िनशंक के कुशासन से उत्तराखण्ड को मुक्ति दिलाने वाले अधिवक्ता अवतार रावत को नमन्

िनशंक के कुशासन से उत्तराखण्ड को मुक्ति दिलाने वाले अधिवक्ता अवतार रावत को नमन्
उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव से चंद महीनों पहले भारतीय जनता पार्टी ने अचानक अपने मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को हटाकर भुवनचंद खंडूडी को पदासीन करके पूरे देश को अचम्भित कर दिया। हालांकि इसका कारण भारतीय जनता पार्टी ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया हैं इसके बावजूद इस पूरे प्रकरण के पीछे अगर कोई महत्वपूर्ण कारण रहा तो वह निशंक सरकार के नाक के नीचे हुआ स्टर्जिया घोटाला। जिसने न केवल भाजपा सरकार को बेनकाब कर दिया अपितु आला नेतृत्व को भी शर्मसार कर दिया। इस पूरे प्रकरण को उजागर करने में जिस एक व्यक्ति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई वह है सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत , जो राज्य गठन जनांदोलन के अग्रणी आंदोलनकारी भी रहे। उन्होंने इस मुद्दे पर पूरी भाजपा को ही बेनकाब कर दिया। मामला अभी सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है।
उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के अग्रणी पुरोध व सर्वोच्च न्यायालय के प्रसिद्ध अधिवक्ता अवतार सिंह रावत को उत्तराखण्ड की निशंक सरकार को बेनकाब करने के लिए शतः शतः नमन्। उस निशंक सरकार को जिसके कारनामों का खुलाशा करने में देश के अधिकांश समाचार पत्रों व समाचार चैनलों के मालिकों के हाथ कांपते है। उनके अखबारों व उनके चेनलों में इस सरकार के कारनामों के खुलासा करने पर शर्मनाक मौन छा जाता हो। जहां विरोधी दलों के नेताओं की जुबाने भी जिस निशंक सरकार के कारनामों को सही समय पर उठाने के लिए बंद हो जाती हो, ऐसी निशंक सरकार के खिलापफ नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से दमदार पैरवी करके ऋषिकेश के जमीन घोटाले पर निशंक सरकार को हाई कोर्ट में वाद की 29 नवम्बर को पड़ने वाली तारीक से पहले बहुत ही नाटकीय ढंग से 27 नवम्बर को ही कपंनी द्वारा गुमराह करने के नाम पर खारिज करने के लिए विवश कर दिया। मामला अब सर्वोच्च न्यायालय में है। इसके लिए अधिवक्ता अवतार रावत को कोटी कोटी बधाई। इसके साथ इस जनहित याचिका को दायर करने वाले स्वामी दर्शन भारती व निशंक सहित तमाम भ्रष्टाचारों पर मुखर प्रकाशन करने वाले पत्रकारों, राजनेताओं व बुद्धिजीवियों को भी सादर नमन् करता हॅू।
हालांकि यह प्रदेश की वर्तमान सरकार के पूर्व मुखिया रमेश पोखरियाल निशंक की पुरानी रणनीति है। पहले आनन पफानन में प्रदेश के संसाध्नों की बंदरबांट करों। जब हल्ला हो ओर कोई बचने का चारा न दिखे तो उस मामले में कोर्ट से बाहर ही आनन पफानन में वापस ले लो या खारिज कर दो। इससे पहले भी निशंक सरकार ने ऐसा ही कार्य प्रदेश में कुछ माह पहले प्रदेश के जल विद्युत परियोजनाओं की बंदरबांट करने वाले प्रकरण में की। तब भी आरोप लगे कि निशंक सरकार ने चंद बाहरी लोगों के हितों की पूर्ति के लिए इन परियोजनाओं की बंदरबांट की। तब इस मामले को प्रमुखता से उठाने वाले चैनलों के प्रहारों व इस मामले के मजबूत दस्तावेज विरोध्ी पक्ष के हाथ लगने की से तिलमिलाये निशंक ने जब देखा की उनको बचने का एक ही रास्ता है वह है इस पूरे मामले को खारिज करना। उन्होंने इन जल विद्युत परियोजनाओं के विवादस्त प्रकरण को ही खारिज कर दिया।
उस मामले के बाद लगता है मुख्यमंत्राी निशंक ने बहुत ही सुझबुझ से कदम आगे बढ़ाये। परन्तु लोगों की पैनी निगाह से वे बच नहीं पाये। इस बार ऋषिकेश स्थित जमीन घोटाला प्रकरण में जिस प्रकार से प्रदेश सरकार पूरी तरह कटघरे में आ घिरी। जिस प्रकार से प्रदेश सरकार ने 1अक्टूबर 2009 को इस विवादस्थ जमीन को एक निजी कम्पनी को बेचा। 24 घंटे के अंदर इसक जमीन की यूज बदलने की स्वीकृति दी गयी। जिस प्रकार से मुख्यमंत्राी ने विशेषाध्किार का इस्तेमान कर इस जमीन को बेचने इत्यादि प्रकरण हुए उससे पूरा प्रकरण संदेह के घेरे में आ गया। इस मामले में प्रदेश की विधनसभा में कापफी हो हल्ला हुआ। विपक्ष ने इस घोटाले की सीबीआई जांच व सरकार के इस्तीफे की मांग की। परन्तु निशंक सरकार ही नहीं भाजपा के आला नेता इस प्रकरण पर मुख्यमंत्राी निशंक को बचाने के लिए लामबंद हुए। यही नही स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष गड़करी ने निशंक सरकार को पाक सापफ बताया तथा जिस प्रकार से निशंक खुद इस प्रकरण पर अपनी सरकार को पाक सापफ बताते हुए इस प्रकरण पर सरकार को कटघरे में लेने वालों तथा इसे घोटाला कहने वाले पत्राकारों पर कार्यवाही करने की दिल्ली से लेकर देहरादून में ध्मकियां देते रहे उससे भाजपा का पूरा चेहरा ही बेनकाब हो जाता है। इस प्रकरण को देख कर सापफ हो गया है कि भाजपा के नेताओ में न तो कोई नैतिकता रही व नहीं कोई मर्यादा। संघ की नैतिकता तो निशंक के मुख्यमंत्री बनने पर ही कटघरे में है।
जिस प्रकार से पूर्व मुख्यमंत्री निशंक ने विपक्ष ही नहीं प्रदेश व देश की मीडिया में इस प्रकरण पर रहस्यमय चुप्पी साध्ने की इन्द्रजाल पफैका। उसका जादू पूरे देश की मीडिया पर चला। न जाने किस मोह में अंध्े हो कर प्रदेश व देश की मीडिया ने न तो मुख्यमंत्राी को बेनकाब करने वाले पूरे प्रकरण में वर्तमान में चुप्पी साध्ी रखी। यह मोह विज्ञापनों का था या अन्य मोह यह तो वे ही जाने। परन्तु इस प्रकरण पर देश के तथाकथित सच्चाई को उजागर करने के दावा करने वाले पत्राकार व मीडिया चैनलों ने नपुंसकता दिखाई। यही नहीं कर्नाटक व अन्य प्रकरणों पर आसमान उठाने वाला कांग्रेस इस मामले में रहस्यमय राष्ट्रीय स्तर पर चुप्पी साध्े रखा। इस प्रकरण पर निशंक को इस जमीन सौदे को रद्द करने के लिए मजबूर करने वाले जांबाज सर्वोच्च न्यायालय के अध्विक्ता अवतार सिंह रावत का सर्वोच्च सम्र्पण, उत्तराखण्ड के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का न्यायप्रियता वाला रूख ही निशंक को अपने तथाकथित सही कदम को वापस खिंचने के लिए मजबूर किया।
जिस प्रकार से प्रदेश की सत्ता पर रमेश पोखरियाल निशंक काबिज रहे उससे लोकशाही के लिए किसी भी दृष्टि में हितकारी नहीं है। इस प्रकरण का फैसला चाहे अदालत जो भी दे परन्तु जनता की अदालत में इस सौदे में निशंक ने अपने कदम वापस खिंच कर यह साबित कर दिया कि इस दाल में कुछ काला ही नहीं अपितु यह पूरी दाल ही काली है। जनता को जब इस सच्चाई का पता चला तो प्रदेश से भाजपा का सुपड़ा ही साफ होने की आशंका भयभीत भाजपा आलाकमान ने अभिलंब निशंक को हटाकर खंडूडी की ताजपोशी की।
निशंक के मायाजाल को छिन्नभिन्न करके जनता की अदालत में उनको अपना नकाब खुद हटाने के लिए मजबूर करने वाले उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के महानायक अवतारसिंह रावत को एक बार फिर से शतः शतः नमन्। शेष श्री कृष्ण कृपा।
हरि ऊँ तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।

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