-पाक से अधिक विश्व शांति पर ग्रहण लगाने का गुनाहंगार है अमेरिका
-पाक से अधिक विश्व शांति पर ग्रहण लगाने का गुनाहंगार है अमेरिका
-अब अपना प्यादा ‘ पाक’ भी भष्मासुर नजर अाने लगा अमेरिका
अपनी सुरक्षा व हितों पर पाक द्वारा ग्रहण लगते देख कर अब अमेरिका को ंअपने सबसे करीबी प्यादे पाकिस्तान से भी डर लगने लगा है । ंपूरे विश्व के अमन शांति को ंग्रहण लगाने वाले ंतालिबानी व अलकायदा के आतंकियों का सरपरस्त ही नहीं संरक्षक रहा अमेरिका अपने कृत्यों से दुनिया की आंख में धूल झोंकने के लिए अब अपने ही प्यादे पाकिस्तान कंो बलि का बकरा बनाना चाहता है। इसी घटनाक्रम में वह अपने सभी प्यादों अलक ादयदा, तालिबान, ंआईएसआई के बाद अब पाक को भी अपने आक्रोश का शिकार बनाना चाहता है। इन ंसभी को अमेरिका ने अपना सम्राज्य विस्तार के लिए न केवल हथियार, सहायता अपितु संरक्षण भी दिया। खासकर सोवियत संघ को अफगानिस्तार से खदेडने के लिए जो अमेरिका ने ये भ्रष्मासुर तेंयार किये थे वे सभी भ्रष्मासुर भारत, अमेरिका सहित पूरे विश्व की अमन शांति को ंअपने आगोश में ले चूके है । अमेरिकी ंखुमार तब टूटा जब उस पर 9/11 को अमेरिका में उसके इन प्यादों ने हमला किया। ं तब तक बहुत देर हो चूकी थी। जो मुस्लिम कट्टरपंथी को अपने संकीर्ण हितो ंके लिए ंविश्वघाति हवा दी वह आज ऐसी भयानक हो गयी कि अमेरिका अपने ंस्वयं निर्मित भस्मासुरों से ंअपने आप को बचाने के लिए पसीने आ रहे है। इसी के तहत भले ही उसने ंओसमा ंबिन लादेन का खात्मा कर दिया हो, पर जो जहर व खुखारपन की फेक्टरी अमेरिका ने ंसोवियत संघ व भारत को तबाह करने के लिए पाक में ंसंरक्षित की थी वह फेक्टरी आज अमेरिका की अमन ंशांति को ग्रहण लगाने का मूल कारण बन गया हे।
इसी कारण अब अमेरिका पाक से अपना दामन बचाना चंाहता है। ंपंरन्तु पाक को अमेरिका के दामन ंसे दूर हटने पर अब ंचंींन का मजबूत साथ मिल गया है। अपने जंजाल से मुक्ति के लिए अंमेरिका अब पाक ंपर आतंकियों को संरक्षण देने का आरोप लगा रहा है । जबकि हकीकत यह है कि ंपाक से अधिंक गुनांहगार खुद अमेरिका है। ंअब अमेरिका में अफगानिस्तान में मिल रही करारी ंचंोटों से ंतिलमिलाते हुए ंपाक ंपर ंअफगानिस्तांनी आतंकियों को संरक्षण देने का आरोप ंलगाया । ं अमे रिका ने दो टूक शब्दों में पाक को चेतावनी दी है कि पाकिस्तान को आतंकवादियों, खासकर हक्कानी नेटवर्क, से रिश्ते खत्म करने होंगे। ओबामा प्रशासन पाक को दी जाने वाली सहायता के भविष्य पर विचार कर रहा है।वहीं ंअमेरिका की सितम से बचने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की ओर से बुलाई गई । इसमें पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। बैठक में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते भविष्य की कार्रवाई पर फैसला लिया ंगया। ंगौरतलब है कि भारतीय संसद पर अंमेरिकी ं द्वारा संरक्षित पाक आतंकियों ने हमला किया तो उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री ंअटल को पाक पर ंसेना की कार्यवाही करने से रोकते हुए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बुश ने चेतावनी देते हुए धमकाया था कि अमेरिका इस समयं ंआतंक के खिलाफ ंविश्वव्यापी ंअभियान छेड़े हुए है तथा पाकिस्तान अमेरिका का सहयोगी है, उस पर हमला करना एक प्रकार से आतंकवाद के खिलाफ ंअभियान पर हमला माना जायेगा। आप अपने संसद पर हमले की आड में पाक पर हमला नहीं कर ंसकते ं। एक सांल तक भारतीय फोजें ंसरहद पर ंअपने हुक्मरानों के आदेश की प्रतिक्षा में डटी रही। परन्तु नपुंसक भारतीय हुक्मरानों को इतनी हिम्मत नही ं रही कि अमेरिका को आइना दिखा सके। यही काम अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने कारगिल पं्रकरण में जब ंभारतीय से नां द्वारा पाकिस्तानी घुसपेटियों को ंचारों तरफ से घेर लिया था, तब भी वाजपेयी से इसी तर्ज में बात कर ंअमेरिका ने इन ंअपरंाधियों को सुरक्षित पाक जाने के लिए सुरक्षित रास्ता भारतीय हुक्मराने से दिलाया था। अब ऐसा ही कृत्य ंअपने डब्ंबल ंऐजेन्ट हेडली की गिरंफतारीं ंके अवसरं पर किया। ंकुल मिला कर विश्व शांति पर ग्रहण लगाने के लिए अमेरिका पाक से अधिक गुनाहंगार हे। पाकिस्तान ंको तो ं इंदिरा गांधी के नेतृत्व में ंबग्लादेश बना कर रौंद ही दिया था। ंपरन्तु अमेरिका ने कश्मीर मुद्दे पर ंहवा दे कर यहा बांद के भारतीय सत्तालोलुपु हुक्मरानों को पाक की तरह अपना प्यादा बना कर पश्चिम ऐशिया की शांति को ही नहीं विश्व शांति पर ग्रहण ही लगा दिया । ंअमेरिका ने ंअफगानिस्तान, ंइंराक, ंलीबिया में तो ंसैनिक कार्यवाही करके विश्व ंशांित को रोंदा अब वह ंफिंलिस्तीन मुद्दे पर विश्व जनमत ंकी भावना को रौंद रहा है। 70 से अधिक देशों में अपनी सैन्य उपस्थिति व विश्व बैक तथा नाटों के दम पर पूरे विश्व लोकशाही को रौद कर अंमेरिका ंविश्व की शांति को क्यों ग्रहण लगा रहा हैं? इसी कारण आज अमेरिकी ंअर्थव्यवस्था ही नहीं अमेरिकी पूरे विश्व में संबसे असुरक्षित खंुद को महसूस कर रहे है।
-अब अपना प्यादा ‘ पाक’ भी भष्मासुर नजर अाने लगा अमेरिका
अपनी सुरक्षा व हितों पर पाक द्वारा ग्रहण लगते देख कर अब अमेरिका को ंअपने सबसे करीबी प्यादे पाकिस्तान से भी डर लगने लगा है । ंपूरे विश्व के अमन शांति को ंग्रहण लगाने वाले ंतालिबानी व अलकायदा के आतंकियों का सरपरस्त ही नहीं संरक्षक रहा अमेरिका अपने कृत्यों से दुनिया की आंख में धूल झोंकने के लिए अब अपने ही प्यादे पाकिस्तान कंो बलि का बकरा बनाना चाहता है। इसी घटनाक्रम में वह अपने सभी प्यादों अलक ादयदा, तालिबान, ंआईएसआई के बाद अब पाक को भी अपने आक्रोश का शिकार बनाना चाहता है। इन ंसभी को अमेरिका ने अपना सम्राज्य विस्तार के लिए न केवल हथियार, सहायता अपितु संरक्षण भी दिया। खासकर सोवियत संघ को अफगानिस्तार से खदेडने के लिए जो अमेरिका ने ये भ्रष्मासुर तेंयार किये थे वे सभी भ्रष्मासुर भारत, अमेरिका सहित पूरे विश्व की अमन शांति को ंअपने आगोश में ले चूके है । अमेरिकी ंखुमार तब टूटा जब उस पर 9/11 को अमेरिका में उसके इन प्यादों ने हमला किया। ं तब तक बहुत देर हो चूकी थी। जो मुस्लिम कट्टरपंथी को अपने संकीर्ण हितो ंके लिए ंविश्वघाति हवा दी वह आज ऐसी भयानक हो गयी कि अमेरिका अपने ंस्वयं निर्मित भस्मासुरों से ंअपने आप को बचाने के लिए पसीने आ रहे है। इसी के तहत भले ही उसने ंओसमा ंबिन लादेन का खात्मा कर दिया हो, पर जो जहर व खुखारपन की फेक्टरी अमेरिका ने ंसोवियत संघ व भारत को तबाह करने के लिए पाक में ंसंरक्षित की थी वह फेक्टरी आज अमेरिका की अमन ंशांति को ग्रहण लगाने का मूल कारण बन गया हे।
इसी कारण अब अमेरिका पाक से अपना दामन बचाना चंाहता है। ंपंरन्तु पाक को अमेरिका के दामन ंसे दूर हटने पर अब ंचंींन का मजबूत साथ मिल गया है। अपने जंजाल से मुक्ति के लिए अंमेरिका अब पाक ंपर आतंकियों को संरक्षण देने का आरोप लगा रहा है । जबकि हकीकत यह है कि ंपाक से अधिंक गुनांहगार खुद अमेरिका है। ंअब अमेरिका में अफगानिस्तान में मिल रही करारी ंचंोटों से ंतिलमिलाते हुए ंपाक ंपर ंअफगानिस्तांनी आतंकियों को संरक्षण देने का आरोप ंलगाया । ं अमे रिका ने दो टूक शब्दों में पाक को चेतावनी दी है कि पाकिस्तान को आतंकवादियों, खासकर हक्कानी नेटवर्क, से रिश्ते खत्म करने होंगे। ओबामा प्रशासन पाक को दी जाने वाली सहायता के भविष्य पर विचार कर रहा है।वहीं ंअमेरिका की सितम से बचने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की ओर से बुलाई गई । इसमें पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। बैठक में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते भविष्य की कार्रवाई पर फैसला लिया ंगया। ंगौरतलब है कि भारतीय संसद पर अंमेरिकी ं द्वारा संरक्षित पाक आतंकियों ने हमला किया तो उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री ंअटल को पाक पर ंसेना की कार्यवाही करने से रोकते हुए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बुश ने चेतावनी देते हुए धमकाया था कि अमेरिका इस समयं ंआतंक के खिलाफ ंविश्वव्यापी ंअभियान छेड़े हुए है तथा पाकिस्तान अमेरिका का सहयोगी है, उस पर हमला करना एक प्रकार से आतंकवाद के खिलाफ ंअभियान पर हमला माना जायेगा। आप अपने संसद पर हमले की आड में पाक पर हमला नहीं कर ंसकते ं। एक सांल तक भारतीय फोजें ंसरहद पर ंअपने हुक्मरानों के आदेश की प्रतिक्षा में डटी रही। परन्तु नपुंसक भारतीय हुक्मरानों को इतनी हिम्मत नही ं रही कि अमेरिका को आइना दिखा सके। यही काम अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने कारगिल पं्रकरण में जब ंभारतीय से नां द्वारा पाकिस्तानी घुसपेटियों को ंचारों तरफ से घेर लिया था, तब भी वाजपेयी से इसी तर्ज में बात कर ंअमेरिका ने इन ंअपरंाधियों को सुरक्षित पाक जाने के लिए सुरक्षित रास्ता भारतीय हुक्मराने से दिलाया था। अब ऐसा ही कृत्य ंअपने डब्ंबल ंऐजेन्ट हेडली की गिरंफतारीं ंके अवसरं पर किया। ंकुल मिला कर विश्व शांति पर ग्रहण लगाने के लिए अमेरिका पाक से अधिक गुनाहंगार हे। पाकिस्तान ंको तो ं इंदिरा गांधी के नेतृत्व में ंबग्लादेश बना कर रौंद ही दिया था। ंपरन्तु अमेरिका ने कश्मीर मुद्दे पर ंहवा दे कर यहा बांद के भारतीय सत्तालोलुपु हुक्मरानों को पाक की तरह अपना प्यादा बना कर पश्चिम ऐशिया की शांति को ही नहीं विश्व शांति पर ग्रहण ही लगा दिया । ंअमेरिका ने ंअफगानिस्तान, ंइंराक, ंलीबिया में तो ंसैनिक कार्यवाही करके विश्व ंशांित को रोंदा अब वह ंफिंलिस्तीन मुद्दे पर विश्व जनमत ंकी भावना को रौंद रहा है। 70 से अधिक देशों में अपनी सैन्य उपस्थिति व विश्व बैक तथा नाटों के दम पर पूरे विश्व लोकशाही को रौद कर अंमेरिका ंविश्व की शांति को क्यों ग्रहण लगा रहा हैं? इसी कारण आज अमेरिकी ंअर्थव्यवस्था ही नहीं अमेरिकी पूरे विश्व में संबसे असुरक्षित खंुद को महसूस कर रहे है।
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