आतंकी सरगनों से जब गले लगेंगें हुकमरान तो कैसे रूकेंगें आतंकी हमले
आखिर कब तक आतंकी हमलों योंही मारे जायेंगे भारतीय /
आतंकी सरगनों से जब गले लगेंगें हुकमरान तो कैसे रूकेंगें आतंकी हमले/
6 सितम्बर 2011 को फिर आतंकियों ने देश की राजधानी दिल्ली स्थित उच्च न्यायालय के गेट नम्बर 5 पर बम विस्फोट कर एक दर्जन से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया और इस विस्फोट में आठ दर्जन से अधिक लोग घायल हो गये। इस घटना के बाद वही हर आतंकी घटना के बाद सरकारी व विपक्ष की तरफ से रट्टे रटाये बयान। फिर ढ़ाक के वहीं तीन पात। सबसे हैरानी की बात यह है कि जब देश के हुक्मरान संसद पर हमले के दोषी आतंकी, पूर्व प्रधानमंत्री के हत्या के दोषी हत्यारों, आतंकवाद के खिलाफ खुली जंग लडने वाले बिट्टा पर बम हमले के दोषी व अन्य आतंकी हमलों के दोषियों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई वर्षों पहले सजाये मौत पर अपनी सहमति देने के बाबजूद देश के हुक्मरान अपने निहित दलीय स्वार्थ के खातिर इन देश के गुनाहगारों को जीवनदान दे कर देश की एकता अखण्डता व सुरक्षा से भयंकर खिलवाड़ करने की शर्मनाक धृष्ठता कर रहे हैं।
आज देश का दुर्भाग्य है कि देश में इंदिरा गांधी जेसी फौलादी कदम उठाने वाली व आंतंकियों के आका बने अमेरिका व पाक को मुंहतोड़ जवाब देने वाला नेतृत्व का नितांत अभाव है। देश का दुर्भाग्य यह है कि देश में अटल व मनमोहन सिंह जैसे अमेरिका परस्त शासकों को ढोना पड रहा है। यहां पर सरकारें चाहे अटल बिहारी वाजपेयी नेतृत्व वाली राजग की सरकार रही या मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सप्रंग सरकार सत्तासीन रही दोनों सरकारें भारत को आतंकी हमलों से रौंदने वाले आतंकवाद के रहनुमा अमेरिका व पाक को मुंहतोड़ जवाद देने के बजाय नपुंसकों की तरह अमेरिका व पाक से गलबहियां करने की शर्मनाक प्रतियोगिता कर रही है। अमेरिका व पाक के भारत को आतंकी षडयंत्र का जीता जागता उदाहरण सीआईए व आईएसआई का डब्बल ऐजेन्ट हेडली व राणा से उजागर हो गया। यही नहीं किस प्रकार अमेरिका कश्मीर में आतंकी हमले व आतंक फेलाता है यह अमेरिका में अभी तक संरक्षण प्राप्त ऐजेन्ट को अब गिरफतार करने से भी उजागर हो गयी।
जब तक भारत सरकार व यहां के राजनैतिक दल दलगत संकीर्ण स्वार्थों से उपर उठ कर अमेरिका, चीन व इस्राइल की तर्ज पर एक मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा व स्वाभिमान की नीति नहीं बनायेंगे तथा उस पर मजबूती से अमल नहीं करेंगे तो तब तक भारत में आये दिन इसी प्रकार के आतंकी हमलों की आशंका बनी रहेगी। देश की आम जनता को इसी प्रकार के आतंकी हमलों का शिकार बनना पडेगा। अगर भारत सरकार को जरा सी भी शर्म होती तो वह अविलम्ब संसद हमले से लेकर अब तक आतंकी हमलों के सर्वा ेच्च न्यायालय से भी मौत की सजा पाये आतंकियों को फांसी के फंदे पर चढ़ाने का काम करते हुए अमेरिका व पाक से दो टूक बात करे। पाक से तब तक सभी प्रकार के सम्बंध तोड़ लिये जाय जब तक वह मुम्बई हमलों के दोषियों को भारत के हवाले तथा पाकिस्तान में तमाम आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को बंद नहीं करता। अमेरिका से भी दो टूक शब्दों से भारत को तबाह करने के अपने नापाक हथकण्डों पर विराम लगाने की दो टूक बात की जाय। परन्तु करेगा कौन यहां तो सभी राजनैतिक दलों में वाम दलों को छोड कर सभी दलों में अमेरिका का हितैषी साबित करने की अंधी प्रतियोगिता चल रही है। देश की सुरक्षा व एकता अखण्डता की रक्षा के लिए सरकार को देश में समान नागरिक संहिता लागू करना चाहिए न की केवल बहुसंख्यक व अल्पसंख्यक समाज के नाम पर पक्षपाती व आतंकवाद पोषक कानून नहीं बनाना चाहिए। देश मे ं पक्षपात शासन ही आतंकवाद का सबसे बड़ा पोषक है।
आतंकी सरगनों से जब गले लगेंगें हुकमरान तो कैसे रूकेंगें आतंकी हमले/
6 सितम्बर 2011 को फिर आतंकियों ने देश की राजधानी दिल्ली स्थित उच्च न्यायालय के गेट नम्बर 5 पर बम विस्फोट कर एक दर्जन से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया और इस विस्फोट में आठ दर्जन से अधिक लोग घायल हो गये। इस घटना के बाद वही हर आतंकी घटना के बाद सरकारी व विपक्ष की तरफ से रट्टे रटाये बयान। फिर ढ़ाक के वहीं तीन पात। सबसे हैरानी की बात यह है कि जब देश के हुक्मरान संसद पर हमले के दोषी आतंकी, पूर्व प्रधानमंत्री के हत्या के दोषी हत्यारों, आतंकवाद के खिलाफ खुली जंग लडने वाले बिट्टा पर बम हमले के दोषी व अन्य आतंकी हमलों के दोषियों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई वर्षों पहले सजाये मौत पर अपनी सहमति देने के बाबजूद देश के हुक्मरान अपने निहित दलीय स्वार्थ के खातिर इन देश के गुनाहगारों को जीवनदान दे कर देश की एकता अखण्डता व सुरक्षा से भयंकर खिलवाड़ करने की शर्मनाक धृष्ठता कर रहे हैं।
आज देश का दुर्भाग्य है कि देश में इंदिरा गांधी जेसी फौलादी कदम उठाने वाली व आंतंकियों के आका बने अमेरिका व पाक को मुंहतोड़ जवाब देने वाला नेतृत्व का नितांत अभाव है। देश का दुर्भाग्य यह है कि देश में अटल व मनमोहन सिंह जैसे अमेरिका परस्त शासकों को ढोना पड रहा है। यहां पर सरकारें चाहे अटल बिहारी वाजपेयी नेतृत्व वाली राजग की सरकार रही या मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सप्रंग सरकार सत्तासीन रही दोनों सरकारें भारत को आतंकी हमलों से रौंदने वाले आतंकवाद के रहनुमा अमेरिका व पाक को मुंहतोड़ जवाद देने के बजाय नपुंसकों की तरह अमेरिका व पाक से गलबहियां करने की शर्मनाक प्रतियोगिता कर रही है। अमेरिका व पाक के भारत को आतंकी षडयंत्र का जीता जागता उदाहरण सीआईए व आईएसआई का डब्बल ऐजेन्ट हेडली व राणा से उजागर हो गया। यही नहीं किस प्रकार अमेरिका कश्मीर में आतंकी हमले व आतंक फेलाता है यह अमेरिका में अभी तक संरक्षण प्राप्त ऐजेन्ट को अब गिरफतार करने से भी उजागर हो गयी।
जब तक भारत सरकार व यहां के राजनैतिक दल दलगत संकीर्ण स्वार्थों से उपर उठ कर अमेरिका, चीन व इस्राइल की तर्ज पर एक मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा व स्वाभिमान की नीति नहीं बनायेंगे तथा उस पर मजबूती से अमल नहीं करेंगे तो तब तक भारत में आये दिन इसी प्रकार के आतंकी हमलों की आशंका बनी रहेगी। देश की आम जनता को इसी प्रकार के आतंकी हमलों का शिकार बनना पडेगा। अगर भारत सरकार को जरा सी भी शर्म होती तो वह अविलम्ब संसद हमले से लेकर अब तक आतंकी हमलों के सर्वा ेच्च न्यायालय से भी मौत की सजा पाये आतंकियों को फांसी के फंदे पर चढ़ाने का काम करते हुए अमेरिका व पाक से दो टूक बात करे। पाक से तब तक सभी प्रकार के सम्बंध तोड़ लिये जाय जब तक वह मुम्बई हमलों के दोषियों को भारत के हवाले तथा पाकिस्तान में तमाम आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को बंद नहीं करता। अमेरिका से भी दो टूक शब्दों से भारत को तबाह करने के अपने नापाक हथकण्डों पर विराम लगाने की दो टूक बात की जाय। परन्तु करेगा कौन यहां तो सभी राजनैतिक दलों में वाम दलों को छोड कर सभी दलों में अमेरिका का हितैषी साबित करने की अंधी प्रतियोगिता चल रही है। देश की सुरक्षा व एकता अखण्डता की रक्षा के लिए सरकार को देश में समान नागरिक संहिता लागू करना चाहिए न की केवल बहुसंख्यक व अल्पसंख्यक समाज के नाम पर पक्षपाती व आतंकवाद पोषक कानून नहीं बनाना चाहिए। देश मे ं पक्षपात शासन ही आतंकवाद का सबसे बड़ा पोषक है।
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