हिमपात से नहीं उत्तराखण्ड विरोधी नेता तिवारी, खंडूडी व निषंक के कुषासन से त्रस्त है उत्तराखण्ड
हिमपात से नहीं उत्तराखण्ड विरोधी नेता तिवारी, खंडूडी व निषंक के कुषासन से त्रस्त है उत्तराखण्ड
जय श्रीकृश्ण, षुभ प्रभातम्।
उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में भारी हिमपात। चमोली, उत्तरकाषी व पिथोरागढ़ में भारी हिमपात। जनपद चमोली के बदरीनाथ, दषोली, घाट, नारायणबगड़, देवाल व थराली विकासखण्ड क्षेत्र में भारी हिमपात से पूरा क्षेत्र सफेद वर्फली चादर से ढ़का हुआ है। बच्चे हिमपात का आंनन्द ले वर्फ की गौरादेवी बना कर व गेद से खेल कर आंनन्द ले रहे है। बचपन में हियूं खाने व इसमें खेलने के अदभूत आनन्द का स्मरण करते हुए मैं आज भी रौमांचित हॅू। भारी हिमपात के कारण लोग गाय इत्यादि पषुओं को बाहर पानी पिलाने नहीं ले जा पाते और हियूं यानी वर्फ को बडे बर्तन में गर्मकरके उसका पानी अपने पषुओं का पिलाते हैं। हिमालयी पक्षी म्लयो यानी कबूतर से बडे पक्षियों का झुण्ड का झुण्ड वर्फ की सफेद चादर से ढ़के खेत खलिहानों में अन्न के दानों को चुगने के लिए एक खेत से दूसरे खेत में उडना व खेलना बहुत ही मनोहारी लगा होता है। लोग भारी हिमपात की ठण्ड से बचने के लिए कोदे की बाड़ी यानी मंडवे हलवा, चुआ यानी रामदाने का हलवा, भट्ट भुजना व गांजडा, तथा दलहन, मुंगेरी, गेहूॅं, चांवल व गेहथ मिला कर बनाये जाना वाला विषेश घुमण्या जैसे पकवान बना कर हाड़ को कंपायमान करने वाली वर्फवारी का आनन्द ले रहे हें। देवभूमि पर ग्रहण लगे यहां के उत्तराखण्ड विरोधी हुक्मरानों ने आज भले ही उत्तराखण्ड को भ्रश्टाचारियों का अभ्याहरण बना दिया हो परन्तु प्रकृति ने उत्तराखण्ड को विष्व में अपनी तरह का सबसे पावन व सुन्दर देवभूमि बना कर उपकृत किया है। यह यहां के लोगों पर निर्भर करता है कि वे यहां पर पतन के गर्त में धकेलने वाले तिवारी, खण्डूडी व निषंक जैसे कुषासको व उनके प्यादों के मायवी विनाषकारी जाल को कैसे खुद व अपने प्यारे उत्तराखण्ड को बचाते है। आओ इस पावन देवभूमि को इन सत्तालोलुपु तिवारी, खण्डूडी व निषंक जेसे घोर उत्तराखण्ड विरोधियों के दंष से बचाने के लिए 30 जनवरी को इनको व इनके प्यादों को हराने के लिए एकजूट हो कर कार्य करें। जिन्होंने उत्तराखण्ड की जनभावनाओं को जनसंख्या पर आधारित परिसीमन थोप कर, मुजफरनगरकाण्ड के दोशियों को दण्डित न कराके, प्रदेष की राजधानी गैरसेंण न बना कर, प्रदेष के महत्वपूर्ण हितों पर अपने आकाओं के बाहरी दलालों को आसीन कराकर, जातिवाद व क्षेत्रवाद का घृर्णित हथकण्डे अपना कर तथा भ्रश्टाचार का अंधा ताड़व से देवभूमि के वर्तमान व भविश्य पर ग्रहण लगा दिया है। अगर आज भी आप नहीं जागे तो आने वाले समय में उत्तराखण्ड की बर्बादी पर आंसू बहाने वाला भी कोई नहीं मिलेगा। जाति, क्षेत्र, निहित स्वार्थ व दलीय संकीर्णता में बंट कर अपना व अपने प्रदेष का अहित करने वाले भी गुनाहगारों के समान उत्तराखण्ड द्रोही ही हैं। जय श्री कृश्ण। आओं लोकषाही के कुरूक्षेत्र में 30 जनवरी को इन दुषासनों के खिलाफ मतदान करके उत्तराखण्ड की रक्षा करें।
जय श्रीकृश्ण, षुभ प्रभातम्।
उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में भारी हिमपात। चमोली, उत्तरकाषी व पिथोरागढ़ में भारी हिमपात। जनपद चमोली के बदरीनाथ, दषोली, घाट, नारायणबगड़, देवाल व थराली विकासखण्ड क्षेत्र में भारी हिमपात से पूरा क्षेत्र सफेद वर्फली चादर से ढ़का हुआ है। बच्चे हिमपात का आंनन्द ले वर्फ की गौरादेवी बना कर व गेद से खेल कर आंनन्द ले रहे है। बचपन में हियूं खाने व इसमें खेलने के अदभूत आनन्द का स्मरण करते हुए मैं आज भी रौमांचित हॅू। भारी हिमपात के कारण लोग गाय इत्यादि पषुओं को बाहर पानी पिलाने नहीं ले जा पाते और हियूं यानी वर्फ को बडे बर्तन में गर्मकरके उसका पानी अपने पषुओं का पिलाते हैं। हिमालयी पक्षी म्लयो यानी कबूतर से बडे पक्षियों का झुण्ड का झुण्ड वर्फ की सफेद चादर से ढ़के खेत खलिहानों में अन्न के दानों को चुगने के लिए एक खेत से दूसरे खेत में उडना व खेलना बहुत ही मनोहारी लगा होता है। लोग भारी हिमपात की ठण्ड से बचने के लिए कोदे की बाड़ी यानी मंडवे हलवा, चुआ यानी रामदाने का हलवा, भट्ट भुजना व गांजडा, तथा दलहन, मुंगेरी, गेहूॅं, चांवल व गेहथ मिला कर बनाये जाना वाला विषेश घुमण्या जैसे पकवान बना कर हाड़ को कंपायमान करने वाली वर्फवारी का आनन्द ले रहे हें। देवभूमि पर ग्रहण लगे यहां के उत्तराखण्ड विरोधी हुक्मरानों ने आज भले ही उत्तराखण्ड को भ्रश्टाचारियों का अभ्याहरण बना दिया हो परन्तु प्रकृति ने उत्तराखण्ड को विष्व में अपनी तरह का सबसे पावन व सुन्दर देवभूमि बना कर उपकृत किया है। यह यहां के लोगों पर निर्भर करता है कि वे यहां पर पतन के गर्त में धकेलने वाले तिवारी, खण्डूडी व निषंक जैसे कुषासको व उनके प्यादों के मायवी विनाषकारी जाल को कैसे खुद व अपने प्यारे उत्तराखण्ड को बचाते है। आओ इस पावन देवभूमि को इन सत्तालोलुपु तिवारी, खण्डूडी व निषंक जेसे घोर उत्तराखण्ड विरोधियों के दंष से बचाने के लिए 30 जनवरी को इनको व इनके प्यादों को हराने के लिए एकजूट हो कर कार्य करें। जिन्होंने उत्तराखण्ड की जनभावनाओं को जनसंख्या पर आधारित परिसीमन थोप कर, मुजफरनगरकाण्ड के दोशियों को दण्डित न कराके, प्रदेष की राजधानी गैरसेंण न बना कर, प्रदेष के महत्वपूर्ण हितों पर अपने आकाओं के बाहरी दलालों को आसीन कराकर, जातिवाद व क्षेत्रवाद का घृर्णित हथकण्डे अपना कर तथा भ्रश्टाचार का अंधा ताड़व से देवभूमि के वर्तमान व भविश्य पर ग्रहण लगा दिया है। अगर आज भी आप नहीं जागे तो आने वाले समय में उत्तराखण्ड की बर्बादी पर आंसू बहाने वाला भी कोई नहीं मिलेगा। जाति, क्षेत्र, निहित स्वार्थ व दलीय संकीर्णता में बंट कर अपना व अपने प्रदेष का अहित करने वाले भी गुनाहगारों के समान उत्तराखण्ड द्रोही ही हैं। जय श्री कृश्ण। आओं लोकषाही के कुरूक्षेत्र में 30 जनवरी को इन दुषासनों के खिलाफ मतदान करके उत्तराखण्ड की रक्षा करें।
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