कोटद्वार के जनाक्रोश से सहमे हैं खंडूडी सहित भाजपा नेतृत्व

-कोटद्वार के जनाक्रोश से सहमे हैं खंडूडी सहित भाजपा नेतृत्व/
-इंदिरा जैसी मात खानी पड़ सकती है खंडूडी को
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चुनाव से दो दिन पहले जिस प्रकार से कोटद्वार में भाजपा के पक्ष में सरकारी मिषनरी के भारी दुरप्रयोग  को देखकर वहां की जनता ने जिस प्रखरता से अपना आक्रोष प्रकट किया उसने प्रदेष की जनता के जेहन में सत्तामद में चूर षासकों द्वारा जनादेष को रौंदने वाला दो दषक पहले हुए गढ़वाल लोकसभा उपचुनाव के जख्मों को कुरेदकर जागृत कर दिया। इस आक्रोश की प्रतिध्वनि 30 जनवरी को जिस प्रकार से जनता ने कोटद्वार सहित प्रदेश के अन्य भागों में भारी मतदान करके किया उससे प्रदेश की सत्ता में फिर से आसीन होने के दिवास्वप्न देख रहे मुख्यमंत्री खंडूडी व भाजपा नेतृत्व की नींद हराम हो गई।
हालांकि भाजपा के मुख्यमंत्री व दिल्ली में भाजपा के आला नेतृत्व अपनी खाल बचाने के लिए मुख्यमंत्री खंडूडी के विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में षराब व धनबल का विरोध करने वाले कांग्रेसी प्रत्याषी सुरेन्द्र नेगी की ही षिकायत चुनाव आयोग से करके अपने आप को पाक साफ बन रहे है। परन्तु हकीकत कोटद्वार की जनता जानती है। कांग्रेसी प्रत्याषी नेगी व यहां की जनता का आरोप है कि खंडूडी को यहां से हर हाल में जीताने के लिए षासन प्रषासन का जम कर दुरप्रयोग कर रहे है। यहां पर िजिस प्रकार से षराब वितरण प्रकरण पर यह विवाद उभरा, उससे खंडूडी व पूरी भाजपा कटघरे में जनता की नजरों में घिर गयी। प्रदेष की जनता का इतिहास रहा कि यहां पर सत्तामद में जनादेष को रौंदने या हरण करने वालों को जनता करारा सबक सिखाती है। इस प्रकरण का सीधा प्रभाव पूरे प्रदेष के मतदान पर पड़ा। हर हाल में खंडूडी जरूरी का अलोकषाही राग अलापने वाली भाजपा को कोटद्वार की जनता ने ऐसा सबक सिखाया कि भाजपा नेतृत्व के चेहरे की हवाईयां उड गयी है।  गौरतलब है कि जिस प्रकार से खंडूडी ने षासन प्रषासन की मदद सेयहां से चुनावी जंग जीतने का प्रयास किया उससे उनके खिलाफ यहां जनता में भारी आक्रोश देखने में आया। इसका सीधा खमियाजा चुनाव परिणाम में सामने आये तो किसी को कोई आष्चर्य नहीं होगा। लोगों का विष्वास है कि अगर ईमानदारी से चुनाव परिणाम घोशित हुए तो यहां से खंडूडी को मुंह की खानी पड़ सकती है।
इस हार के लिए भाजपा आला नेतृत्व के साथ खुद खंडूडी ही जिम्मेदार होगे। चुनाव आयोग को यहां पर कड़ी व निश्पक्ष निगरागी  रखनी चाहिए। नहीं तो सत्तामद में चूर लोग कुछ भी करने के लिए घात लगा कर बेठे होगे। भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री के लिए खंडूडी के नाम का ऐलान करके खुद ही अपना अलोकत्रांत्रिक चेहरा बेनकाब कर दिया है। पार्टी के अब तक के विज्ञापनों में भी जो प्रमुखता से प्रदेश के समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जा रहा है कि खण्डूडी जरूरी है। इसी के साथ प्रदेश के प्रभारी व पूर्व भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी ऐलान कर चूके हैं कि यदि भाजपा सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री खंडूडी ही होगें। भाजपा की उक्त घोषणा लोकशाही का अपमान के साथ हमारे संविधान का भी अपमान है जिसमें साफ कहा गया कि मुख्यमंत्री चुनाव के बाद पर्याप्त बहुमत हासिल करने वाले दल के विधायक निर्वाचित होने के बाद करेंगे। कुछ साल पहले तक भाजपा, पूर्व में कांग्रेस द्वारा किये जाने वाले इस प्रकार के कार्य को अलोकतांत्रिक बताती थी। वहीं जमीनी हकीकत यह है कि कोटद्वार विधानसभा सीट से जहां से खंडूडी विधायकी का चुनाव लड़ रहे है। वहां पर उनको कांग्रेस के दिग्गज प्रत्याशी पूर्व मंत्री सुरेन्द्रसिंह नेगी से मुकाबले में इस सर्दी में भी पसीना छूट रहा है। चुनाव में अपने विरोधी को 21 पाते हुए खंडूडी ने जहां कांग्रेस के कुछ असंतुष्टों को अपने पाले में लाने की कोशिश की परन्तु कड़ा मुकाबला देख कर भाजपा नेतृत्व भी परेशान है। इसी कारण लगातार भाजपा खंडूडी पर फोकस करने वाले विज्ञापन निकाल कर किसी तरह से अपनी लाज बचाने का प्रयास कर रही है। कोटद्वार में खंडूडी की डगर कठिन देख कर ही खंडूडी को उबारने के लिए रणनीति के तहत राजनाथ सिंह को भी खंडूडी को अगर भाजपा फिर से प्रदेश में सत्तासीन होती है तो मुख्यमंत्री बनाया जायेगा की घोषणा करनी पड़ी। इंटरनेट पर गढ़वाल कुमाऊ पीपल फ्रंट ने भी भाजपा के ‘खंडूडी है जरूरी......वाले विज्ञापन पर गहरा कटाक्ष करते हुए टिप्पणी की कि खंडूडी के साथ प्रदेश को निशंग-सारंगी -उमेश फ्री....’। परन्तु मात्र अखबारी बयानबाजी से जमीनी हकीकत नहीं बदली जा सकती। प्रदेश की जनता को मालुम है कि ईमानदारी का मुखोटा पहने वाली भाजपा सरकार में खंडूडी -निशंक-उमेश-सारंगी की जुगलबंदी से प्रदेश में कितना सुशासन व भ्रष्टाचार मिटा। वेसे भी खंडूडी की लोकप्रियता का आलम यह है कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश की पांचों लोकसभाई सीट पर से भाजपा का पूरी तरह सफाया हो गया। वे कितने लोकप्रिय है कि उनको अपने विधायकी सीट धूमाकोट जो अब लैन्सीडान के नाम से जानी जा रही है वहां से चुनाव मैदान में उतरने का कांग्रेसी नेता हरक सिंह की तरह ही साहस न जुटा कर भाग खडे हुये। भाजपा व कांग्रेस के दिग्गज नेताओं द्वारा लैन्सीडान सीट से भाग खडे होने पर यहां से भाजपा व कांग्रेस का सुपड़ा साफ करने के लिए मैदान में उतरे उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा के प्रमुख ले. जनरल तेजपाल सिंह रावत ने इन दोनों को भगोड़ा कह कर बेनकाब किया। आज दूसरे चुनाव क्षेत्रों में उतरे ये दिग्गज अपने पार्टी के नेताओं की राजनैतिक जीवन को हाशिये में डालने के लिए उनकी विधानसभा से चुनाव मैदान में उतरे है। इसी कारण खंडूडी के कोटद्वार से चुनावी दंगल से उतरने से यहां से भाजपा के विधायक रहे एस एस रावत भी खंडूडी से खपा हैं। वहीं हरक सिंह द्वारा रूद्र प्रयाग जाने से रूद्र प्रयाग के कांग्रेसी उनके खिलाफ चुनावी दंगल में ही उतर गये है। इस प्रकार खंडूडी को कोटद्वार में अपने प्रतिद्वंदी से कमजोर देख कर भाजपा ने उनकी माली हालत में सुधारने के लिए उनको फिर से मुख्यमंत्री बनाने व खंडूडी जरूरी का टोटका चला। देखना है खंडूडी क्या बिना उन्नसी बीस करके यहां पर चुनाव जीत पाते या नहीं। हालांकि कोटद्वार से जो खबरे छन कर आ रही है कि खंडूडी का मुख्यमंत्री तो बनेगे बाद में जब पहले वे कोटद्वार से विजयी तो हों।

शेष श्री कृष्ण कृपा। हरि ¬ तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।

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