भूकम्प से बढ़ कर तबाही मचा रहा है भ्रष्टाचार भारत में 



आज सांय  4.22 बजे को राजधानी क्षेत्र दिल्ली में, 4.28 बजे पाकिस्तान में, 4.31 बजे इरान में व 4.35 बजे अफगानिस्तान में चंद मिनट के आये, भूकम्प की झटकों ने एशिया के इन देशों के लाखों लोगों को भयभीत कर दिया। इस चंद समय के लिए आये जलजले का केन्द्र  जमीन के 15 किमी नीचे ईरान व पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्र खश मे ंथा। 7.5 तीव्रता के इस भूकम्प से ईरान में भारी नुकसान हुआ। इससे ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान सहित भारत में जो जलजला आया उससे लोग सहम गये। भारत में भले ही जान माल का कोई विशेष नुकसान तो नहीं हुआ परन्तु पाकिस्तान में करीब 40 लोग मारे गये और ईरान में 40 साल में आये इस सबसे खतरनाक भूकम्प ने भारी तबाही मचाई सुत्रों के अनुसार ईरान में सैकडों लोग इस भूकम्प के शिकार हो सकते है। ईरान व पाकिस्तान में हजारों मकान ध्वस्थ हो गये। जिस समय दिल्ली में यह भूकम्प आया उस समय मेें देश की राजधानी दिल्ली में सप्रंग सरकार की मुखिया सोनिया गांधी के आवास व कार्यालय के बाहर ‘सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों ’में भारतीय भाषाओं में न्याय की मांग को ले चल रहे श्यामरूद्र पाठक व साथियों के साथ आंदोलन को ओर तेज करने की मंत्रणा करने में व्यस्त थे। उस समय धरने में श्यामरूद्र पाठक, गीता मिश्रा व विनोद पाण्डे  के अलावा पुष्पेन्द्र चैहान, मैं, मायावती सरकार में दर्जाधारी मंत्री यशवंत निकोसे व लोकहित मोर्चे के अध्यक्ष ईश्वर भारद्वाज आदि उपस्थित थे।  उस समय हमें भूकम्प का अहसास तक नहीं हुआ बाद में
जब मैने खबरें सुनी तो दंग रह गया। दिल्ली ही नहीं भारत में अधिकाश भवन, पुल व बांधों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। भ्रष्टाचार ने इन सबकी नींव पूरी तरह खोखली कर रखी है। कभी भी हल्का सा झंझावत दिल्ली सहित अधिकांश भारत के शहरों को कब्रिस्तान में तब्दील कर सकता है। यहां बने हुए अधिकांश बांध ऐसे प्रलयंकारी भूकंप की चपेट को सह पायेंगे इसमें मुझे ही नहीं अधिकांश सुरक्षा विशेषज्ञों को भी संदेह है। यहां पर सबका जीवन बचा हुआ है तो परमात्मा की कृपा से, नहीं तो भ्रष्टाचार में डूबी इस चंगेजी व्यवस्था ने दिल्ली सहित अधिकांश शहरों व क्षेत्रों को यहां की जीर्ण शीर्ण बहुमंजिली भवनों, पुलों व बांधो से ऐसे झंझावतों से होने वाली तबाही सामुहिक कब्रिस्तान में तब्दील कब कर दे कहा नहीं जा सकता। अगर देश में अविलम्ब भ्रष्टाचार पर अंकुश कडाई से देश की व्यवस्था नहीं लगा पायी तो इस प्रकार की अनहोनी कब घटित हो जाय कहा नहीं जा सकता।

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