राजधानी गैरसेंण बनाने के लिए 14 अगस्त को गैरसैंण रेली

राजधानी गैरसेंण बनाने के लिए 14 अगस्त को गैरसैंण रेली
म्यर उत्तराखण्ड ग्रुप ने ने कसी राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए कमर

गैरसैण (प्याउ)। राज्य गठन शहीदों की शहादत को नमन करने के लिए उत्तराखण्डी युवाओं ने अब कमर कस ली है। ‘म्यर उत्तराखंड’ मंच द्वारा 14 अगस्त को गैरसैण में राजधानी बनाने की मांग के समर्थन में विशाल रेली का आयोजन किया जा रहा है। इस आंदोलन को उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के अग्रणी संगठन उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा सहित तमाम आंदोलनकारी संगठनों ने पूरा समर्थन देने का ऐलान किया है । इस गैरसैंण रैली में देश के विभिन्न भागों में रहने वाले सैकड़ों युवा उत्तराखण्डी ‘‘म्यर उत्तराखण्ड’’ सामाजिक संस्था के आहवान पर गैरसैण की तरफ कूच करके यहां पर 14 अगस्त को गैरसैंण राजधानी बनाने की पुरजोर मांग के समर्थन में रैली का आयोजन करेंगे। प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र को इस महान आंदोलन के बारे में बताते हुए उत्तराखण्डी युवाओं के इस क्रांतिकारी संगठन के अध्यक्ष मोहन बिष्ट व महासचिव सुदर्शन सिंह रावत ने बताया कि उनके जैसे हर उत्तराखण्डी युवा राज्य गठन के आन्दोलनकारियों और शहीदों की भावना के अनुरुप गैरसैंण (चन्द्र नगर) को उत्तराखण्ड की स्थायी राजधानी के रुप में देखना चाहता हैं। इसी संकल्प का साकार करने के लिए उनका मंच राजधानी गैरसैंण (चन्द्र नगर) के लिए जनांदोलन कर रहा हैं। आन्दोलन का शुरुआत ‘ म्यर उत्तराखंड’ ग्रुप 14 अगस्त रविवार, स्वतंत्रता दिवस से एकदिन पहले गैरसैंण (चन्द्र नगर) में जनसभा और शान्ति पूर्ण धरना देकर करेगा । मंच ने समस्त उत्तराखंड की जनता, आन्दोलनकारियों, सामाजिक संगठनो, जनसरोकारों, पत्रकारिता से जुड़े लोगों, वरिष्ठ नागरिको एवं बुद्धिजीवियों से अनुरोध किया है कि इस मुहिम में सभी एकजुट होकर साथ चलें, एकता में ही शक्ति है, वक्त आ गया है एकबार फिर से 1994 का इतिहास दोहराने कार्य करें। उन्होने कहा कि गैरसैंण हमारे लिये मात्र प्रस्तावित राजधानी ही नहीं है, यह हमारे शहीदों का सपना है, गैरसैंण हमारे उत्तराखण्ड के लोगों के लिये मात्र जगह नही है, गैरसैंण हमारे आन्दोलनकारियों का सपना है, हमारी भावना है, एक विचार है, एक सपना है। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के शुरुवाती दौर में ही गैरसैण को राजधानी बनाने का विचार किया गया। वर्ष 1992 में पहली बार बागेश्वर के सरयू बगड़ में उत्तरायणी मेले में इसका नाम वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के नाम पर चंद्रनगर रखा गया। दिसंबर 1992 में इसका शिलान्यास भी किया गया। जब उत्तराखण्ड आन्दोलन आगे बढ़ा तो आन्दोलनकारियों ने गैरसैंण (चंद्रनगर) को राज्य की स्थायी राजधानी बनाने का ऐलान किया। जो पूरे राज्य की जनता में सर्वमान्य भी हुआ। पहाड की राजधानी यदि पहाड में नहीं होगी तो इससे बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण बात और क्या हो सकती है। जो नीति नियोक्ता है, उन्हें पहाड की जानकारी नही होघ्गी और वे पहाड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों से परिचित ही नहीं होंगे, तो वे पहाड के लिये क्या नीति बना सकते हैं ? हम सरकार से मांग करते हैं कि शीघ्र ही गैरसैंण को उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी घोषित की जाय।

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