तिवारी को सपा का प्रमुख बना कर लखनऊ में ही बसायें मुलायम 

तिवारी को ही नहीं मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को भी उप्र में ले जायें मुलायम 

18 अक्टूबर तिवारी के जन्म दिवस पर जिस प्रकार से मुलायम सिंह यादव ने तिवारी को अपनी कर्म भूमि रही उप्र में बसने का  सार्वजनिक निमंत्रण दिया है उस पर मेरी व मेरे सहित तमाम आंदोलनकारी संगठनों की यही प्रतिक्रिया हो सकती है कि अगर इससे  बढ़ कर एक बडा काम मुलायम सिंह कर सकते हैं तो वे उत्तराखण्ड  मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जो तिवारी के पद चिन्हों पर चल कर उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं को तिवारी की तरह ही मुख्यमंत्री बन कर रौंद रहे हैं उनको भी उनकी जन्म भूमि उत्तर प्रदेश में ले जायें। तिवारी को अविलम्ब मुलायम सिंह का आमंत्रण स्वीकार कर उत्तराखण्ड को मुक्ति दें। आम उत्तराखण्डियों की नजर में मुलायम सिंह यादव की तरह एन डी तिवारी दोनों ही उत्तराखण्ड के घोर विरोधी हैं। जहां मुलायम सिंह यादव उत्तराखण्ड राज्य गठन का घोर विरोधी रहने के साथ साथ उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन को रौंदने वाले घोर खलनायक रहे वहीं नारायण दत्त तिवारी भी राज्य गठन के घोर विरोधी रहने के साथ साथ घोर सत्तालोलुपु बन कर उत्तराखण्ड के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री बन कर यहां की जनांकांक्षाओं व इसकी पूरी व्यवस्था को अपने संकीर्ण कृत्यों से दूषित करके पतन के गर्त में धकेलने के दोषी है। आज जो उत्तराखण्ड में राजनीति, नौकरशाही व समाज में भ्रष्टाचार में लिप्त हो कर नैतिक मूल्यों का जो शर्मनाक पतन दिखाई दे रहा है उसके लिए काफी हद तक तिवारी ही जिम्मेदार है। क्योंकि तिवारी जो वर्तमान में देश के सबसे अनुभवी व कुशल राजनेताओं में हैं परन्तु अपने की संकीर्ण मनोवृति के कारण उन्होंने जो जानबुझ कर उत्तराखण्ड को पतन के गर्त में धकेला उसके दंश से कभी विश्व में अपनी ईमानदारी व नैतिकता के लिए विख्यात उत्तराखण्ड, आज भारत के सबसे भ्रष्टतम राज्यों में जाना जा रहा है। तिवारी अगर चाहते तो वे उत्तराखण्ड के लिए हिमाचल की मजबूत नींव रखने वाले यशवंत सिंह परमार की तरह सही दिशा दे सकते थे। परन्तु अपने संकीर्ण मनोवृति व दिल्ली में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी द्वारा प्रधानमंत्री न बनाये जाने की खीज जिस ढ़ग से तिवारी ने नवगठित राज्य उत्तराखण्ड पर उतारी उसके कारण तिवारी मुलायम सिंह से बदतर खलनायक हो गये है। अपने कृत्यों से देहरादून से लेकर हेदराबाद तक शर्मसार करने वाले तिवारी का देहरादून में जिस प्रकार उनके प्यादों द्वारा गुणगान व महिमामण्डल किया जाता है उससे देख कर देश के स्वाभिमानी उत्तराखण्डियों को सर शर्म से झुक जाता है। खासकर भारतीय संस्कृति की स्वयंभू ध्वज वाहक होने का दंभ भरने वाली भाजपा ने अपने उत्तराखण्ड में खण्डूडी व निशंक के सत्तासीन होने के कार्यकाल में जिस प्रकार से सार्वजनिक मंचों में तिवारी को सम्मान दिया उससे भाजपा भी पूरी तरह से बेनकाब हो गयी है। अगर उत्तराखण्ड के बेशर्म कांग्रेसी नेताओं को आला नेतृत्व का भय न हो तो वे तिवारी को ही ताउम्र के लिए उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनवा कर दोनों हाथों से उत्तराखण्ड के संसाधनों को लूटने व लुटवाने का काम करते।
18 अक्टूबर को तिवारी के जन्म दिवस पर लखनऊ में नारायण दत्त तिवारी की दिवंगत पत्नी सुशीला तिवारी के नाम से संचालित इण्टर कालेज की वार्षिक पत्रिका का विमोचन करते हुए मुलायम सिंह ने कहा कि श्री तिवारी की जन्मभूमि भले ही उत्तराखंड हो, लेकिन उन्हें यूपी का ही माना जाता है। वह प्रदेश के चार बार सीएम रहे। उन्होंने सलाह दी कि वे लखनऊ आकर निवास करें ताकि उनके अनुभवों से लोगों को सीखने का मौका मिले।’

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