-काम न धाम कैसे बने है राजनेता धन्नाशाह/
-काम न धाम कैसे बने है राजनेता धन्नाशाह/
-नेता, समाजसेवी, संत सहित अधिकांश बने है मालामाल, आम जनता हो गयी है बेहाल/
भले ही चंद दशक पहले आजादी के संग्राम के दिनों भारत में राजनीति को वीर, चिंतक, संघर्षशील , देश व समाज के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने वाले भारत माता के सच्चे सपूतों का का पावन कर्म क्षेत्र माना जाता था। परन्तु आज राजनीति व समाजसेवा का पेशा अकूत धन दौलत कमाने की आश से राजनीति में पदार्पण करने वालों का बर्चस्व हो गया है। देश से अंग्रेजो को खदेड़ने के लिए राष्ट्र व्यापी जनांदोलन छेडने वाले महात्मा गांधी ने राजनीति के क्षेत्र में कदम रख कर अपने तन के कपड़ों तक का त्याग कर दिया था। नेताजी सुभाष चंद बोस ने सिविल सेवा के उच्चाधिकारी का पद ही ठुकरा कर अपने आप को देश की सेवा के लिए अर्पित कर दिया। आजाद, भगतसिंह सहित लाखों महान सपूतों ने भारतीय आजादी को हासिल करने के लिए अपनी शहादत ही दे दी थी। परन्तु इनकी शहादत से हासिल आजादी के साढ़े छह दशक से कम समय में इस देश में राजनीति ही नहीं समाजसेवा, शिक्षा, चिकित्सा, धर्म व न्याय के पावन मठाधीशों का चाल, ढाल व चेहरा ही ऐसा बदल गया कि उनके पास इतना बैभव हो गया कि बड़े बडे उद्योगपति भी उनकी सम्पति के आगे बौने पड़ गये।
आज कोई देश के अधिकांश राजनेताओं की घोषित सम्पति देखे तो उनकी आंखे फटी की फटी रह जाय। हालांकि घोषित सम्पति से 100 से हजार गुना अधिक इनकी सम्पति होने की कायश लगाया जाता है। सबसे हैरानी की बात यह है कि अधिकांश राजनेताओं के बारे में उनके क्षेत्र की आम जनता जानती है कि साधारण घरानों में जन्में इन राजनेताओं के प्रारम्भिक दिन सामान्य आम आदमी की तरह ही किसी प्रकार से संघर्षमय जीवन यापन का ही रहा। परन्तु राजसत्ता के चंद सालों बाद ही इनकी सम्पति में बिना किसी उद्यम के इसकी सम्पति करोड़ों ही नहीं अरबों में हो गयी।
कानून का शिकंजा क्या करेगा, अपवाद के तौर पर एकाद को जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए भले ही कोई सजा मिली हो पर आज भी देश की जनता के आंखों के सामने पंजाब के मुख्यमंत्री बादल पर अमरिन्दर सिंह के द्वारा लगाये गये अकूत सम्पति के आरोप, भजन लाल व देवी लाल परिवार में एक दूसरे पर लगाये गये करोड़ों करोड़ सम्पति अर्जित करने के आरोप, मायावती व मुलायम सिंह पर लगे अकूत सम्पति अर्जित करने के आरोप, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व मंत्री रेड्डी बंधुओं पर लगे अकूत सम्पति का अरोप, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री निशंक जो शिशु मंदिर के एक साधारण अध्यापक से आज करोड़ों की सम्पति के मालिक, करूणानिधी, राजा, मारन, जय ललिता, ठाकरे परिवार, ही नहीं राजनीति में पदार्पण करने वाले अधिकांश राजनेता चंद सालों में करोड़पति बन जाते है। भले ही वे कागचों में अपनी सम्पति हजारों या लाखों में दिखाये। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला हो या कलमाड़ी इन राजनेताओं की यह सूची कभी कम होने का नाम ही नहीं ले सकती। हाॅं इसमें चंद कामरेड़, ममता बनर्जी व रक्षा मंत्री ऐथोनी जैसे लोग अपवाद है। देश के विख्यात समाजवादी नेता जार्ज फर्नाडिस के पास तो करोड़ों की सम्पति अब उनके वारिसों के बीच विवाद का कारण भी बन गयी है।
5 राज्यों (उप्र-403, पंजाब,-117 उत्तराखण्ड-17, मणिपुर-60 व गोवा -40) में हो रहे चुनाव में 690 वर्तमान विधायकों में से 35 प्रतिषत यानी 239 विधायक करोड़पति है। सबसे अधिक करोड़पति विधायक पंजाब में है वहां 117 में से 78 विधायक यानी 67 प्रतिषत करोड़पति है। सबसे कम मणिपुर में विधायक करोड़पति है यहां 60 में से सबसे कम यानी 1 ही विधायक करोड़पति है। वहीं सबसे गरीब विधायकों में मणिपुर के थानगखोलन होकिप जो राजद के चंदेल विधानसभा से विधायक है उनकी 0 सम्पति है। दूसरे नम्बर पर यानी 690 विधायकों में दूसरे नम्बर के सबसे गरीब विधायक नरेन्द्र नगर से उक्रांद के विधायक ओम गोपाल हैं जिनकी कुल सम्पति 20 हजार रूपये है। उत्तराखण्ड में 70 में से 11 विधायक यानी 16 प्रतिषत विधायक करोड़पति है। वहीं उत्तर प्रदेष में 32 प्रतिषत व गोवा में 55 प्रतिषत विधायक करोड़पति है। गोवा के निर्दलीय विधायक अनिल वासुदेव 71ए40ए84ए216 रूपये यानी 71 करोड़ की कुल सम्पति के साथ पांच राज्यों के करोड़पति विधायकों में भी सर्वोच्च स्थान पर विराजमान है। दूसरे नम्बर पर पंजाब के अमरिन्दर सिंह पटियाला विधानसभा के कांग्रेसी सदस्य करोड़पति हैं। इस सूची में 9 वें स्थान पर व उत्तराखण्ड की सबसे करोड़पति विधायक अमृता रावत हैं जो कांग्रेस पार्टी से वर्तमान में रामनगर विधानसभा से प्रत्याषी है। उत्तराखण्ड में उनके बाद सबसे अधिक सम्पति वाले विधायकों में दो बहुजन समाज पार्टी के विधायक हैं। बसपा के बाहदराबाद के विधायक षहजाद के पास 4.48 करोड़ व सितार गंज से बसपा के नारायण पाल के पास 3.84 करोड़ रूपये की सम्पति है।
प्रदेश की राजनीति में यकायक उभर कर कांग्रेसी मठाधीशों की कृपा से सहजपुर से कांग्रेसी प्रत्याशी बने कांग्रेसी दिग्गज व पूर्व मुख्यमंत्री तिवारी के ओएसड़ी रहे आर्येन्ö शर्मा भी चंद सालों में करोड़ों की सम्पति का मालिक होते देख कर प्रदेश के लोग हस्तप्रद हैं। ओएसडी से राजनेता के रूप से राजनैतिक सफर शुरू करने वाले आर्येद्र शर्मा के पास नकदी 3,01,545 रुपये, पत्नी के पास 1,87,600 रुपये, बैंक डिपोजिट 77,49,369 रुपये, पत्नी के नाम 13,26,715 रुपये, आश्रितों के नाम 16,66,068 रुपये, डिवेंचर व शेयर निवेश 1,55,000 रुपये, पत्नी के नाम 7,35,065 रुपये, बीमा पालिसी व डाकघर बचत 10,84,757 रुपये, पत्नी के नाम 11,21,600, आश्रितों के नाम 50 हजार रुपये, वाहनों की कीमत एक लाख रुपये, ज्वैलरी पांच लाख रुपये, पत्नी के पास ज्वैलरी 6,10,000 रुपये, कृषि योग्य भूमि कीमत 22 लाख रुपये, बैंक कर्ज स्वयं के नाम 23,22,750 रुपये, पत्नी के नाम 6,50,000 रुपये।
अब तो यह हाल हो गया कि इस देश में संत-फकीरी भी आज अरबपतियों को मात देने वाला बन गया है। देश में एक दो नहीं हजारों अरबपति बाबा हैं। जो त्याग, तपस्या, लोभ, मोह व सांसारिक पदार्थो की लालशा से दूर रह कर लोक परलोक सुधारने की बात करते हैं उनमें से हजारों बाबा ऐसे है जो बाबा रामदेव की तरह अरबों की सम्पति का आनन्द ले रहे है। हालत इतनी शर्मनाक हो गयी कि कई चपरासी से लेकर बाबू तक करोड़ों की सम्पति के स्वामी बने पाये गये। अधिकारियों की सम्पति का तो कोई थाह ही नहीं । फकीरी सा जीवन यापन करने वाले बाबाओं के पास अकूत सम्पति किसी राजनेता व उद्योगपति को भी मात करने वाली देखी जा रही है।
-नेता, समाजसेवी, संत सहित अधिकांश बने है मालामाल, आम जनता हो गयी है बेहाल/
भले ही चंद दशक पहले आजादी के संग्राम के दिनों भारत में राजनीति को वीर, चिंतक, संघर्षशील , देश व समाज के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने वाले भारत माता के सच्चे सपूतों का का पावन कर्म क्षेत्र माना जाता था। परन्तु आज राजनीति व समाजसेवा का पेशा अकूत धन दौलत कमाने की आश से राजनीति में पदार्पण करने वालों का बर्चस्व हो गया है। देश से अंग्रेजो को खदेड़ने के लिए राष्ट्र व्यापी जनांदोलन छेडने वाले महात्मा गांधी ने राजनीति के क्षेत्र में कदम रख कर अपने तन के कपड़ों तक का त्याग कर दिया था। नेताजी सुभाष चंद बोस ने सिविल सेवा के उच्चाधिकारी का पद ही ठुकरा कर अपने आप को देश की सेवा के लिए अर्पित कर दिया। आजाद, भगतसिंह सहित लाखों महान सपूतों ने भारतीय आजादी को हासिल करने के लिए अपनी शहादत ही दे दी थी। परन्तु इनकी शहादत से हासिल आजादी के साढ़े छह दशक से कम समय में इस देश में राजनीति ही नहीं समाजसेवा, शिक्षा, चिकित्सा, धर्म व न्याय के पावन मठाधीशों का चाल, ढाल व चेहरा ही ऐसा बदल गया कि उनके पास इतना बैभव हो गया कि बड़े बडे उद्योगपति भी उनकी सम्पति के आगे बौने पड़ गये।
आज कोई देश के अधिकांश राजनेताओं की घोषित सम्पति देखे तो उनकी आंखे फटी की फटी रह जाय। हालांकि घोषित सम्पति से 100 से हजार गुना अधिक इनकी सम्पति होने की कायश लगाया जाता है। सबसे हैरानी की बात यह है कि अधिकांश राजनेताओं के बारे में उनके क्षेत्र की आम जनता जानती है कि साधारण घरानों में जन्में इन राजनेताओं के प्रारम्भिक दिन सामान्य आम आदमी की तरह ही किसी प्रकार से संघर्षमय जीवन यापन का ही रहा। परन्तु राजसत्ता के चंद सालों बाद ही इनकी सम्पति में बिना किसी उद्यम के इसकी सम्पति करोड़ों ही नहीं अरबों में हो गयी।
कानून का शिकंजा क्या करेगा, अपवाद के तौर पर एकाद को जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए भले ही कोई सजा मिली हो पर आज भी देश की जनता के आंखों के सामने पंजाब के मुख्यमंत्री बादल पर अमरिन्दर सिंह के द्वारा लगाये गये अकूत सम्पति के आरोप, भजन लाल व देवी लाल परिवार में एक दूसरे पर लगाये गये करोड़ों करोड़ सम्पति अर्जित करने के आरोप, मायावती व मुलायम सिंह पर लगे अकूत सम्पति अर्जित करने के आरोप, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व मंत्री रेड्डी बंधुओं पर लगे अकूत सम्पति का अरोप, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री निशंक जो शिशु मंदिर के एक साधारण अध्यापक से आज करोड़ों की सम्पति के मालिक, करूणानिधी, राजा, मारन, जय ललिता, ठाकरे परिवार, ही नहीं राजनीति में पदार्पण करने वाले अधिकांश राजनेता चंद सालों में करोड़पति बन जाते है। भले ही वे कागचों में अपनी सम्पति हजारों या लाखों में दिखाये। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला हो या कलमाड़ी इन राजनेताओं की यह सूची कभी कम होने का नाम ही नहीं ले सकती। हाॅं इसमें चंद कामरेड़, ममता बनर्जी व रक्षा मंत्री ऐथोनी जैसे लोग अपवाद है। देश के विख्यात समाजवादी नेता जार्ज फर्नाडिस के पास तो करोड़ों की सम्पति अब उनके वारिसों के बीच विवाद का कारण भी बन गयी है।
5 राज्यों (उप्र-403, पंजाब,-117 उत्तराखण्ड-17, मणिपुर-60 व गोवा -40) में हो रहे चुनाव में 690 वर्तमान विधायकों में से 35 प्रतिषत यानी 239 विधायक करोड़पति है। सबसे अधिक करोड़पति विधायक पंजाब में है वहां 117 में से 78 विधायक यानी 67 प्रतिषत करोड़पति है। सबसे कम मणिपुर में विधायक करोड़पति है यहां 60 में से सबसे कम यानी 1 ही विधायक करोड़पति है। वहीं सबसे गरीब विधायकों में मणिपुर के थानगखोलन होकिप जो राजद के चंदेल विधानसभा से विधायक है उनकी 0 सम्पति है। दूसरे नम्बर पर यानी 690 विधायकों में दूसरे नम्बर के सबसे गरीब विधायक नरेन्द्र नगर से उक्रांद के विधायक ओम गोपाल हैं जिनकी कुल सम्पति 20 हजार रूपये है। उत्तराखण्ड में 70 में से 11 विधायक यानी 16 प्रतिषत विधायक करोड़पति है। वहीं उत्तर प्रदेष में 32 प्रतिषत व गोवा में 55 प्रतिषत विधायक करोड़पति है। गोवा के निर्दलीय विधायक अनिल वासुदेव 71ए40ए84ए216 रूपये यानी 71 करोड़ की कुल सम्पति के साथ पांच राज्यों के करोड़पति विधायकों में भी सर्वोच्च स्थान पर विराजमान है। दूसरे नम्बर पर पंजाब के अमरिन्दर सिंह पटियाला विधानसभा के कांग्रेसी सदस्य करोड़पति हैं। इस सूची में 9 वें स्थान पर व उत्तराखण्ड की सबसे करोड़पति विधायक अमृता रावत हैं जो कांग्रेस पार्टी से वर्तमान में रामनगर विधानसभा से प्रत्याषी है। उत्तराखण्ड में उनके बाद सबसे अधिक सम्पति वाले विधायकों में दो बहुजन समाज पार्टी के विधायक हैं। बसपा के बाहदराबाद के विधायक षहजाद के पास 4.48 करोड़ व सितार गंज से बसपा के नारायण पाल के पास 3.84 करोड़ रूपये की सम्पति है।
प्रदेश की राजनीति में यकायक उभर कर कांग्रेसी मठाधीशों की कृपा से सहजपुर से कांग्रेसी प्रत्याशी बने कांग्रेसी दिग्गज व पूर्व मुख्यमंत्री तिवारी के ओएसड़ी रहे आर्येन्ö शर्मा भी चंद सालों में करोड़ों की सम्पति का मालिक होते देख कर प्रदेश के लोग हस्तप्रद हैं। ओएसडी से राजनेता के रूप से राजनैतिक सफर शुरू करने वाले आर्येद्र शर्मा के पास नकदी 3,01,545 रुपये, पत्नी के पास 1,87,600 रुपये, बैंक डिपोजिट 77,49,369 रुपये, पत्नी के नाम 13,26,715 रुपये, आश्रितों के नाम 16,66,068 रुपये, डिवेंचर व शेयर निवेश 1,55,000 रुपये, पत्नी के नाम 7,35,065 रुपये, बीमा पालिसी व डाकघर बचत 10,84,757 रुपये, पत्नी के नाम 11,21,600, आश्रितों के नाम 50 हजार रुपये, वाहनों की कीमत एक लाख रुपये, ज्वैलरी पांच लाख रुपये, पत्नी के पास ज्वैलरी 6,10,000 रुपये, कृषि योग्य भूमि कीमत 22 लाख रुपये, बैंक कर्ज स्वयं के नाम 23,22,750 रुपये, पत्नी के नाम 6,50,000 रुपये।
अब तो यह हाल हो गया कि इस देश में संत-फकीरी भी आज अरबपतियों को मात देने वाला बन गया है। देश में एक दो नहीं हजारों अरबपति बाबा हैं। जो त्याग, तपस्या, लोभ, मोह व सांसारिक पदार्थो की लालशा से दूर रह कर लोक परलोक सुधारने की बात करते हैं उनमें से हजारों बाबा ऐसे है जो बाबा रामदेव की तरह अरबों की सम्पति का आनन्द ले रहे है। हालत इतनी शर्मनाक हो गयी कि कई चपरासी से लेकर बाबू तक करोड़ों की सम्पति के स्वामी बने पाये गये। अधिकारियों की सम्पति का तो कोई थाह ही नहीं । फकीरी सा जीवन यापन करने वाले बाबाओं के पास अकूत सम्पति किसी राजनेता व उद्योगपति को भी मात करने वाली देखी जा रही है।
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