-मनमोहन को अविलम्ब हटाकर व जनलोकपाल को स्वीकार कर प्रधानमंत्री बने राहुल
-मनमोहन को अविलम्ब हटाकर व जनलोकपाल को स्वीकार कर प्रधानमंत्री बने राहुल
देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए जन लोकपाल कानून बनाने की मांग को लेकर 16 अगस्त 2011 से दिल्ली के जय प्रकाश पार्क में आमरण अनशन करने का निकले देश के शीर्ष गांधीवादी नेता अण्णा हजारे व उनके हजारों समर्थकों को अलोकतांत्रिक ढंग से जेल में बंद करके लोकशाही का गला घोंटने को तुली मनमोहनी सरकार ने देश व्यापी जनाक्रोश के आगे घुटने टेकते हुए तिहाड में बंद अण्णा हजारे व साथियों को रात को तिहाड़ जेल से रिहा करने का ऐलान करने को मजबूर होना पड़ा। सरकारी दमन की हवा निकालते हुए अण्णा हजारे ने लोकषाही की ताकत दिखाते हुए कहा कि वे जेल से रिहा होने के बाबजूद बाहर तब आयेंगे जब उनको बिना षर्त अनषन की इजाजत दी जाय। जेल से अपनी मर्जी से सरकार द्वारा मजबूरी में दिया गया रामलीला मैदान में जब अण्णा हजारे आमरण अनषन की आगे की पारी खेलने के लिए आये तो देष की जनता को अपना सेवक समझने वाले राजनेताओं के पैरों के तले जमीन ही खिसक गयी ।
लोकशाही की इस जीत से गदगद अण्णा हजारे ने जेल से रिहा होने के बाद जब जय प्रकाष पार्क में ही जाने की हुंकार भरी तो मनमोहन सिंह सरकार के हाथ पांव ही फूलं गये। अपनी इस षर्मनाक पराजय को भांपते हुए देष व कांग्रेस को रसातल में धकेलने वाला साबित हो चूके मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने अण्णा हजारे को जय प्रकाश पार्क के बजाय किसी प्रकार से रामलीला मैदान में आमरण अ नषन करने की इजाजत देने में अपनी इज्जत बचायी । अण्णा के आमरण अनषन ने अपनी सत्तामद में लोकषाही को रौंदने को उतारू मनमोहनी सरकार व उसके आत्मघाति सिपाहेसलारों ने अण्णा हजारे को भी बाबा रामदेव की तरह दिल्ली से बाहर भी भेजने की रणनीति पर भी विचार करने की जरूरत भी कर दी वह तो कांग्रेसी महासचिव राहुल गांधी ने न केवल अण्णा जेसे देष के बेदाग समर्पित गांधीवादी नेता पर । परन्तु सरकार को यह समझने की भूल कर रही हे कि अण्णा कोई बाबा रामदेव नहीं जो सरकारी दमन के आगे चुपचाप सर झुका देंगे। सरकार उनको जितना भी दमन करेगी वे उतने मजबूत हो कर सरकार के सामने कड़ी चुनौती खडी कर सकते हैं। इस चुनौती को निपटने में सरकार पूरी तरह असफल हो सकती है। मेरा यही आंकलन तब सही साबित हुआ जब अण्णा ने बिना षर्त रिहा होने से मना करके तिहाड जेल परिसर में ही अपना अनषन जारी रखा है। अण्णा बिना षर्त रिहा हो कर जे पी पार्क में आमरण अनषन करके प्रधानमंत्री सहित न्याय पालिका को भी जनलोकपाल के दायरे में लाना चाहती है। सरकार जितना बिलम्ब करेगी उतनी ही उसको भारी पडेगा। गौरतलब अण्णा के जेल में बंद करने की कांग्रेस सरकार की सरकारी दमनकारी कार्यवाही को देश की आम नजता ंही नहीं पूरे विश्व जनमत भौचंक्के हो कर देख रहा है। चैतरफे आक्रोश को देखते हुए कांग्रेस के आत्मघाति नीतिनिर्धारकों ने अण्णा को रिहा करने का मन बना लिया। सरकार की इस आत्मघाति कार्यवाहीं ने जहां कांग्रेस की जड़ों में मठ्ठा डालने का काम किया वहीं सरकार को पूरी तरह से जनता की नजरों में खलनायक ही बना दिया। अण्णा की गिरफतारी के विरोध में न तो संसद चल सका व नहीं देश का कोई अन्य संस्थान चारों तरफ कांग्रेसी सरकार की इस दमनात्मक कार्यवाही का कड़ी भत्र्सना। इस अवसर को भुनाते हुए भाजपा ने जहां देश व्यापी आंदोलन छेडने का मन बना लिया वहीं संघ भी इस आंदोलन में पूरी तरह से कूूद गया है। अण्णा के इस आंदोलन में सम्मलित होने के लिए में पूरी तरह से तत्पर रहा। परन्तु सुबह से समाचार पत्र प्रकाशित करने के कारण में इसमें सम्मलित चाह कर भी नहीं हो सका परन्तु उसके बाद निरंतर मैं अण्णा के रामलीला मैदान व अन्य आंदोलनों मे ंसम्मलित हो रहा हॅू। चाहे जंतर मंतर पर सरकारी दमन के खिलाफ मशाल जलूश में सम्मलित हो या इंडिया गेट पर आन्दोलनकारियोंका सम्मलित होने में अ पनी सहभागीता निभाने मे गर्व समझता हॅू ।
जिस प्रकार से तिहाड जेल से लेकर छत्रसाल स्टेडियम से लेकर पूरे देश में लोग जनाक्रोश में उमड़ रहे थे, उसे देख कर शायद राहुल गांधी ने जनता की नब्ज को समझते हुए प्रधानमंत्री को सलाह देकर अविलम्ब अण्णा को रिहा करने का निर्णय लिया। जो कांग्रेस की डूबते हुए जहाड को तिनके के सहारे के सम्मान होगा। राहुल गांधी को चाहिए कि वह देश की पूरी व्यवस्था को रसातल में धकलेने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अविलम्ब हटा कर प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हो कर जनभावनाओं का सम्मान करें तथा देश को इस भंवर से बचाने में अपने दायित्व का निर्वहन करें। राहुल गांधी को अण्णा की मांग को अविलम्ब स्वीकार कर देष को होनी वाली आरजकता से बचाना चाहिए व भ्रटाचार दूर करने के लिए अण्णा की मांग के तहत प्रधानमंत्री व न्यायपालिका को भी लोकपाल के दायरे लाने का आष्वासन देकर तथा मनमोहन को अविलम्ब प्रधानमंत्री के पद से हटा कर स्वयं प्रधानमंत्री बन देष की रक्षा करनी चाहिए। षेश श्री कृश्ण कृपा। ह िर ओम तत्सत्।
देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए जन लोकपाल कानून बनाने की मांग को लेकर 16 अगस्त 2011 से दिल्ली के जय प्रकाश पार्क में आमरण अनशन करने का निकले देश के शीर्ष गांधीवादी नेता अण्णा हजारे व उनके हजारों समर्थकों को अलोकतांत्रिक ढंग से जेल में बंद करके लोकशाही का गला घोंटने को तुली मनमोहनी सरकार ने देश व्यापी जनाक्रोश के आगे घुटने टेकते हुए तिहाड में बंद अण्णा हजारे व साथियों को रात को तिहाड़ जेल से रिहा करने का ऐलान करने को मजबूर होना पड़ा। सरकारी दमन की हवा निकालते हुए अण्णा हजारे ने लोकषाही की ताकत दिखाते हुए कहा कि वे जेल से रिहा होने के बाबजूद बाहर तब आयेंगे जब उनको बिना षर्त अनषन की इजाजत दी जाय। जेल से अपनी मर्जी से सरकार द्वारा मजबूरी में दिया गया रामलीला मैदान में जब अण्णा हजारे आमरण अनषन की आगे की पारी खेलने के लिए आये तो देष की जनता को अपना सेवक समझने वाले राजनेताओं के पैरों के तले जमीन ही खिसक गयी ।
लोकशाही की इस जीत से गदगद अण्णा हजारे ने जेल से रिहा होने के बाद जब जय प्रकाष पार्क में ही जाने की हुंकार भरी तो मनमोहन सिंह सरकार के हाथ पांव ही फूलं गये। अपनी इस षर्मनाक पराजय को भांपते हुए देष व कांग्रेस को रसातल में धकेलने वाला साबित हो चूके मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने अण्णा हजारे को जय प्रकाश पार्क के बजाय किसी प्रकार से रामलीला मैदान में आमरण अ नषन करने की इजाजत देने में अपनी इज्जत बचायी । अण्णा के आमरण अनषन ने अपनी सत्तामद में लोकषाही को रौंदने को उतारू मनमोहनी सरकार व उसके आत्मघाति सिपाहेसलारों ने अण्णा हजारे को भी बाबा रामदेव की तरह दिल्ली से बाहर भी भेजने की रणनीति पर भी विचार करने की जरूरत भी कर दी वह तो कांग्रेसी महासचिव राहुल गांधी ने न केवल अण्णा जेसे देष के बेदाग समर्पित गांधीवादी नेता पर । परन्तु सरकार को यह समझने की भूल कर रही हे कि अण्णा कोई बाबा रामदेव नहीं जो सरकारी दमन के आगे चुपचाप सर झुका देंगे। सरकार उनको जितना भी दमन करेगी वे उतने मजबूत हो कर सरकार के सामने कड़ी चुनौती खडी कर सकते हैं। इस चुनौती को निपटने में सरकार पूरी तरह असफल हो सकती है। मेरा यही आंकलन तब सही साबित हुआ जब अण्णा ने बिना षर्त रिहा होने से मना करके तिहाड जेल परिसर में ही अपना अनषन जारी रखा है। अण्णा बिना षर्त रिहा हो कर जे पी पार्क में आमरण अनषन करके प्रधानमंत्री सहित न्याय पालिका को भी जनलोकपाल के दायरे में लाना चाहती है। सरकार जितना बिलम्ब करेगी उतनी ही उसको भारी पडेगा। गौरतलब अण्णा के जेल में बंद करने की कांग्रेस सरकार की सरकारी दमनकारी कार्यवाही को देश की आम नजता ंही नहीं पूरे विश्व जनमत भौचंक्के हो कर देख रहा है। चैतरफे आक्रोश को देखते हुए कांग्रेस के आत्मघाति नीतिनिर्धारकों ने अण्णा को रिहा करने का मन बना लिया। सरकार की इस आत्मघाति कार्यवाहीं ने जहां कांग्रेस की जड़ों में मठ्ठा डालने का काम किया वहीं सरकार को पूरी तरह से जनता की नजरों में खलनायक ही बना दिया। अण्णा की गिरफतारी के विरोध में न तो संसद चल सका व नहीं देश का कोई अन्य संस्थान चारों तरफ कांग्रेसी सरकार की इस दमनात्मक कार्यवाही का कड़ी भत्र्सना। इस अवसर को भुनाते हुए भाजपा ने जहां देश व्यापी आंदोलन छेडने का मन बना लिया वहीं संघ भी इस आंदोलन में पूरी तरह से कूूद गया है। अण्णा के इस आंदोलन में सम्मलित होने के लिए में पूरी तरह से तत्पर रहा। परन्तु सुबह से समाचार पत्र प्रकाशित करने के कारण में इसमें सम्मलित चाह कर भी नहीं हो सका परन्तु उसके बाद निरंतर मैं अण्णा के रामलीला मैदान व अन्य आंदोलनों मे ंसम्मलित हो रहा हॅू। चाहे जंतर मंतर पर सरकारी दमन के खिलाफ मशाल जलूश में सम्मलित हो या इंडिया गेट पर आन्दोलनकारियोंका सम्मलित होने में अ पनी सहभागीता निभाने मे गर्व समझता हॅू ।
जिस प्रकार से तिहाड जेल से लेकर छत्रसाल स्टेडियम से लेकर पूरे देश में लोग जनाक्रोश में उमड़ रहे थे, उसे देख कर शायद राहुल गांधी ने जनता की नब्ज को समझते हुए प्रधानमंत्री को सलाह देकर अविलम्ब अण्णा को रिहा करने का निर्णय लिया। जो कांग्रेस की डूबते हुए जहाड को तिनके के सहारे के सम्मान होगा। राहुल गांधी को चाहिए कि वह देश की पूरी व्यवस्था को रसातल में धकलेने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अविलम्ब हटा कर प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हो कर जनभावनाओं का सम्मान करें तथा देश को इस भंवर से बचाने में अपने दायित्व का निर्वहन करें। राहुल गांधी को अण्णा की मांग को अविलम्ब स्वीकार कर देष को होनी वाली आरजकता से बचाना चाहिए व भ्रटाचार दूर करने के लिए अण्णा की मांग के तहत प्रधानमंत्री व न्यायपालिका को भी लोकपाल के दायरे लाने का आष्वासन देकर तथा मनमोहन को अविलम्ब प्रधानमंत्री के पद से हटा कर स्वयं प्रधानमंत्री बन देष की रक्षा करनी चाहिए। षेश श्री कृश्ण कृपा। ह िर ओम तत्सत्।
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