होली हो मुबारक



होली हो मुबारक
हरि चरणों में करूं नमन् मैं, होली हो मुबारक
सृश्टि में हर पल बरसे श्रीकृश्ण रंग सनातन।
देष मेरा गुलामी के रंग में रंगा हुआ है साथी
प्रदेष भी चंगेजों की चंुंगल में जकडा साथी।।
फिर भी केसे खेलूं होली देख कर ये तबाही
यही कामना है मेरी अब बचाओं कृश्ण कन्हाई।
इस जग से दूर रखो जात-धर्म के दलालों से
जग को बचाये श्रीकृश्ण भ्रश्टाचारी दलालों से।।
जग में हर पल आये साथी खुसियों की बहार
राग-द्वेश से हट कर मनाओं होली का त्यौहार।।
    -देवसिंह रावत 
(होली, 8 मार्च 2012 प्रात 8.56 बजे)

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