इन नेताओं से भगवान ही बचाये देश को



जनसेवक नहीं लफंगे बन गये है देश के भाग्य विधाता


महाराष्ट्र का उप मुख्यमंत्री सूखे से पीड़ित आंदोलनकारी किसानों की पानी की मांग पर मै पिशाब करू क्या? कहते हो, जिस देश का प्रधानमंत्री मंहगाई को रोकने के बजाय मै ज्योतिषी हॅू क्या का जुमला बोल कर महंगाई से त्रस्त आम जनता का उपहास उड़ता हो, जिस देश के सबसे बड़े प्रांत उप्र में सपा व बसपा एक दूसरे पर गुण्डा व गुण्डी होने का आरोप लगाते हो। उप्र में सत्तासीन सपा के मुखिया मुलायम सिंह पर केन्द्रीय मंत्री ही आतंकियों का संरक्षक व भ्रष्टाचारी का आरोप लगाये, तथा जिस देश में न्यायाधीश बनाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिए कांग्रेस का एक नेता सीड़ी प्रकरण में देश की व्यवस्था को शर्मसार करता हो, वहीं जिस देश में भारतीय संस्कृति व राष्ट्रवाद के ध्वजवाहक कहलाने वाली पार्टी का आला नेता आडवाणी इस देश के विभाजन के व 10 लाख निर्दोष भारतीयों की निर्मम हत्या का दोषी जिन्ना को धर्म निरपेक्ष का पुरोधा बता कर उनकी कब्र पर सीस नवाता हो।
उस देश का पतन होने से अगर कोई बचा सकता है तो केवल भगवान ही। इस देश का राम ही मालिक है। इस देश में कब ठाकरे बंधु, कब बुखारी, कब गिलानी और कब कोई नेता देश को अराजकता की गर्त में धकेलने वाला बयान दे डाले कहा नहीं जा सकता है।
देश की व्यवस्था में जिन अपराधियों को जेल की सलाखों में बद रहना चाहिए था वे मंत्री व राजनेता बन कर देश के लोकतंत्र व समाज के ताने बाने को तहस नहस करने में लगे हुए है। यह केवल व्यवस्था से आक्रोशित लोगों की खीज भरी टिप्पणी नहीं है अपितु देश के राजनेताओं के एक दूसरे पर लगाये गये खुले आरोप है। जिस प्रकार से महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने महाराष्ट्र के कई जिलों में सुखे से पीड़ित लोगों की पानी की मांग को जिस संवेदनहीनता के साथ उपहास उडाते हुए मैं पिशाब करू क्या कहा उससे पूरे देश के राजनेताओं का मुखोटा बेनकाब हो गया है। हालांकि इस अमानवीय बात के लिए खुद अजीत पवार व उनके चाचा शरद पवार ने माफी मांगी परन्तु देश भौचंक्का है कि इस देश का भविष्य जिन के हाथों पर जनता ने सोंप रखा है वे इंसान है या हैवान। जनता के आक्रोश से अपनी कुर्सी जाने के भय से भयभीत अजीत पवार ने प्रायश्चित का जो नाटक उपवास करके किया उससे भी जनता के आक्रोश में कोई कमी नहीं है।
ऐसा नहीं कि यह केवल महाराष्ट्र में राकांपा के नेता की बात है। इससे संवदेनहीन बयान देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तो बार बार देते रहते है। जब भी उनके कुशासन से मंहगाई, भ्रष्टाचार व आतंकवाद से त्रस्त भारत की आम जनता उनसे जानना चाहती या पत्रकार प्रश्न करते कि मंहगाई पर अंकुश कब लगेगा? तो बेहद अमानवीय व गैरजिम्मेदाराना ढ़ग से मनमोहन सिंह व उनके खाद्य मंत्री शरद पंवार, देश की पीड़ित जनता के जख्मों में ‘मैं ज्योतिषि नहीं हूॅ’ कह कर नमक डालने का कृत्य करते है। यह देश के सबसे तथाकथित ईमानदार व शालिन समझे जाने वाले प्रधानमंत्री की हालत तो औरों की स्थिति क्या होगी इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। उप्र का एक मंत्री जन समस्याओं के निदान के लिए चिंतन न करके सार्वजनिक मंच से बेशर्मो की तरह महिला जिलाधिकारियों के रूप की प्रशंसा करने में जरा सा भी लज्जाते नहीं। हालांकि इस वयोवृद्ध मंत्री को मोटर रोडों को हेमामालनी के गाल की तरह बनाने की बात कह कर अपनी विभत्स मानसिकता ही उजागर की। ऐसी मानसिकता लालू ही नहीं शरद यादव भी कई बार सार्वजनिक बेठकों व संसद में भी बयान कर चूके हैं।
इसी में कांग्रेस मंत्रियों व नेताओं की तो लम्बी लिस्ट है। तिवारी से लेकर हरियाणा व राजस्थान में सरकार में मंत्री रहे नेताओं की लम्बी लिस्ट है। उत्तराखण्ड में तो तिवारी जैसे नेताओं की लम्बी लिस्ट बढ़ती जा रही है। वहीं मध्य प्रदेश के आदिवासी कल्याण मंत्री विजय शाह ने रविवार 14 अप्रेल को हद ही कर दी। उन्होंने झाबुआ में एक कार्यक्रम में सैकड़ों छात्राओं और टीचरों की मौजूदगी में अश्लील भाषण दे डाला। यही नहीं उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को भी नहीं बख्शा। मतिमंद शाह ने कहा कि एक बार उन्होंने चैहान की पत्नी से कहा, ‘भइया के साथ तो रोज जाती हो, कभी देवर के साथ भी चली जाया करो।’ इसके बाद जब कांग्रेस ने राज्यपाल से शाह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने की मांग की है तो पद खोने के भय से मंत्री बोले मैं इसके लिए 10 बार माफी मांगता हूं। आज कोई नीतीश, सुषमा, राहुल सोनिया, माया, मुलायम, लालू, पासवान या किसी भी नेता को अपना आदर्श मान सकता है। जिस भी नेता की जन्मपत्री को खंगालों तो देश में ना के बराबर ऐसे नेता मिलेंगे जो अपने सर्वस्व देश के लिए निछावर करने के लिए हर पल तैयार रहते है। नहीं तो ये नेता अपने पद व अहं के लिए क्या क्या गिरगिटी रंग न बदल जाय कहा नहीं जा सकता है।
आज के नेताओं की शर्मनाक स्थिति देख कर आज की जनता क्या इन नेताओं को अपना आदर्श मान सकती है। इनकी शर्मनाक हालत को देख कर व जान कर एक ही बात दिल से उठती है कि भगवान भरोसे ही यह देश चल रहा है। नहीं तो इस देश को जंगेजों व फिरंगियों से अधिक तबाह करने में यहां के नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी।

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