बागियों ने छूटाये भाजपा व कांग्रेस को पसीने 


उत्तराखण्ड विरोधी, दागदार व कांग्रेसी प्रत्याशी को निकाय चुनाव में भारी मतों से पराजित कर


देहरादून (प्याउ)। उत्तराखण्ड हो रहे निकाय चुनाव में भले ही कांग्रेस व भाजपा अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं परन्तु हकीकत यह है कि दोनों दलों की तमाम कोशिशों के बाबजूद विद्रोही उम्मीदवारों ने दोनों दलों की जीत की आशा पर एक प्रकार का ग्रहण सा लगा दिया है। विद्रोहियों ने दोनों दलों के ही नहीं उक्रांद जैसे दल के पसीने छुडवा दिये। केवल उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा एक ऐसा दल है जो इससे उबरा हुआ है। पर उसकी भी हकीकत यह है कि इस दल से चुनाव लडने वालों का ही अकाल सा पड़ गया। हालांकि कांग्रेस व भाजपा ने अपने विद्रेाहियों को दल से निष्कासित करने की धमकी दी परन्तु इसका असर किसी विद्रोही पर नहीं पडा। अपनी लाज बचाने के लिए कांग्रेस ने निकाय चुनावों में अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चनाव मैदान में डटे पांच दर्जन बागी उम्मीदवारों को छह साल के लिए कांग्रेस से निष्कासित कर दिया है। इसमें नगर निगम हल्द्वानी से मेयर के बागी उम्मीदवार राजेंद्र सिंह बिष्ट व रुड़की से राकेश अग्रवाल को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया। इसके अलावा पांच दर्जन नेताओं को पार्टी को बाहर का रास्ता दिखाया परन्तु सबको मालुम है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सभी दल अपने विद्रोहियों को वापस ले लेंगे। इसी स्थिति को भांपते हुए अपना खेल बनाने व विरोधियों का खेल बिगाडने के लिए विद्रोही किसी भी कीमत पर चुनावी दंगल से हटने के लिए तैयार नहीं है। अब 30 अप्रैल को इन चुनावी महारथियों के भाग्य के फेसला होने के बाद भी पता चलेगा कि कौन कितने पानी में था। वहीं राज्य गठन के प्रमुख संगठन उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा ने प्रदेश की जनता से अपील की है कि किसी उत्तराखण्ड विरोधी, दागदार व कांग्रेसी प्रत्याशी को निकाय चुनाव में भारी मतों से पराजित कर जनहितों के समर्पित साफ छवि के प्रत्याशी को विजय बनाये।

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