जनविरोधी प्रधानमंत्री मनमोहन को अविलम्ब हटा कर व जनलोकपाल को स्वीकार कर प्रधानमंत्री बने राहुल
अब जनलोकपाल लागू करने व मनमोहन सिंह के इस्तीफे के कम देष को मंजूर नहीं है
सरकार में लगता में जनहितों के लिए रत्ती भर भी न इच्छा रही है व नहीं कोई विवेकषाली नेता ही है जिसके दिल में लोकषाही के लिए एकांष भी सम्मान हो। मनमोहनसिंह का कभी सामाजिक सरोकारों से रहा दूर अपने पडोसियों से भी सामान्य मानवीय रिस्ता नहीं रहा होगा। नही तो वे लोकषाही के प्राण जनता के आंदोलन के मूलभूत अधिकार पर षर्मनाक अंकुष लगा कर भारतीय लोकषाही को कलंकित करने का निककृश्ठ काम तो नहीं करते। पहले अण्णा को अनषन की इजाजत न देना व अब पूरे देषवासियों ने सरकार को धिक्कारा तो उनकी मांग मानने के साथ आंदोलन करने का अधिकार बहाल करने के बजाय सरकार लोकषाही को रोंदने वाली अपनी निकृश्ठ मानसिकता का परिचय देते हुए केवल 15 दिन का अनषन की अनुमति दी। अब देष केवल नक्कारे साबित हो चुके प्रधानमंत्री मनमा ेहन को एक पल भी सत्तासीन देखना नहीं चाहता जिन्होंने अपनी अहं के लिए भारतीय लोकषाही को कलंकित किया। भ्रश्टाचार से सड़ सी चुकी व्यवस्था के सुधारने के लिए जनलोकपाल स्वीकार करने में सरकार क्या मना कर रही है । इससे देष में एक स्पश्ट संदेष जा रहा है कि सरकार उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों को भ्रश्टाचार करने के लिए खुला छोड़ना चाहती है और उसे देष की कोई चिंता नंही है। राहुलं गांधी को अगर कांग्रेस व देष से एक रत्ती भर भी स्नेह है तो वे अविलम्ब नक्कारा साबित हो चूके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व उनके सिपाहेसलार कपिल सिब्बल को तुरंत पद मुक्त कर देष व कांग्रेस की बागडोर सम्भाले।
सरकार में लगता में जनहितों के लिए रत्ती भर भी न इच्छा रही है व नहीं कोई विवेकषाली नेता ही है जिसके दिल में लोकषाही के लिए एकांष भी सम्मान हो। मनमोहनसिंह का कभी सामाजिक सरोकारों से रहा दूर अपने पडोसियों से भी सामान्य मानवीय रिस्ता नहीं रहा होगा। नही तो वे लोकषाही के प्राण जनता के आंदोलन के मूलभूत अधिकार पर षर्मनाक अंकुष लगा कर भारतीय लोकषाही को कलंकित करने का निककृश्ठ काम तो नहीं करते। पहले अण्णा को अनषन की इजाजत न देना व अब पूरे देषवासियों ने सरकार को धिक्कारा तो उनकी मांग मानने के साथ आंदोलन करने का अधिकार बहाल करने के बजाय सरकार लोकषाही को रोंदने वाली अपनी निकृश्ठ मानसिकता का परिचय देते हुए केवल 15 दिन का अनषन की अनुमति दी। अब देष केवल नक्कारे साबित हो चुके प्रधानमंत्री मनमा ेहन को एक पल भी सत्तासीन देखना नहीं चाहता जिन्होंने अपनी अहं के लिए भारतीय लोकषाही को कलंकित किया। भ्रश्टाचार से सड़ सी चुकी व्यवस्था के सुधारने के लिए जनलोकपाल स्वीकार करने में सरकार क्या मना कर रही है । इससे देष में एक स्पश्ट संदेष जा रहा है कि सरकार उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों को भ्रश्टाचार करने के लिए खुला छोड़ना चाहती है और उसे देष की कोई चिंता नंही है। राहुलं गांधी को अगर कांग्रेस व देष से एक रत्ती भर भी स्नेह है तो वे अविलम्ब नक्कारा साबित हो चूके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व उनके सिपाहेसलार कपिल सिब्बल को तुरंत पद मुक्त कर देष व कांग्रेस की बागडोर सम्भाले।
Rahul Gandhi ke pass yah ek achcha suavsar hai apni kaabliyat sabit karne ka..yadi wo chahe..
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