स्वामी विवेकानन्द की प्रेरणा ने बनाया आत्म हत्या को उतारू अण्णा हजारे को महानायक

जन लोकपाल तक ही नहीं अपितु देष में लोकराज स्थापित करके दम लेगें अण्णा /
स्वामी विवेकानन्द की प्रेरणा ने बनाया आत्म हत्या को उतारू अण्णा हजारे को महानायक/


भ्रश्टाचार की चुगल में दम तोड़ रहे भारत को बचाने के लिए जनलोकपाल कानून बनाने की मांग ंको लेकर 6 अगस्त 2011 से जारी अपने विष्व विख्यात आमरण अनषन के सौ घण्टे पूरे होने पर आज 20 अगस्त 2011 की दोपहर में ऐतिहासिक संबोधन में भारत के इस नये गांधी अण्णा हजारे ने दो टूक षब्दों में ऐलान किया कि वे अपना संघर्श केवल जनलोकपाल कानून बनाने तक ही सीमित नहीं रखेंगे, अपितु वे अपने इस संघर्श को देष में लोकराज स्थापित करके ही दम लेंगे। अपने वर्तमान अनषन के घण्टों का षतक बनाने के अवसर पर आत्मविष्वास से भरपूर अण्णा हजारे ने देष के हुक्मरानों को देष की आजादी के 64 साल बाद भी लोकराज से वंचित रखने की कड़ी भत्र्सना की है। उन्होने कहा कि देष को बाहरी दुष्मनों से अधिक देष के सत्ता के पहरेदारों से (राजनेताओं) अधिक खतरा है तथा देष के खजाने को चोरों से नहीं अपितु इसके रखवालों से ही खतरा हो गया है।
बोलीबुड के विख्यात कलाकार मनोज तिवारी द्वारा इस अवसर पर गाये गये विषेश गीत ‘मैं अण्णा बोल रहा हॅू. ..’ने जहां रामलीला मैदान में उपस्थित हजारों लोगों को झूमने के लिए विवष कर दिया वहीं इस गीत व नौजवानों के जज्बे से अभिभूत हो कर अण्णा ने कहा कि वे देष के गरीब किसान, मजदूर व आम जनता का षोशण किसी हाल में नहीं होंने देंगे। अपने अनषन का षतक पूरा होने के अवसर पर अण्णा ने नौजवानों के जज्बें को विषेश रूप से सलाम करते हुए कहा कि जब वे 26 साल के थे तब वे देष में व्यापत भ्रश्टाचार से इतने व्यथित थे कि उनको आत्महत्या करने का मन करने लगता , परन्तु स्वामी विवेकानन्द के विचारों ने उनके जीवन में आमूल परिवर्तन ला दिया, उन्होंने अपना सारा जीवन देष व मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने इस अवसर पर अपने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपना आजीवन अविवाहित रहने के निर्णय पर खुद ही टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर वो षादी भी कर लेते तो केवल एक दो बच्चे होते व वे उनको पढ़ाने लिखाने में ही खप जाते, परन्तु आज मेरा सारा भारत ही अपना परिवार है। इतना बड़ा परिवार व इतना स्नेह व सम्मान पा कर वे अपने आप को षौभाग्यषाली समझते है। इस अवसर पर अण्णा की टीम की प्रमुख सेनापति किरण बेदी ने कहा कि सरकार सहित जो लोग अण्णा की टीम पर लोकषाही को कमजोर करने का आरोप लगा रहे हैं उनको लोकषाही के सदृढ़ ब्रिट्रेन, अमेरिका, फ्रांस, जापान, जर्मनी इत्यादि देषों से सीख लेनी चाहिए कि ये देष कानून बनाने से पहले जनता के समक्ष इस पर गहन सलाह मंथन करते है। परन्तु भारत में सरकार व कुछ राजनेता, भारत में कानून जनता के मतों के अनुसार बनाने को लोकषाही को कमजोर करने का हास्यास्पद आरोप गला कर लोकषाही को कमजोर कर रहे हैं। इस अवसर पर मंच का कुषल संचालन करने वाले डा विष्वास के औजस्वी षेर षायरी व सटीक गीतों से यहां पर आये हजारों नौजवान स्वर में स्वर मिला कर पूरे वातावरण को अण्णामय ही बना रहे है। चारों तरफ तू भी अण्णा, मैं भी अण्णा....जैसे गीतों ने तो इस आंदोलन की फिजा ही बदल कर रख दी है। वहीं मनीश सिसोदिया के पर्दे के पीछे रह कर इस आंदोलन को मीडिया के सहयोग से जनांदोलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इससे पहले आज स्वामी अग्निवेष व मेधा पाटेकर के औजस्वी सारगर्भित भाशणों ने आंदोलनकारियों को उद्देलित कर दिया । वहीं जनलोकपाल व इस आमरण अनषन पर पत्रकारों के सटीक सवालों का जवाब देने में इस आंदोलन के मुख्य सुत्रधार अरविन्द केजरीवाल, प्रषांत भूशण व किरण वेदी ने अपनी बेबाक उतरों को जनता ने हर्शद ध्वनि से पूरा समर्थन किया। इस अवसर पर अनषनकारी अण्णा हजारे का स्वास्थ्य का निरंतर देखरेख कर रहे विष्व प्रसिद्व चिकित्सक त्रिहान ने जेसे ही अण्णा हजारे के अच्छे स्वास्थ्य का ऐलान किया तो पूरा रामलीला मैदान करतल हर्शध्वनि से गूंज उठा। आज घण्टों रामलीला मैदान में इस ऐतिहासिक जनांदोलन का सहभागी बनने के दौरान मेरे आंदोलनों के वरिश्ठ साथी व भाशा आंदोलन के राश्ट्रीय पुरोधा राजकरण सिंह, कर्मचारी यूनियन नेता हरि राम तिवारी व उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के साथी पत्रकार अनिल पंत व पवन गुप्ता साथ थे। 19 अगस्त को इस आंदेालन में मै अपने समाजसेवी साथी मोहन सिंह रावत के साथ सम्मलित रहा। यहां पर सबसे बड़ी आष्चर्य जनक बात यह है कि हजारों नौजवान दिन रात, कड़ी, धूप प्यास व वर्शा में भी इस आंदोलन में समर्पित हैं। जिस प्रकार से रामलीला मैदान व देष सहित विदेष में इस जनांदोलन को समर्थन मिल रहा है उसको जिस नासमझी व सत्तांध हो कर मनमोहन सिंह सरकार रौंदने की धृश्ठता कर रही है, वह कांग्रेस की ताबूत का कील ही साबित हो रहे हैं। राहुल गांधी को चाहिए कि अविलम्ब जनलोकपाल विधेयक पारित कराकर देष की रक्षा करें। नहीं तो यह जनांदोलन गांधी जी की इच्छा के अनुसार कांग्रेस को समाप्त करने का कारण बन सकता है।

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