प्रदेश में क्या गुल खिलायेगी तिवारी-निशंक की होली की जुगलवंदी

प्रदेश में क्या गुल खिलायेगी तिवारी-निशंक की होली की जुगलवंदी
देहरादून (प्याउ)। विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने से दो दिन पहले 4 मार्च को पूरे प्रदेश की राजनैतिक समीक्षकों की नजर तिवारी व निशंक के बीच में खेली गयी होली का अर्थ ढूटने में लगी रही। होली खेलने के लिए देश में इन दिनों विख्यात राजनेता लालू प्रसाद यादव से भी पहले देश के वरिष्ठ राजनेता नारायणदत्त तिवारी भी विख्यात रहे है। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी के आवास पर 4 मार्च को धूमधाम से होली मिलन कार्यक्रम में जहां प्रदेश कांग्रेस के कोई दिग्गज नेता नहीं पंहुचे पर भाजपा नेता पूर्व मुख्यमंत्री निशंक के पंहुचने से प्रदेश की राजनीति में अपनी अपनी पार्टी में हाशिये में पंहुच चूके इन दोनों नेताओं की जुगलबंदी का अर्थ ढूढने में राजनीति के समीक्षक लग गयेे।  पूर्व मुख्यमंत्री तिवारी के आवास पर होली मिलन कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता सतीश लखेड़ा, आदि अनेक लोग मौजूद थे। सुत्रों के अनुसार इस दोरान दोनों नेताओं में जो मंत्रणा हुई उसका प्रदेश की भावी राजनीति में क्या असर पडेगा, यह चुनाव परिणाम आने के एक सप्ताह बाद ही उजागर होगा। माना जा रहा है कि भाजपा में भीतरघात के मामले में निशंक पर गाज गिरनी तय है,इसी को भांपते हुए निशंक भी अपने समर्थक व राजनैतिक शक्ति को एकजूट करने में जुटे हुए है। वहीं दूसरी तरफ तिवारी भी भले ही चुनाव प्रचार के दिन यकायक कांग्रेसमय हो गये हों परन्तु इन दिनों वे हेदाराबाद में राजभवन में घटित हुए शर्मनाक प्रकरण के बाद कांग्रेसी क्षेत्रों में पूरी तरह से अलग थलग पडे हुए है। देश के अधिशंख्यक लोग कांग्रेसी नेतृत्व द्वारा इस शर्मनाक प्रकरण में लिप्त रहे तिवारी को राजनेतिक रूप से अलग थलग करने के मूक निर्णय की सराहना करते हुए भाजपा द्वारा तिवारी को सार्वजनिक मंचों में महिमामण्डित करने की प्रवृति को देश की संस्कृति को कलंकित करने वाली प्रवृति मानते हे। हाल में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में अपने समर्थकों को कांग्रेस द्वारा टिकट हासिल करने के बाद जिस प्रकार से कांग्रेस से असंतुष्ट दिख रहे तिवारी, कांग्रेस के समर्थन में प्रचार करते हुए खुल कर खुद को दो साल के लिए मुख्यमंत्री बनने की इच्छा भी जगजाहिर कर चूके हे। अब देखना यह है कि कांग्रेस व भाजपा की राजनीति के ये दोनों उपेक्षित नेता प्रदेश की राजनीति में जुगलबंदी करके कुछ रंग खिला सकते हैं या केवल होली मिलन के नाम पर मिल कर होली के रंग की तरह उसी दिन धुल जाते है।

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