देष का नहीं चंद षहरों का हुआ विकासः न्यायमूर्ति संतोश हेगड़े

देष का नहीं चंद षहरों का हुआ विकासः न्यायमूर्ति संतोश हेगड़े
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति व कर्नाटक में भ्रश्ट्राचारी भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री यदुरिप्पा को हटने के लिए मजबूर करने वाले, अण्णा हजारे के नागरिक समिति के प्रमुख सदस्य संतोश हेगडे ने आज 21अगस्त 2011 को देष को भ्रश्ट्राचार से मुक्तिदाता के रूप में जनता की आंखों के तारे बने ‘दिल्ली के रामलीला मैदान में सरकार से अविलम्ब जनलोकपाल विधेयक पारित करने की मांग को लेकर 16 अगस्त 2011 से आमरण अनषन कर रहे अण्णा हजारे के समर्थन में रामलीला मैदान में पधारे। पूर्व न्यायमूर्ति संतोश हेगड़े ने अण्णा हजारे के ऐतिहासिक जनांदोलन में अपना समर्थन देते हुए अपने संबोधन में दो टूक षब्दों में कहा कि आज ंदेष में विकास का जो डंका सरकारें बजा रही है वह मात्र चंद षहरों तक सीमित है। देष के अधिकांष ग्रामीण इलाके आज भी मूलभूत संसाधनों व सुविधाओं से वंचित है। उन्होने दो टूक षब्दों में कहा कि सरकार क्यों हटधर्मिता कर रही है। क्यों जनभावनाओं को रौंद रही है । भ्रश्टाचार ने देष के अवाम का जीना ही दूष्वार कर रखा है। इसी लिए आज देष में भ्रश्टाचार के खिलाफ कड़े कानून की आवष्यकता है। आज इसी भ्रश्टाचार से देष को मुक्ति देने के लिए जनलोकपाल विधेयक बनाने की सरकार से मांग कर रहे है। देष की जनता इसी से आक्रोषित है कि अण्णा हजारे के इस राश्ट्र को बचाने वाली मांग को अविलम्ब लागू करने के बजाय सरकार इसकी मांग करने वाले अण्णा हजारे को अपमानित व सरकारी आतंक से धमका भी रही है।
आज मैं जब अण्णा के आंदोलन में सहभागिता करने के लिए दिल्ली एनसीआर के सैकड़ों रेडियों टेक्सी के साथ जंतर मंतर पंहुचा तो उस समय वहां पर पूर्व न्यायमूर्ति संतोश हेगड़े रेली को संबोधित करने वाले थे। जिस एनसीआर टेक्सी में बैठ कर में रामलीला मैंदान में पंहुचा उस टेक्सी का चालक व मालिक जी एस बिश्ट भी उत्तराखण्ड के पौड़ी जनपद मूल के मयुर बिहार फेज -1 में ही निवास करता था। इनके अलावा छुट्टी के रोज यहां पर लाखों लोग जिस तरह से चारों तरफ से उमड़े उसे देष के हुक्मरानों सहित सभी दलों की सांसें थम सी गयी हैं । वहीं पूरा विष्व इसे भारतीय लोकषाही की अग्नि परीक्षा के रूप में अचम्भित हो कर देख रहा है।

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