उत्तराखण्ड सरकार के भ्रश्टाचार पर मूक रहने वाले बाबा रामदेव माफी मांगे
उत्तराखण्ड सरकार के भ्रश्टाचार पर मूक रहने वाले बाबा रामदेव माफी मांगे/
चुनावी राज्यों में अभियान यात्रा निकालने से पहले उत्तराखण्ड की जनता से /
बाबा रामदेव भी 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में इन राज्यों में भी अपना कालाधन पर चल रहे अभियान करेंगे। मेरा साफ मानना है कि कालाधन भ्रश्टाचार के कारण ही होता है और बाबा रामदेव जब अपने प्रदेष जहां उनका मुख्यालय है उस प्रदेष में भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रश्टाचार के मामले में षर्मनाक मूक रखे रहे, तो उनको कालाधन पर कम से कम उत्तराखण्ड की जनता के सम्मुख कालाधन पर बात करने का नैतिक अधिकार खो दिया है। जब बाबा उत्तराखण्ड सरकार के उस मंत्री जिसपर उन्होंने 1 करोड़ रूपये घूस मांगने की नापाक कोषिष की उसका नाम ही उजागर करने का साहस तक नहीं जुटा पा रहे हैं तो उनको इस मांमले में बोलने का कोई हक नहीं है। बाबा रामदेव ने देष व भारतीय संस्कृति के लिए प्रारम्भ में बहुत काम किया। परन्तु जनांदोलन चलाते समय अनुभवहीनता, सम्पति से अंध मोह, निश्पक्षता व नैतिक साहस न होने के कारण वे जहां रामलीला मैदान में असफल रहे, और अब तक भी। कांग्रेस हो या भाजपा सहित राजनैतिक दल ये सब पदलोलुपु व देष की सत्ता की बंदरबांट व देष को पतन के गर्त में धकेलने के अपराधी हैं परन्तु बाबा रामदेव का अपने घर के भ्रश्टाचार पर मूक रहना उनकी नैतिकता पर ही प्रष्नचिन्ह लगाता है। इस कारण देवभूमि उत्तराखण्ड में ही नहीं इस मुद्दे पर बोलने का नैतिक हक खो चूके है। उनको ही नहीं टीम अण्णा को भी उत्तराखण्ड की जनता सहित देष की तमाम उस जनता से माफी मांगनी चाहिए कि वे जनविष्वास पर खरे न उतर पर उत्तराखण्ड की भ्रश्ट सरकार के कुषासन पर मूक रहे। बाबा रामदेव को साफ समझलेना चाहिए कि भ्रश्टाचार ही कालाधन के प्राण है।
चुनावी राज्यों में अभियान यात्रा निकालने से पहले उत्तराखण्ड की जनता से /
बाबा रामदेव भी 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में इन राज्यों में भी अपना कालाधन पर चल रहे अभियान करेंगे। मेरा साफ मानना है कि कालाधन भ्रश्टाचार के कारण ही होता है और बाबा रामदेव जब अपने प्रदेष जहां उनका मुख्यालय है उस प्रदेष में भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रश्टाचार के मामले में षर्मनाक मूक रखे रहे, तो उनको कालाधन पर कम से कम उत्तराखण्ड की जनता के सम्मुख कालाधन पर बात करने का नैतिक अधिकार खो दिया है। जब बाबा उत्तराखण्ड सरकार के उस मंत्री जिसपर उन्होंने 1 करोड़ रूपये घूस मांगने की नापाक कोषिष की उसका नाम ही उजागर करने का साहस तक नहीं जुटा पा रहे हैं तो उनको इस मांमले में बोलने का कोई हक नहीं है। बाबा रामदेव ने देष व भारतीय संस्कृति के लिए प्रारम्भ में बहुत काम किया। परन्तु जनांदोलन चलाते समय अनुभवहीनता, सम्पति से अंध मोह, निश्पक्षता व नैतिक साहस न होने के कारण वे जहां रामलीला मैदान में असफल रहे, और अब तक भी। कांग्रेस हो या भाजपा सहित राजनैतिक दल ये सब पदलोलुपु व देष की सत्ता की बंदरबांट व देष को पतन के गर्त में धकेलने के अपराधी हैं परन्तु बाबा रामदेव का अपने घर के भ्रश्टाचार पर मूक रहना उनकी नैतिकता पर ही प्रष्नचिन्ह लगाता है। इस कारण देवभूमि उत्तराखण्ड में ही नहीं इस मुद्दे पर बोलने का नैतिक हक खो चूके है। उनको ही नहीं टीम अण्णा को भी उत्तराखण्ड की जनता सहित देष की तमाम उस जनता से माफी मांगनी चाहिए कि वे जनविष्वास पर खरे न उतर पर उत्तराखण्ड की भ्रश्ट सरकार के कुषासन पर मूक रहे। बाबा रामदेव को साफ समझलेना चाहिए कि भ्रश्टाचार ही कालाधन के प्राण है।
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