देवभूमि उत्तराखण्ड को भ्रश्टाचार से मुक्ति दिलाने की कमान संभाल रहे हैं जनरल रावत

भ्रश्टाचारियों से देष की रक्षा की जंग का नेतृत्व भी कर रहे है पूर्व सैनिक अण्णा/
देवभूमि उत्तराखण्ड को भ्रश्टाचार से मुक्ति दिलाने की कमान संभाल रहे हैं जनरल रावत/


यह भी एक अदभूत संयोग है कि अपनी जान को दाव पर लगा कर देष के दूष्मनों को छक्का छुडाने वाले भारतीय सेना के जांबाज सैनिक सेवानिवृति के बाद देष को भ्रश्टाचार से तबाह कर रहे आंतरिक दुष्मनों से भी देष की रक्षा करने के लिए छेड़े गये जनांदोलन का नेतृत्व भी कर रहे है। जहां देष का नेतृत्व पूर्व सैनिक अण्णा हजारे कर रहे हैं वहीं भारतीय संस्कृति की उदगम स्थली उत्तराखण्ड को भ्रश्टाचार से मुक्त करने के लिए पूर्व ले. जनरल टीपीएस रावत ने भाजपा नेतृत्व के तमाम राजनैतिक प्रलोभनों को ठुकराते हुए ‘उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा के बैनरतले प्रदेष में जनांदोलन का षंखनाद कर प्रदेष की राजनीति में स्थापित भाजपा व कांग्रेस में हडकंप मचा दिया है। भ्रश्टाचार के आरोपों से आकंठ घिरी प्रदेष की निषंक सरकार भले ही जनता का ध्यान बांटने के लिए देष में चल रहे अण्णा के जनलोकपाल आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान कर रहे हो ं परन्तु भाजपा के पूर्व सांसद जनरल तेजपाल सिंह रावत ने अपनी ही सरकार के भ्रश्टाचारों से इतने व्यथित हुए कि उन्होंने ंदो टूक षब्दों में कहा कि प्रदेष की जनता व सेना ने मुझे इतना ज्यादा सम् मान दिया है, अब ऐसे समय जब प्रदेष के हुक्मरान षासन के नाम पर प्रदेष की जल, जंगल व जमीन को कोडियों केे भाव धनपषुओं को बेच रहे हैं तथा प्रदेष को भ्रश्टाचार के गर्त में धकेलने की धृश्ठता की जा रही है तो वे एक सैनिक होने के नाते अपनी मातृ भूमि की तबाही मूक हो कर नहीं देख सकते। उन्होंने कहा आज भाजपा व कांग्रेस सहित तमाम राजनैतिक दलों में जनहितों के लिए समर्पि त नेताओं के बजाय सत्तालोलुपता के लिए प्रदेष के हितों को दाव पर लगाने वाले तत्वों की भरमार है। इसी कारण प्रदेष की जनता जिसने प्रदेष गठन के लिए अपनी कुर्वानी दी थी वह इन नेताओं की खुली लुट खसोट देख कर ठगी सी महसूस कर रही है। उन्होंने कहा कि उन्होंने राजनीति में रहते हुए भी कभी अपने वसूलों से समझोता नही ं किया। कांग्रेस से भी उन्होंने त्यागपत्र इसी कारण दिया था कि संवैधानिक पदों पर कभी जनता की नजरों से उतर चूके हुए लोगों को आसीन नहीं करना चाहिए। उन्होंने तब भी कांग्रेस को छोड़ते समय कांग्रेस आलाकमान से अपनी इस दो टूक राय से अवगत करा दिया था। आज जब प्रदेष की दुर्दषा देख कर उनकी आत्मा उनको मूक नहीं रहने दे रही है। प्रदेष की भ्रश्ट सरकार से जनरल तेजपाल सिंह रावत काफी व्यथित है। अपनी पीड़ा से मर्मा हित हो कर उन्होने अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए प्रदेष को भ्रश्टाचार के रसातल में धकेल रही निषंक सरकार को सीधे कटघरे में ख्ंाड़ा कर िदया है। भ्रश्टाचार के खिलाफ 14 अगस्त 2011 को देहरादून के अपने सम्मेंलन में उनको पूर्व सैनिकों व आम जनता का मिला अपार समर्थन से उनके हौसले काफी बढ़े हुए है। उनके समर्पण व लोकप्रियता को देखते हुए उत्तराखण्ड जनविकास पार्टी के प्रमुख पूर्व आईएएस सुरेन्द्रसिंह पांगती ंने जनरल रावत के नेतृत्व को सहज ही स्वीकार कर प्रदेष की रक्षा के लिए कमर कस ली है। यही नहीं प्रदेष के जनप्रिय लोक गायक नरेन्द्रसिंह ंनेगी ने जिनके गीत प्रदेष की जनजन की सांसों में बसे हुए है, ने खुल कर तेजप ाल सिंह रावत के समर्थन में प्रदेष को भ्रश्टाचार से बचाने की कमर कस ली है।
अपने वसूलों व दृढ़ निर्णयों के लिए बहुत कम समय में प्रदेष की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान बनाने वाले जनरल रावत के नेतृत्व में जहां पूर्व सैनिकों ने अण्णा हजारे के जनलोकपाल का खुला समर्थन कर रहे हैं वही ंउत्तराखण्ड की भ्रश्टाचार से रक्षा के लिए वे जनरल रावत के नेतृत्व में जुट गये है। आगामी 27 अगस्त को श्रीनगर व सितम्बर के प्रथम सप्ताह में हल्द्वानि में आयो िजत सम्मेलनों से इस आंदोलन को निर्णायक गति देने में जनरल तेजपाल सिंह रावत व उनकी टीम जुटी हुई है। जिस प्रकार से अण्णा हजारे के साथ उनकी टीम के रूप में स्वामी अग्निवेष, मेधा पाटेकर, किरण वेदी, अरविन्द केजरीवाल, षांति भूशण, प्रषांत भूशण व मनीश सिसोदिया आदि प्रमुख है। वहीं जनरल टीपीएस के नव रत्नों में लोक गायक नरेन्द्रसिंह नेगी, सुरेन्द्रसिंह पांगती, मेजर जनरल षैलेन्द्र राज बहुगुणा, पी सी थपलियाल, ब्रिगेडियर एस एस पटवाल, भाजपा नेता राजेन्द्र भण्डारी व रघुवीर सिंह बिश्ट आदि प्रमुख है। अब देखना यह है कि उत्तराखण्ड की तमाम जनता ठीक उसी तरह से भ्रश्टाचार मिटाने के लिए जनरल रावत के नेतृत्व में उसी प्रकार जुटने की बुद्विमता दिखाती है कि जिस प्रकार से देष की जनता ने अण्णा हजारे के प्रति अपनी एकजुटता प्रदर्षित की। आज जरूरत है तमाम प्रकार के मतभेदों व किन्तु परन्तु व संकीर्ण अहं को छोड़ कर प्रदेष को भ्रश्टाचार के खिलाफ जन आवाहन करने के लिए दलगत राजनीति को दरकिनारा करने वाले जनरल तेजपाल सिंह रावत के आंदोलन को मजबूती प्रदान कर प्रदेष को भाजपा की भ्रश्ट सरकार के चुंगल से बचाने की । आज प्रदेष के पूर्व मुख्यमंत्री खंडूडी भी जनरल तेजपाल सिंह रावत की निषंक को मुख्यमंत्री न बनाने की दो टूक सलाह को न मानने के लिए पछता रहे हैं। परन्तु प्रदेष की जनता व पूर्व सैनिक यह देख कर हैरान है कि खंडूडी पूर्व सैनाधिकारी होने के बाबजूद क्यों प्रदेष सरकार के भ्रश्टाचार पर मूक हैं? निषंक को प्रदेष की सत्ता सोंपने की जनरल खंडूडी की भूल का दण्ड जहां वे खुद भोग रहे हैं वही ं पूरे प्रदेष को भी भोगना पड़ रहा है उसके बाबजूद खंडूडी जी प्रदेष की रक्षा के लिए जनरल रावत की तरह सीधे आगे आने का साहस तक नहीं जुटा पा रहे हैं। प्रदेष की जनता आज प्रदेष के हितों की रक्षा के लिए दलगत राजनीति से उपर उठ कर हुंकार भरने के ऐतिहासिक साहस को नमन ही नहीं अपितु अण्णा के आन्दोलन की तर्ज पर उनके आंदोलन का भी समर्थन करने का मन बना चूकी है। अगर इसमे ं जरा सी भी चूक हुई तो आने वाले समय में उत्तराखण्डियों के लिए पष्चाताप के लिए भी अवसर नही ं मिलेग ा। आज प्रदेष का षौभाग्य है कि प्रदेष मे ं ंतेजपाल सिंह रावत जैसे जनरल उत्तराखण्ड का नेत्त्व करने के लिए आगे आया है । उनके कद का एक अदना भी दलीय नेता प्रदेष की रक्षा के लिए दलगत राजनीति से उपर उठ कर आवाज उठाने का साहस तक नहीं जुटा पा रहा है ।

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