भगवान बचाये हर पल दुनिया हमारी

छल प्रपंच और राग-द्वेश से भरी हुई है दुनिया सारी।
तुम्ही बताओ इस दुनिया से कैसे निभेगी हमारी यारी ।।
चारों तरफ हैं इस दुनिया में हुए सत्तासीन भश्टाचारी ।
तुम्हीं बताओ मेरे साथी कैसे सर उठायेगी ईमानदारी ।।
धर्म कर्म और राज काज पर काबिज हुए है दुराचारी।
तुम्हीं बताओं ऐसी दुनिया में कैसे जींदा रहे सदाचारी।।
जाति धर्म व रंगभेद के असुरों से जकडी दुनिया सारी ।
ऐसी दुनिया में कैसे रहेगी एक पल भी श्री षांति प्यारी।।
प्रपंची लोगों को कभी नहीं मिलती है प्रभु कृपा प्यारी।
विना श्री हरि की कृपा से व्यर्थ है ये सारी दुनियादारी ।।
दया धर्म व न्याय प्रेम से रहित प्राणी ही है अत्याचारी
ऐसे लोगो से भगवान बचाये हर पल दुनिया हमारी।।
जो निहित स्वार्थ में डूब कर बनते है धृतराश्ट गंधारी
दुसरों का दुख देने  वालेों को खुद काल बने कसाई।।
दो दिन के जीवन में आओ मिल जुल रहे सब भाई
ना तेरा ना मेरा है जग यहां तो दो पल रेन बसाई।।
-देवसिंह रावत
(षुक्रवार 26 अक्टूबर 2012 प्रात 11 बजे )

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