अण्णा के इस पावन जनांदोलन पर ग्रहण लगा रहे मनमोहन, देशमुख व एनजीओ प्रकरण
अण्णा के इस पावन जनांदोलन पर ग्रहण लगा रहे मनमोहन, देशमुख व एनजीओ प्रकरण /
फिर झूठे आश्वास से अण्णा के अनशन समाप्त कराने का सरकारी षडयंत्र/
भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जनलोकपाल कानून बनाने के लिए 16 अगस्त 2011 से आमरण अनशन कर रहे गांधी के बाद अहिंसा के रास्ते में विश्वलोकशाही के जननायक बन कर उभरे अन्ना हजारे के पावन आंदोलन का जहां एक तरह मनमोहनसिंह की सरकार सहित तमाम राजनैतिक दलों ने इसे तत्काल संसद के इसी सत्र में न रखने की सहमति दे कर की, वहीं इस आंदोलन का इससे भी बड़ा अपमान देशमुख जैसे राजनेता जो भ्रष्टाचारों के आरोपों में घिरे है की मध्यस्थता करने से हुआ। इस आंदोलन में देश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जहां प्रधानमंत्री से न्यायपालिका को भी इसके दायरे में रखने के लिए सारा जोर लगाया जा रहा है परन्तु सबसे हस्तप्रद करने वाली बात यह है कि देश व समाज को भ्रष्टाचार से रसातल में धकेलने के लिए कुख्यात हो चुके अधिकांश गैरसरकारी स्वयं सेवी संगठनों(एनजीओ) को इसके दायरे से बाहर रखा गया। इसका एक ही कारण है कि कांग्रेस व भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सहित अधिकांश राजनेताओं, नौकरशाहों, समाजसेवियों, पत्रकारों, कलाकारों व प्रबुद्व जनों आदि के देश से ही नहीं विदेशों से लाखों नहीं करोड़ों करोड़ का वारे न्यारे हर साल किये जा रहे हैं भारतीय व्यवस्था को भ्रष्टाचार के गर्त में धकेलने वालों की तरफ आंख उठा कर देखने वाला आज भारत में कोई नहीं है। अण्णा हजारे के आमरण अनशन को संसद या सरकार के आश्वासन के तहत समाप्त कराने के लिए सरकार तमाम तंत्र झोंक रही है। वहीं जबरन पुलिस से उठाने का भी तानाबाना भी पूरा कर दिया गया। अपने आमरण अनशन से पूरे देश को जागृत करने का ऐतिहासिक कार्य करने वाले महानायक बन कर उभरे अण्णा हजारे ने अपने दृढ़ निश्चय व साफ छवि से जहां देश के पूरे राजनेताओं को बेनकाब करने मे ं सफल रहे वहीं उन्होने देश में लोकशाही पर ग्रहण लगा रहे भ्रष्टाचार पर पूरे देश को लामंबद कर दिया है। अण्णा हजारे का आमरण अनशन चाहे सरकार पुलिसिया तंत्र के हाथों करने की आत्मघाति धृष्ठता करता है तो यह कांग्रेस की जड़ों में मठ्ठा डालने वाला ही काम होगा। परन्तु जनता का जागृत करके अण्णा हजारे ने ऐतिहासिक कार्य किया, उनको पूरा देश उनको नमन् करता है। सरकार को यह भी समझ लेना चाहिए कि अण्णा हजारे का आमरण अनशन को तोड़ने के बाद भी अण्णा का आंदोलन दम तोड़ने वाला नहीं अपितु निरंतर तेज होगा। कांग्रेस को मनमोहन सिंह, अपने राजनैतिक आका रहे नरसिंह राव की तरह अपनी पदलोलुपता व अकर्मण्यता के कारण बहुत ही आत्मघाति होगा। आज 25 अगस्त 2011 को सांय सात बजे में अण्णा के आंदोलन स्थल से अपने साथी मोहन सिंह रंावत के साथ वापस आया तो मुझे यह लगा कि अण्णा के इस पावन आंदोलन पर देशमुख व एनजीओ भी मनमोहन सिंह के साथ ग्रहण लगा रहे हैं। इसके साथ पहले की तरफ फिर इस बार भी अण्णा के आमरण अनशन को अपने झूठे आश्वासन से तुडवाने का तानाबाना बुन चूकी है। वहीं दूसरी तरफ पूरे अनशन स्थल पर पुलिसिया शिकंजे के यकायक बढ़ जाने से साफ लगता है कि सरकार अब अण्णा के अनशन को जबरन अस्पताल में ले जाकर तुडवाने के लिए तानाबाना बुन चूकी है। देखना है कि सरकार क्या फिर बाबा रामदेव के आमरण अनशन को तुड़वाने की तरह पूरे संसार में थू थू कराती है। अण्णा ने साफ कहा कि अब माल खाये मदारी व नाच करे बंदर। उन्होंने सरकार के विश्वासघात की आशंका भी प्रकट क र रही है। उन्होंने पूरी संसद की उनके स्वास्थ्य के बारे मेें चिंता करने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनकी नहीं उनके मुद्दों के बारे में चिंता करो, देश के बारे में चिंता करो। उन्होंने कहा वे सरकारी आश्वासन के बाद अनशन भले ही समाप्त कर दें परन्तु रामलीला मैदान से तब तक नहीं हटेंगे जब तक यह विधेयक पारित नहीं हो जाता है। अण्णा हजारे को पूरे विश्व में मिल रहे जनसमर्थन के बाबजूद भारतीय हुक्मरानों की कुम्भकर्णी नींद का ना खुलंना अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है। आखिर इन जनविरोधी नेताओं को देश हित की सोच कब आयेगी।
फिर झूठे आश्वास से अण्णा के अनशन समाप्त कराने का सरकारी षडयंत्र/
भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जनलोकपाल कानून बनाने के लिए 16 अगस्त 2011 से आमरण अनशन कर रहे गांधी के बाद अहिंसा के रास्ते में विश्वलोकशाही के जननायक बन कर उभरे अन्ना हजारे के पावन आंदोलन का जहां एक तरह मनमोहनसिंह की सरकार सहित तमाम राजनैतिक दलों ने इसे तत्काल संसद के इसी सत्र में न रखने की सहमति दे कर की, वहीं इस आंदोलन का इससे भी बड़ा अपमान देशमुख जैसे राजनेता जो भ्रष्टाचारों के आरोपों में घिरे है की मध्यस्थता करने से हुआ। इस आंदोलन में देश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जहां प्रधानमंत्री से न्यायपालिका को भी इसके दायरे में रखने के लिए सारा जोर लगाया जा रहा है परन्तु सबसे हस्तप्रद करने वाली बात यह है कि देश व समाज को भ्रष्टाचार से रसातल में धकेलने के लिए कुख्यात हो चुके अधिकांश गैरसरकारी स्वयं सेवी संगठनों(एनजीओ) को इसके दायरे से बाहर रखा गया। इसका एक ही कारण है कि कांग्रेस व भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सहित अधिकांश राजनेताओं, नौकरशाहों, समाजसेवियों, पत्रकारों, कलाकारों व प्रबुद्व जनों आदि के देश से ही नहीं विदेशों से लाखों नहीं करोड़ों करोड़ का वारे न्यारे हर साल किये जा रहे हैं भारतीय व्यवस्था को भ्रष्टाचार के गर्त में धकेलने वालों की तरफ आंख उठा कर देखने वाला आज भारत में कोई नहीं है। अण्णा हजारे के आमरण अनशन को संसद या सरकार के आश्वासन के तहत समाप्त कराने के लिए सरकार तमाम तंत्र झोंक रही है। वहीं जबरन पुलिस से उठाने का भी तानाबाना भी पूरा कर दिया गया। अपने आमरण अनशन से पूरे देश को जागृत करने का ऐतिहासिक कार्य करने वाले महानायक बन कर उभरे अण्णा हजारे ने अपने दृढ़ निश्चय व साफ छवि से जहां देश के पूरे राजनेताओं को बेनकाब करने मे ं सफल रहे वहीं उन्होने देश में लोकशाही पर ग्रहण लगा रहे भ्रष्टाचार पर पूरे देश को लामंबद कर दिया है। अण्णा हजारे का आमरण अनशन चाहे सरकार पुलिसिया तंत्र के हाथों करने की आत्मघाति धृष्ठता करता है तो यह कांग्रेस की जड़ों में मठ्ठा डालने वाला ही काम होगा। परन्तु जनता का जागृत करके अण्णा हजारे ने ऐतिहासिक कार्य किया, उनको पूरा देश उनको नमन् करता है। सरकार को यह भी समझ लेना चाहिए कि अण्णा हजारे का आमरण अनशन को तोड़ने के बाद भी अण्णा का आंदोलन दम तोड़ने वाला नहीं अपितु निरंतर तेज होगा। कांग्रेस को मनमोहन सिंह, अपने राजनैतिक आका रहे नरसिंह राव की तरह अपनी पदलोलुपता व अकर्मण्यता के कारण बहुत ही आत्मघाति होगा। आज 25 अगस्त 2011 को सांय सात बजे में अण्णा के आंदोलन स्थल से अपने साथी मोहन सिंह रंावत के साथ वापस आया तो मुझे यह लगा कि अण्णा के इस पावन आंदोलन पर देशमुख व एनजीओ भी मनमोहन सिंह के साथ ग्रहण लगा रहे हैं। इसके साथ पहले की तरफ फिर इस बार भी अण्णा के आमरण अनशन को अपने झूठे आश्वासन से तुडवाने का तानाबाना बुन चूकी है। वहीं दूसरी तरफ पूरे अनशन स्थल पर पुलिसिया शिकंजे के यकायक बढ़ जाने से साफ लगता है कि सरकार अब अण्णा के अनशन को जबरन अस्पताल में ले जाकर तुडवाने के लिए तानाबाना बुन चूकी है। देखना है कि सरकार क्या फिर बाबा रामदेव के आमरण अनशन को तुड़वाने की तरह पूरे संसार में थू थू कराती है। अण्णा ने साफ कहा कि अब माल खाये मदारी व नाच करे बंदर। उन्होंने सरकार के विश्वासघात की आशंका भी प्रकट क र रही है। उन्होंने पूरी संसद की उनके स्वास्थ्य के बारे मेें चिंता करने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनकी नहीं उनके मुद्दों के बारे में चिंता करो, देश के बारे में चिंता करो। उन्होंने कहा वे सरकारी आश्वासन के बाद अनशन भले ही समाप्त कर दें परन्तु रामलीला मैदान से तब तक नहीं हटेंगे जब तक यह विधेयक पारित नहीं हो जाता है। अण्णा हजारे को पूरे विश्व में मिल रहे जनसमर्थन के बाबजूद भारतीय हुक्मरानों की कुम्भकर्णी नींद का ना खुलंना अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है। आखिर इन जनविरोधी नेताओं को देश हित की सोच कब आयेगी।
corrupt Media trying to tarnish image of Magsaysay award winner, Kiran Bedi to derail the morals of Anna Hazare & his supporters Worldwide.
ReplyDeletehttp://www.deccanchronicle.com/channels/nation/north/bedis-vulgar-theatrics-448#comment-29848
Student in trouble after opposing Barkha,The 2nd PhoolanDevi.
ReplyDeletehttp://www.sunday-guardian.com/news/student-in-trouble-after-opposing-barkha#.Tld2gHlx5PZ.twitter