उत्तराखण्ड विरोधी भाजपा व कांग्रेस को दुत्कारने वाले महान सपूत जनरल रावत को सलाम

-उत्तराखण्ड विरोधी भाजपा व कांग्रेस को दुत्कारने वाले महान सपूत जनरल रावत को सलाम/
-उत्तराखण्ड के हक हकूकों की रक्षा के लिए मोर्चा का सहयोग करने के बजाय टांग न खिंच कर भाजपा व कांग्रेस को मजबूत न करे उत्तराखण्डी/

 उत्तराखण्ड राज्य में दागदार छवि के लोगों को प्रदेष के संवेधानिक पदों पर आसीन करने व प्रदेष को भ्रश्टाचार के कुषासन से देवभूमि को पतन के गर्त में धकेलने की भाजपा व कांग्रेस के आला नेतृत्व की सत्तामद में चूर अहंकार के खिलाफ खुला विद्रोह करने करके उत्तराख्,ाण्ड के सम्मान की रक्षा करने का सहास तक जब पद लोलुपु खण्डूडी, हरीष रावत सतपाल महाराज, विजय बहुगुणा सहित तमाम वरिश्ठ नेता नहीं कर पाये तब तब कांग्रेस व भाजपा नेतृत्व की तमाम प्रलोभनों को ठुकरा कर भी उत्तराखण्ड के सम्मान की लाज किसी एक राजनेता ने रखी तो वह  उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष ले. जनरल  तेजपाल सिंह रावत ने की।  जनरल रावत इस समय उत्तराखण्ड के सम्मान व हक हकूकों को रौंदने वाली भाजपा व कांग्रेस के दंष से जब उत्तराखण्ड की जनता त्राही त्राही करके नेतृत्व विहिन हो गयी थी ऐसे समय उत्तराखण्ड के महान चिंतक व गायक नरेन्द्र सिंह नेगी, पूर्व प्रषासनिक अधिकारी सुरेन्द्रसिंह पांगती, मेजर जनरल षैलेन्द्र राज बहुगुणा सहित तमाम उत्तराखण्ड के प्रबुद्व समर्पित लोगों की रसपरस्ती में उत्तराखण्ड के लिए एक मजबूत, समर्पित व जनांकांक्षाओं को साकार करने वाला राजनैतिक विकल्प का गठन ‘उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा के रूप में करके इसका नेतृत्व पूर्व सांसद व उत्तराखण्ड हितों के लिए भाजपा व कांग्रेस नेतृत्व को धिक्कारने का साहस करने वाले जांबाज ले. जनरल तेजपाल सिंह रावत को सोंपते हुए वर्तमान विधानसभा चुनाव में उत्तराखण्ड की जनता को एक नया मजबूत राजनेतिक विकल्प दे दिया है। उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा के गठन की सुगबुहाट से भाजपा नेतृत्व ने भ्रश्टाचार व कुषासन के प्रतीक अपने मुख्यमंत्री पद पर आसीन निषंक को हटा कर उन खंडूडी जी को ईमानदारी का तकमा देकर फिर प्रदेष की सत्ता में आसीन किया, जिन्होंने अपनी संकीर्ण जातिवादी-क्षेत्रवादी, व उत्तराखण्ड जनहितों के प्रति उदासीन सोच का परिचय दे कर प्रदेष में सबसे ईमानदार व वरिश्ठ अनुभवी केदार सिंह फोनिया या भगतसिंह कोष्यारी  के बजाय निषंक जैसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना कर प्रदेष की जनता को भौंचंक्का कर दिया था। श्री खंडूडी ने अपने कार्यकाल में तिवारी के पद चिन्हों पर चल कर न तो प्रदेष में जनसंख्या पर आधारित परिसीमन का विरोध किया, नहीं उन्होंने मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को दण्डित कराने के लिए मजबूती से पहल की। यही नहीं उनके मुख्यमंत्रीत्व में इस काण्ड के खलनायकों को उत्तराखण्ड में लाल कालीनें बिछाने का षर्मनाक काण्ड भी किया गया। प्रदेष की स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने की जनांकांक्षाओं को अपने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के पदचिन्हों पर चलने का ही षर्मनाक कृत्य भी खंडूडी करते रहे। अपने वर्तमान कार्यकाल में खंडूडी ने जो लोकायुक्त का आधा अधूरा कानून बना कर जो जनता के विष्वास को छला उसके लिए उत्तराखण्ड उनको कभी माफ नहीं कर सकता है। दो बार जनरल रावत की मेहरवानी से राजनैतिक जीवनदान पाने वाले खंडूडी ने कभी भी उत्तराखण्ड हक हकूकों के लिए एक कदम चलने का भी काम नहीं किया जिसके लिए पृथक राज्य का गठन किया गया था।
ऐसे समय में जब जनरल तेजपाल सिंह रावत के नेतृत्व में उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा प्रदेष में भाजपा व कांग्रेस की चुंगल से उत्तराखण्ड के वर्तमान व भविश्य को बचाने की खुली निर्णायक जंग लड़ रहे हैं ऐसे समय में हरेक स्वाभिमानी उत्तराखण्डी का फर्ज बनता है कि वे अपने समाज व प्रदेष के हितों की रक्षा में ऐसे मोर्चे का साथ दें। उत्तराखण्ड का दुर्भाग्य है कि यहां पर षराब का प्रचलन देष के अन्य भागों की तरह हो रहा है, चुनाव में तो इसका अंधा प्रचलन होता हे। ऐसे में अपने कोटे की षराब के साथ मोर्चे का एक प्रत्याषी ब्रिगेडियर पटवाल के पकड़े जाने पर आसमान सर पर उठाने वाले क्या भाजपा व कांग्रेस की राह मजबूत नहीं कर रहे है। षराब पूरे उत्तराखण्ड क्या देष में नहीं बिकनी चाहिए। न हीं सरकार को इसका उत्पादन देष में होने देना चाहिए। पूरा देष इससे तबाह है। परन्तु चुनाव में षराब का प्रचलन पूरे देष में अंधा होता है। कोई भी दल व कोई भी प्रत्याषी इसके बिना एक चुनाव भी नहीं जीत सकता। सभी इसका प्रयोग करते। जो नहीं होना था। परन्तु मुझे आष्चर्य होता है कि जब मै देख रहा हॅू कि इस हल्के से मुद्दे को इतनी हवा देने का काम कुछ वो लोग कर रहे हैं जो कांग्रेस व भाजपा द्वारा उत्तराखण्ड के हक हकूकों पर रौदने पर मूक बने हुए है। वे खंडूडी जी से निषंक को मुख्यमंत्री बनाने, परिसीमन थोपने, गैरसैंण राजधानी न बनाने, प्रदेष के प्रबुध व वरिश्ठ लोगों की उपेक्षा कर बाहर के लोगों को उत्तराखण्ड की छाती में मूंग दलने के कृत्यों पर क्यों षर्मनाक मूक रखे हुए है। वे खंण्डूडी या अन्य नेताओं से यह क्यों नहीं पुछते कि क्यों वे उत्तराखण्डी हितों पर षर्मनाक मूक रखे हुए है।
आज हर उत्तराखण्डी का यह दायित्व है कि वे प्रदेष में भाजपा व कांग्रेस के षिकंजे से उत्तराखण्ड को मुक्त करने की दिषा में महत्वपूर्ण कार्य करने वाले  जनरल तेजपाल सिंह रावत के नेतृत्व वाले उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा को मजबूती प्रदान करे। उनकी छोटी गलतियों को सुधार होना चाहिए परन्तु इस समय सबसे जरूरी है भाजपा कांग्रेस से उत्तराखण्ड की रक्षा करने वाले महानायकों का मजबूती से साथ देने की न की उनकी टांग उस गलती के लिए खिंचने की जिसे अन्य सभी कर रहे है। उत्तराखण्ड में भले बहुगुणा, तिवारी, कोष्यारी, हरीष रावत, महाराज व खंडूडी जेसे पदलोलुपु व दलीय स्वार्थो के लिए समर्पित देष विख्यात नेता रहे , परन्तु ले. जनरल तेजपाल सिंह रावत जैसा उत्तराखण्ड  महान राजनेता  है जो उत्तराखण्ड के हितों की रक्षा के लिए अपने मजबूत आला सम्पर्को  व राजनीति को दाव पर लगा कर दोनों दलों को ठुकराने का साहस कर सका। यह हमारा षौभाग्य है कि प्रदेष के हितों के लिए संघर्श करने वाले जनरल तेजपाल सिंह रावत , नरेन्द्रसिंह नेगी , सुरेन्द्रसिंह पांगती व षैलेन्द्र राज बहुगुणा जैसे नेतृत्व हमारे सामने हैं। आओ उत्तराखण्ड के हक हकूकों की रक्षा करने व अपने भविश्य को संवारने के लिए भाजपा व कांग्रेस की चुंगुल से उत्तराखण्ड बचाने के लिए उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा के महानायक ले . जनरल तेजपाल सिंह रावत व उनके साथियों का खुला समर्थन करे। ऐसा निर्णायक समय सपूतों की टांग खिचने का नहीं अपितु पदलोलुपु कांग्रेस भाजपा के प्यादों को चुनावी बाजी में हराने का है।


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