उत्तराखण्ड में चुनावी सर्वेक्षण के नाम पर लोकशाही का चीर हरण क्यों

उत्तराखण्ड में चुनावी सर्वेक्षण के नाम पर लोकशाही का चीर हरण क्यों
स्टार न्यूज व नीलसन द्वारा उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव 2012 का सर्वे परिणाम अपने आप में लोकशाही का अपमान है। एक करोड़ जनसंख्या वाले प्रदेश के चंद हजार प्रायोजित लोगों का विचार को आधार बना कर चुनाव पूर्व चुनाव को प्रभावित करने की प्रभावित करने वाला निंदनीय हथकण्डा ही है। जिसे चुनाव आयोग द्वारा तत्काल संज्ञान में लेना चाहिए। चुनाव परिणाम में 70 सदस्यीय विधानसभा में 39 प्रतिशत कांग्रेस व 40 प्रतिशत भाजपा को दिखा कर, भाजपा को 39 व कांग्रेस को 29 सीटें देने के बाद केवल अन्य को 2 सीटों पर दिखाया। जो प्रदेश की वर्तमान चुनावी समर की ताजा स्थिति को देख कर बहुत ही हास्यास्पद है। बसपा, उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा, उक्रांद व कई स्थानों पर दलों की हालत पतली करने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों को केवल 2 सीटों पर रखना, इस सर्वे का मुखोटा खुद बेनकाब करने के लिए काफी है। इस सर्वे का कुल मकसद प्रदेश में सत्ता पर काबिज भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए लोगों को गुमराह करना है। प्रदेश की जमीनी हकीकत यह है कि भाजपा के खुद अपने सर्वे में प्रदेश में उसका सफाया होना था जिसके कारण आनन फानन में प्रदेश का मुख्यमंत्री तक बदल दिया गया। परन्तु हालत में ज्यादा अंतर नहीं आया। प्रदेश की जनता दिशा विहिन व भ्रष्टाचार से प्रदेश को शर्मसार करने वाली भाजपा सरकार के कृत्यों को देख कर उसको हर हाल में प्रदेश की सत्ता से उखाड फेंकने के लिए मन बना चूकी है। कभी स्टार सहित दिल्ली स्थित इन चैनलों को प्रदेश की जमीनी हकीकत का भान तक नहंी रहा। ये चेनल वाले केवल अपना हित तक ही सीमित रहते है। पंचतारा संस्कृति के वाहक ये चेनल कभी आम आदमी की भावनाओं को समझ तक नहीं सके। न इनके समीक्षकों व नहीं इनके पत्रकार व इनके प्रभाववाले नेताओं को प्रदेश के जमीनी हालत का भान तक नहीं है। वर्तमान विधानसभा में सत्तासीन भाजपा के विधायकों की संख्या 35, कांग्रेस के 21 व अन्य 14 है। परन्तु स्टार न्यूज द्वारा किया गया 2012 के संभावित विधानसभा के सर्वे रिपोर्ट जो केवल दो दलों के बीच ही सारी बंदरबांट करता हुआ नजर आ रहा है वह इन दिनों चुनाव के मोर्चे से मिल रही रूझानों से कोसों दूर है।
स्टार न्यूज सहित तमाम दिल्ली के तथाकथित चैनल जब भाजपा के राज में स्टर्डिया सहित तमाम भ्रष्टाचार के प्रकरण हो रहे थे तब ये लोकशाही के तथाकथित चैथा स्तम्भ समझे जाने वाले इन चैनलों को सांप सुंघा हुआ था। अब भी चुनाव से पहले जब उत्तराखण्ड की जनता, प्रदेश की जनांकांक्षाओं को रौंदने का गुनाहगार भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कमर कसे हुए हैं उस समय भाजपा की सरकार को बचाने के लिए चंद लोगों की राय को प्रदेश की जनता का संभावित रूझान बताने वाली मीडिया केवल विज्ञापन व अपनी थेली भरने की रणनीति पर ही काम कर रही है। आज की मीडिया को केवल अपने विज्ञापनों व अपने हितों का भान होता है प्रदेश की जनांकांक्षाओं से इसको कोई लेना देना नहीं। इसी मीडिया के मुंह पर उत्तराखण्ड की जनता ने गत लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदेश से पूरी तरह से सफाया करके इसके तमाम पूर्वानुमानों को रौंद दिया था। यही नहीं जिस प्रकार से इस चैनल ने प्रदेश के संभावित मुख्यमंत्रियों में सर्वेक्षण में तथाकथित पंसद को दर्शाया वह सच्चाई को खुद ही बेनकाब करती है। जहां प्रदेश में लोकप्रिय हरीश रावत को पूरी तरह से हाशिये में व जनप्रिय नेता कोश्यारी को केवल 2 प्रतिशत व डा हरक सिंह रावत को 20 प्रतिशत लोगों की नजर में मुख्यमंत्री का सबसे पसंदीदा प्रत्याशी बताया गया। जबकि खंडूडी को 50 प्रतिशत प्रतिभागियों की पहली पसंद बताया।
वहीं अपनी खाल बचाने के नाम पर पंजाब मे आगामी विधानसभा चुनाव मे 2012 कांग्रेस को 68 व अकाली गठबंधन को 53 तथा अन्य को 1 सीटें दी है। जबकि गत विधानसभा में अकाली भाजपा गठबंधन के पास 68 व कांग्रेस के पास 44 तथा अन्य के खाते में 5 सीटें थी। पंजाब में पहले से एक बात साफ हो गयी कि यहां पर अकाली गठबंधन को प्रदेश की जनता सत्ता से बेदखल कर रही है।

Comments

  1. कृपा करके अक्षरों का आकार पढ़ने लायक तो कर दें

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