शहीदों के हत्यारों व गैरसैंण द्रोहियों को उत्तराखण्ड के चुनाव में हरायें जनता
शहीदों के हत्यारों व गैरसैंण द्रोहियों को उत्तराखण्ड के चुनाव में हरायें जनता
सभी उत्तराखण्डियों से निवेदन हे कि जो भी दल व नेता उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन में राज्य गठन आंदोलनकारियों के हत्यारों को टिकट देने का दुशाहस करे उस पार्टी का उत्तराखण्ड से आगामी विधानसभा चुनाव में सफाया करें और जो नेता ऐसा दुशाहस करें उसका सार्वजनिक बहिष्कार करें। जो दल गैरसैंण राजधानी बनाने का संकल्प नहीं लेता है उसे उत्तराखण्ड द्रोही मान कर उसको भी चुनाव में सबक सिखायें। उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र में जनसंख्या पर आधारित परिसीमन को थोपने का जो कुकृत्य किया गया उसमें षडयंत्रकारी तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी व भाजपा के मुख्यमंत्री खंडूडी ने षडयंत्रकारी चुप्पी रखी, इसका पुरजोर विरोध केन्द्र सरकार से नहीं किया। इसी कारण आज उत्तराखण्ड की राजनैतिक शक्ति सदा के लिए दफन हो गयी। ऐसे सत्तालोलुप व उत्तराखण्ड के हितों को रौंदने वाले नेताओं का भी उत्तराखण्ड की जनता को राजनीति से हाशिये में धकेलना चाहिए। आगामी 30 जनवरी को उत्तराखण्ड की पावन धरती से सफाया करें। जो गैरसैंण की बात करेगा वो उत्तराखण्ड में राज करेगा।
सभी उत्तराखण्डियों से निवेदन हे कि जो भी दल व नेता उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन में राज्य गठन आंदोलनकारियों के हत्यारों को टिकट देने का दुशाहस करे उस पार्टी का उत्तराखण्ड से आगामी विधानसभा चुनाव में सफाया करें और जो नेता ऐसा दुशाहस करें उसका सार्वजनिक बहिष्कार करें। जो दल गैरसैंण राजधानी बनाने का संकल्प नहीं लेता है उसे उत्तराखण्ड द्रोही मान कर उसको भी चुनाव में सबक सिखायें। उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र में जनसंख्या पर आधारित परिसीमन को थोपने का जो कुकृत्य किया गया उसमें षडयंत्रकारी तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी व भाजपा के मुख्यमंत्री खंडूडी ने षडयंत्रकारी चुप्पी रखी, इसका पुरजोर विरोध केन्द्र सरकार से नहीं किया। इसी कारण आज उत्तराखण्ड की राजनैतिक शक्ति सदा के लिए दफन हो गयी। ऐसे सत्तालोलुप व उत्तराखण्ड के हितों को रौंदने वाले नेताओं का भी उत्तराखण्ड की जनता को राजनीति से हाशिये में धकेलना चाहिए। आगामी 30 जनवरी को उत्तराखण्ड की पावन धरती से सफाया करें। जो गैरसैंण की बात करेगा वो उत्तराखण्ड में राज करेगा।
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