्री बनाने से आक्रोशित जनता ने कांग्रेस को निकाय चुनाव में किया दण्डित 


कांग्रेस नेतृत्व को प्रदेश में बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए दवाब डालने वाले आत्मघाती प्यादों को भी हटाना चाहिए


उत्तराखण्ड प्रदेश में मेयर के हुए चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण समझे जाने वाले प्रदेश के 6 नगर निगमों में पहला चुनाव परिणाम 30 अप्रैल को 11 बज कर 10 मिनट पर रूड़की नगर निगम का आया। मेयर ने रूड़की के मेयर बने निर्दलीय प्रत्याशी यशपाल राणा। हालांकि पहले खबर आयी कि भाजपा के महेन्द्र काला को विजय घोषित किया गया। श्री राणा ने भाजपा के महेन्द्र काला को पुन्न मतगणना के बाद 110 मतों से पराजित किया। निर्दलीय प्रत्याशी यशपाल राणा ने प्रदेश की राजनीति में काबिज कांग्रेस, भाजपा, बसपा, उक्रांद सहित सभी दलों को धूल चटाते हुए विजयी। हरिद्वार संसदीय सीट व रूड़की विधानसभा सीट पर काबिज कांग्रेस को यहां पर हार का मुंह देखने से आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए किसी खतरे की घण्टी से कम नहीं है। हरिद्वार संसदीय सीट में भाजपा व कांग्रेस के साथ साथ बसपा का भी काफी प्रभाव साफ देखने को मिलता है। परन्तु इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी जीतना व हरिद्वार में भी भाजपा द्वारा बाजी मारने से हरिद्वार संसदीय सीट से वर्तमान सांसद व मनमोहन सरकार के कबीना मंत्री हरीश रावत के लिए खतरे की घण्टी तो है ही। वहीं कांग्रेस आला नेतृत्व को एक प्रकार की साफ चेतावनी है कि जिस उत्तराखण्ड की जनता ने विधानसभा चुनाव में भाजपा को हरा कर सत्तासीन किया था उस जनादेश का सम्मान करने के बजाय विजय बहुगुणा जैसे जनता की जनरों में पहले से उतरे हुए नेता को बलात अपने विधायकों की इच्छा के बाबजूद बलात थोप कर रौदने की कुचेष्टा की उसका जवाब प्रदेश की जनता न केवल आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सफाया करके देगी अपितु वर्तमान निकाय चुनाव में जनता ने अपनी मंशा जग जाहिर कर दी। प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण 6 नगर निगम के चुनाव के साथ साथ 28 नगरपालिकाएं, 35 नगर पंचायतें यानी कुल 69 नगर निकाय मेयर, नगर पालिका अध्यक्ष, नगर पंचायत प्रमुख व पार्षदों व सदस्यों के कुल 3898 प्रत्याशी चुनावी दंगल में थे। इसमें कांग्रेस के 67 तो भाजपा के 63 निकायों के अध्यक्ष या प्रमुख पद पर प्रत्याशी चुनावी समर में उतरे थे। अब तक के रूझान के अनुसार देहरादून, हरिद्वार हल्द्वानी में जिस प्रकार से अधिकांश नगर निगमों में कांग्रेस के प्रत्याशी हार रहे है। उससे जनाक्रोश कांग्रेस के खिलाफ साफ झलकता है। खासकर जिस प्रदेश की जनता ने भाजपा ही नहीं स्वामी रामदेव व अण्णा-अरविन्द केजरीवाली के भारी विरोध के बाबजूद भी कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता सौंपी उस प्रदेश की जनता के जनादेश का सम्मान करते हुए साफ छवि के जनप्रिय नेता को मुख्यमंत्री बनाने के बजाय विजय बहुगुणा जैसे जनता व कांग्रेसी विधायकों में अलोकप्रिय नेता को मुख्यमंत्री बनाने का जनविरोधी कार्य किया। उससे प्रदेश की जनता ने अपना अपमान समझा। इस आपमान का कम करने के बजाय मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने जिस प्रकार से जनहितों पर अपने कार्यो से प्रहार किया उससे जनता ने कांग्रेस को सबक सिखाने का मन बना लिया है। हालांकि तमाम शासन तंत्र को झोंकने के बाबजूद अपनी शर्मनाक हार को नहीं बचा पाये विजय बहुगुणा। कांग्रेस आला कमान को अगर कांग्रेस व उत्तराखण्ड से जरा सा भी लगाव है तो उन्हें विजय बहुगुणा को तत्काल मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा कर कांग्रेस के और पतन से बचाना चाहिए। इसके साथ कांग्रेस आला नेतृत्व को अपने उन आत्मघाती सलाहकारों से दो टूक शब्दों में पूछना चाहिए कि जिन्होंने जनादेश को रौंद कर प्रदेश में बलात विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बना कर प्रदेश के साथ साथ कांग्रेस की जडों में मट्ठा डाला। ऐसे आत्मघाती सलाहकारों से कांग्रेस जितना जल्द किनारा करेगी उतना कांग्रेस व देश के हित में होगा।

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