गुजरात में मोदी व हिमाचल में वीर भद्र का ही  बजेगा डंका 

भले ही कांग्रेस व भाजपा सहित तमाम चुनाव समीक्षक कुछ  भी राग अलाप लें परन्तु गुजरात में मोदी व हिमाचल में वीर भद्र का डंका ही इन चुनाव में बजेगा। इस सप्ताह चुनाव आयोग ने 3 अक्टूबर बुधवार को गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों की घोषणा की। इसके तहत दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम 20 दिसम्बर को आयेगे। चुनाव आयोग की अ अधिसूचना के तहत जहां हिमाचल में 4 नवम्बर को चुनाव होगे और  गुजरात में दो चरणों में 13 और 17 दिसम्बर को चुनाव कराए जाएंगे। चुनाव आयोग द्वारा हिमाचल व गुजरात के मतगणना में इतना लम्बा अंतर रखना लोकशाही के लिए उचित नहीं माना जा रहा है। जिस प्रकार के पांच राज्यों के कुछ माह पहले हुए चुनाव में उत्तराखण्ड की विधानसभा के चुनाव के एक महिने से अधिक देर बाद इसके परिणाम आये वह आम लोगों का मोह भंग करता है। गुजरात मे 37815306  व हिमाचल प्रदेश में 45लाख 16 हजार 54 मतदाता है। गुजरात में 44496  व हिमाचल में 7252 मतदान केन्द्र है।  वर्तमान में गुजरात  विधानसभा में कुल 182 विधानसभा सीटों व हिमाचल में 68 सीटें है। भाजपा में जहां भाजपा के 121 विधायकों के साथ सत्तासीन है वहीं कांग्रेस यहां पर दूसरे नम्बर पर है। हिमाचल में भी भाजपा 41 सीटो ंसे सत्तासीन है। गुजरात में विगत 11 साल से मोदी निरंतर प्रदेश की सत्ता में आसीन है। उनके सामने कांग्रेस ने  कोई एक मजबूत नाम मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत नहीं किया। जहां तक बधेला व केशु भाई पटेल कभी मोदी से 21 भले ही हों परन्तु इन 11 सालों में मोदी ने न केवल गुजरात में अपना नाम स्थापित कर दिया अपितु वह भारत के प्रधानमंत्री का भी सबसे बडा दावेदार बन कर सामने आये है। भले ही मोदी के शासन में कई कमियां हो परन्तु केन्द्र की कांग्रेस सरकार के कुशासन से जनता इतनी निराश व आक्रोशित है कि उसे प्रदेश में न तो कोई कांग्रेस दिग्गज नेता में वह करिश्मा दिखाई दे रहा है जो मोदी में है व नहीं कांग्रेस किसी नेता को मोदी के विकल्प के रूप में सामने रख पायी। प्रदेश की जनता को मालुम है कि कांग्रेस का शासन अगर होगा तो मुख्यमंत्री से अधिक अहमद पटेल की ही यहां पर चलेगी। वेसे भी मोदी का शासन इस समय  अन्य राज्यों ीक तुलना बेहतर ही साबित हुआ।
वहीं हिमाचल में भले ही लोग कांग्रेस के कुशासन से नाराज हो परन्तु वे प्रदेश में सत्तासीन भाजपा से अधिक बेहतर भले कांग्रेस को न माने परन्तु वीरभद्र को आम जनता आज भी हिमाचल के लिए सबसे बेहतर मुख्यमंत्री परमार के बाद मानती है। यहां पर अगर कांग्रेस के दिल्ली बेठे नेताओं चोधरी बीरेन्द्र, आनन्द शर्मा व अनिल शर्मा आदि ने अपनी मनमानी न की तो हिमाचल में वीरभद्र के रूप में कांग्रेस का शासन ही देखने को मिलेगा। हांलांकि विरोधी वीरभद्र पर विजय मनकोटिया द्वारा लगाये गये भ्रष्टाचार के अदालत में चल रहे विवाद को हव्वा दे कर उनका विरोध करें परन्तु प्रदेश की जनता की वर्तमान सभी विकल्पों में वीरभद्र ही सर्वश्रेष्ठ है। उनके विरोधियों की धार उस समय कुंद हो गयी वीरभद्र पर चंदा लेने के भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाला विजय मनकोटियां फिर कांग्रेस में सम्मलित हो कर यहां से विधायक का चुनाव लड  रहे है।

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