2014 में लोकसभा में कांग्रेस को होगा देश से सफाया/
.2014 में लोकसभा में कांग्रेस को होगा देश से सफाया/
-भाजपा की तरह कांग्रेस पर भी लगी महाकाल की वक्र दृष्टि/
उत्तराखण्ड की लोकशाही से जिस शर्मनाक ढ़ग से कांग्रेस आलाकमान ने अपने संकीर्ण आत्मघाति प्यादों की सलाह पर विजय बहुगुणा को थोप कर खिलवाड़ करने का अलोकतांत्रिक कृत्य किया, उससे आगामी 2012 में भगवान बदरीनाथ की पावन देवभूमि कोे अभिशाप अब भाजपा के बाद कांग्रेस पर लगना तय है। कांग्रेस जहां इस भानुमति के कुनबे की सरकार को उत्तराखण्ड में नहीं चला पायेगी वहीं आगामी 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में शर्मनाक ढ़ग से हार का मुंह देखेगी। हालांकि कांग्रेस के जनविरोधी कृत्यों से 2014 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय की भविष्यवाणी मैने अपने 6 माह पुराने लेख में कर दी थी। क्योंकि जिस प्रकार से अंध हो कर कांग्रेस आला कमान जनविरोधी मनमोहन सरकार को समर्थन जारी रखे हुए है उससे मैने पहले भी साफ कर दिया था कि यह सरकार 2014 के लोक सभा चुनाव में किसी भी कीमत पर चुनाव नहीं जीतेगी। गौरतलब है कि मेने विधानसभा चुनाव के बारे में पहले ही इसी के साथ उल्लेख कर दिया था कि 2012 के विधानसभा चुनावों में उत्तराखण्ड से जनविरोधी भाजपा व उप्र से जनविरोधी मायावती के कुशासनों का भी अंत होगा। परन्तु कांग्रेस ने अब विधानसभा चुनाव में बड़ी कठिनाई से सत्ता के दर्शन करने के बाबजूद बहुत ही अपमानित ढ़ग से उत्तराखण्ड की जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ किया। इससे मेरा ही नहीं अपितु लोकशाही में विश्वास करने वाले किसी भी आम आदमी की भावनायें जहां आहत हुई वहीं उत्तराखण्ड की लोकशाही को गहरा धक्का लगा। उत्तराखण्ड देवभूमि है मैने महान तपस्वी रहस्यमय शक्तियों के स्वामी रहे काला बाबा के आर्शीवाद से कई भविष्यवाणियों का अब तक शत प्रतिशत ऐलान किया,, प्यारा उत्तराखण्ड के सुधि पाठक इस बात के साक्षी है। आज भी 2014 में कांग्रेस की अपनी पूर्व में सत्ता से बाहर होने की घोषणा का फिर से इन सत्तांध हुक्मरानों की आंखे खोलने के लिए ऐलान करता हॅू।
‘जाको प्रभु दारूण दुख देही, ताकी मति पहले हर लेई’ यह उक्ति आजकल भाजपा व कांग्रेस पर सटीक बैठ रही है। भगवान भी कांग्रेस व भाजपा के कृत्यों पर अब अंकुश लगाने के लिए मन बना चूका है। लगता है कांग्रेस अब कांग्रेस के बुरे दिन आ गये, उन पर भी भाजपा की तरह महाकाल का वक्र दृष्टि लग गयी है। हर काम उल्टा पुलटा ही हो रहा है। उत्तराखण्ड में बड़ी कठिनाई से कांग्रेस ने विधानसभा में चुनावी मैदान मारा, परन्तु कांग्रेस आला नेतृत्व के आंख कान बने आत्मघाति संकीर्ण जनविरोधी भ्रष्ट सलाहकारों की सलाह पर सोनिया गांधी ने देश के सबसे वरिष्ठ जननेता हरीश रावत या जनहितों के लिए समर्पित सतपाल महाराज को मुख्यमंत्री बनाने के बजाय विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बना कर प्रदेश की जनभावनाओं को रौंद ने का कृत्य करके पूरे प्रदेश में भूचाल ला दिया। इससे आक्रोशित केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में सांसद प्रदीप टम्टा, सहित डेढ़ दर्जन विधायकों ने विद्रोह कर दिया, वहीं देहरादून से खबर आयी है कि अपनी उपेक्षा से आहत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य ने भी अपने निवास पर गुरूवार 15 मार्च को विधायकों के समक्ष इस्तीफे देने की बात कह कर सबको हैरान कर दिया। समाचार पत्रों में छपी खबर के अनुसार बाद में यशपाल आर्य को मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने किसी प्रकार से मना कर विधानसभा में ले गये। कुल मिला कर कांग्रेस के भी दिन भाजपा की तरह इतने बुरे आ गये है कि उनके मठाधीशों की बुद्धि पर महाकाल ने पर्दा डाल दिया है ये अब आपसी द्वंद में उलझ कर खुद ही जनता की नजरों में इतना गिर जायेंगे कि जनता इनको प्रदेश की राजनीति में उप्र की तरह कुछ समय बाद हाशिये में डाल देगी। भले ही कांग्रेस ने अपने असंतुष्टों को निवाला दे कर कुछ समय के लिए इस संकट को हल करने का काम किया परन्तु उत्तराखण्ड के साथ खिलवाड करने वालों को महाकाल कभी माफ नहीं करता।
प्रदेश की जनता इस बात से हैरान है कि भाजपा व कांग्रेस का आला नेतृत्व क्या इतना बौना है कि उनको जमीनी सच्चाई तक नहीं दिखाई देती। या इतना निकम्मा और संकीर्ण है कि उनको जातिवाद और अपना निहित स्वार्थ के अलावा जनहित कहीं दूर-दूर तक नहीं दिखाई देता। जिस प्रकार से राज्य गठन के बाद प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस के आला नेतृत्व ने प्रदेश में अपनी सरकार का मुखिया जननेताओं के बजाय अपनी जाति के लोगों स्वामी, तिवारी, खंडूडी, निशंक के बाद अब बहुगुणा थोपा, उससे पूरे प्रदेश में गहरा आक्रोश हैं। प्रदेश में लोकशाही को रौंदकर केवल जातिवाद फेलाने वाली भाजपा व कांग्रेस को भगवान हरि हर की पावन देवभूमि कभी माफ नहीं करेगी। इनको अभिशाप लग गया है देवभूमि का, भाजपा व कांग्रेस ने जो खिलवाड़ उत्तराखण्ड के समाज को जातिवाद के दंश से तबाह करने के लिए किया उससे यहां के लोगों को ब्राहमण, ठाकुर व अजा आदि में बांटने का कुकृत्य चला। उसका जवाब उत्तराखण्ड की जनता इन दोनों दलों का सफाया करके चुका रही हैं। दोनों दल व दोनों दलों के ये मोहरे उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओ ंपर अपनी संकीर्ण कुशासन से ग्रहण लगा रहे है। उत्तराखण्ड की जनता को चाहिए कि जो भी सरकार आये या जो भी व्यक्ति आये जो जनांकांक्षाओं को साकार करने के बजाय अपने निहित स्वार्थो व संकीर्णता से उत्तराखण्ड के हितों को रौंदे तो उस कुशासक को उखाडने के लिए एकजूट हों। आज इनके कुशासन से उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी गैरसेंण नहीं बन पायी, मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को दण्डित नहीं कर पाये, उत्तराखण्ड में जनसंख्या पर आधारित परिसीमन के दंश से नहीं बचा पाये, उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया, उत्तराखण्ड की प्रतिभाओं को संवेधानिक पदों पर आसीन करने के बजाय दिल्ली के हुक्मरानों के प्यादों को आसीन करके उत्तराखण्ड के हक हकूकों से खिलवाड़ किया जा रहा है। इसके लिए जो लोग उत्तराखण्ड की भाषा, संस्कृति व लोगों से दूरी बताते है , जो कभी उत्तराखण्ड के हितों की रक्षा के संघर्ष में दूर दूर तक सामिल नहीं रहे ऐसे सत्तालोलुपुओं को उत्तराखण्ड का मुखिया बनने का कोई नैतिक हक नहीं है। कांग्रेस को कई सालों से मै इस आश से पक्ष ले रहा था कि क्योंकि भाजपा भी घोर जातिवाद के साथ दिशाहीन नेतृत्व का शिकार है। अब वही शर्मनाक कृत्य कांग्रेस कर रही है तो उसको एक पल के लिए देश की सत्ता में आसीन रहने का हक नहीं है। मेरी इच्छा है कि देश का नेतृत्व अब आगामी लोकसभा चुनाव में नीतिश कुमार या अन्य करें। मुलायम सिंह व भाजपा को इस सरकार का नेतृत्व करने का कोई हक महाकाल न दे। देश की लोकशाही को अपनी संकीर्णता से कलंकित करने का जो भी दुशाहस करे उसको देवभूमि कभी माफ नहीं करेगी। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा या कोई अन्य। शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि औम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।
-भाजपा की तरह कांग्रेस पर भी लगी महाकाल की वक्र दृष्टि/
उत्तराखण्ड की लोकशाही से जिस शर्मनाक ढ़ग से कांग्रेस आलाकमान ने अपने संकीर्ण आत्मघाति प्यादों की सलाह पर विजय बहुगुणा को थोप कर खिलवाड़ करने का अलोकतांत्रिक कृत्य किया, उससे आगामी 2012 में भगवान बदरीनाथ की पावन देवभूमि कोे अभिशाप अब भाजपा के बाद कांग्रेस पर लगना तय है। कांग्रेस जहां इस भानुमति के कुनबे की सरकार को उत्तराखण्ड में नहीं चला पायेगी वहीं आगामी 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में शर्मनाक ढ़ग से हार का मुंह देखेगी। हालांकि कांग्रेस के जनविरोधी कृत्यों से 2014 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय की भविष्यवाणी मैने अपने 6 माह पुराने लेख में कर दी थी। क्योंकि जिस प्रकार से अंध हो कर कांग्रेस आला कमान जनविरोधी मनमोहन सरकार को समर्थन जारी रखे हुए है उससे मैने पहले भी साफ कर दिया था कि यह सरकार 2014 के लोक सभा चुनाव में किसी भी कीमत पर चुनाव नहीं जीतेगी। गौरतलब है कि मेने विधानसभा चुनाव के बारे में पहले ही इसी के साथ उल्लेख कर दिया था कि 2012 के विधानसभा चुनावों में उत्तराखण्ड से जनविरोधी भाजपा व उप्र से जनविरोधी मायावती के कुशासनों का भी अंत होगा। परन्तु कांग्रेस ने अब विधानसभा चुनाव में बड़ी कठिनाई से सत्ता के दर्शन करने के बाबजूद बहुत ही अपमानित ढ़ग से उत्तराखण्ड की जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ किया। इससे मेरा ही नहीं अपितु लोकशाही में विश्वास करने वाले किसी भी आम आदमी की भावनायें जहां आहत हुई वहीं उत्तराखण्ड की लोकशाही को गहरा धक्का लगा। उत्तराखण्ड देवभूमि है मैने महान तपस्वी रहस्यमय शक्तियों के स्वामी रहे काला बाबा के आर्शीवाद से कई भविष्यवाणियों का अब तक शत प्रतिशत ऐलान किया,, प्यारा उत्तराखण्ड के सुधि पाठक इस बात के साक्षी है। आज भी 2014 में कांग्रेस की अपनी पूर्व में सत्ता से बाहर होने की घोषणा का फिर से इन सत्तांध हुक्मरानों की आंखे खोलने के लिए ऐलान करता हॅू।
‘जाको प्रभु दारूण दुख देही, ताकी मति पहले हर लेई’ यह उक्ति आजकल भाजपा व कांग्रेस पर सटीक बैठ रही है। भगवान भी कांग्रेस व भाजपा के कृत्यों पर अब अंकुश लगाने के लिए मन बना चूका है। लगता है कांग्रेस अब कांग्रेस के बुरे दिन आ गये, उन पर भी भाजपा की तरह महाकाल का वक्र दृष्टि लग गयी है। हर काम उल्टा पुलटा ही हो रहा है। उत्तराखण्ड में बड़ी कठिनाई से कांग्रेस ने विधानसभा में चुनावी मैदान मारा, परन्तु कांग्रेस आला नेतृत्व के आंख कान बने आत्मघाति संकीर्ण जनविरोधी भ्रष्ट सलाहकारों की सलाह पर सोनिया गांधी ने देश के सबसे वरिष्ठ जननेता हरीश रावत या जनहितों के लिए समर्पित सतपाल महाराज को मुख्यमंत्री बनाने के बजाय विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बना कर प्रदेश की जनभावनाओं को रौंद ने का कृत्य करके पूरे प्रदेश में भूचाल ला दिया। इससे आक्रोशित केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में सांसद प्रदीप टम्टा, सहित डेढ़ दर्जन विधायकों ने विद्रोह कर दिया, वहीं देहरादून से खबर आयी है कि अपनी उपेक्षा से आहत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य ने भी अपने निवास पर गुरूवार 15 मार्च को विधायकों के समक्ष इस्तीफे देने की बात कह कर सबको हैरान कर दिया। समाचार पत्रों में छपी खबर के अनुसार बाद में यशपाल आर्य को मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने किसी प्रकार से मना कर विधानसभा में ले गये। कुल मिला कर कांग्रेस के भी दिन भाजपा की तरह इतने बुरे आ गये है कि उनके मठाधीशों की बुद्धि पर महाकाल ने पर्दा डाल दिया है ये अब आपसी द्वंद में उलझ कर खुद ही जनता की नजरों में इतना गिर जायेंगे कि जनता इनको प्रदेश की राजनीति में उप्र की तरह कुछ समय बाद हाशिये में डाल देगी। भले ही कांग्रेस ने अपने असंतुष्टों को निवाला दे कर कुछ समय के लिए इस संकट को हल करने का काम किया परन्तु उत्तराखण्ड के साथ खिलवाड करने वालों को महाकाल कभी माफ नहीं करता।
प्रदेश की जनता इस बात से हैरान है कि भाजपा व कांग्रेस का आला नेतृत्व क्या इतना बौना है कि उनको जमीनी सच्चाई तक नहीं दिखाई देती। या इतना निकम्मा और संकीर्ण है कि उनको जातिवाद और अपना निहित स्वार्थ के अलावा जनहित कहीं दूर-दूर तक नहीं दिखाई देता। जिस प्रकार से राज्य गठन के बाद प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस के आला नेतृत्व ने प्रदेश में अपनी सरकार का मुखिया जननेताओं के बजाय अपनी जाति के लोगों स्वामी, तिवारी, खंडूडी, निशंक के बाद अब बहुगुणा थोपा, उससे पूरे प्रदेश में गहरा आक्रोश हैं। प्रदेश में लोकशाही को रौंदकर केवल जातिवाद फेलाने वाली भाजपा व कांग्रेस को भगवान हरि हर की पावन देवभूमि कभी माफ नहीं करेगी। इनको अभिशाप लग गया है देवभूमि का, भाजपा व कांग्रेस ने जो खिलवाड़ उत्तराखण्ड के समाज को जातिवाद के दंश से तबाह करने के लिए किया उससे यहां के लोगों को ब्राहमण, ठाकुर व अजा आदि में बांटने का कुकृत्य चला। उसका जवाब उत्तराखण्ड की जनता इन दोनों दलों का सफाया करके चुका रही हैं। दोनों दल व दोनों दलों के ये मोहरे उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओ ंपर अपनी संकीर्ण कुशासन से ग्रहण लगा रहे है। उत्तराखण्ड की जनता को चाहिए कि जो भी सरकार आये या जो भी व्यक्ति आये जो जनांकांक्षाओं को साकार करने के बजाय अपने निहित स्वार्थो व संकीर्णता से उत्तराखण्ड के हितों को रौंदे तो उस कुशासक को उखाडने के लिए एकजूट हों। आज इनके कुशासन से उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी गैरसेंण नहीं बन पायी, मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को दण्डित नहीं कर पाये, उत्तराखण्ड में जनसंख्या पर आधारित परिसीमन के दंश से नहीं बचा पाये, उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया, उत्तराखण्ड की प्रतिभाओं को संवेधानिक पदों पर आसीन करने के बजाय दिल्ली के हुक्मरानों के प्यादों को आसीन करके उत्तराखण्ड के हक हकूकों से खिलवाड़ किया जा रहा है। इसके लिए जो लोग उत्तराखण्ड की भाषा, संस्कृति व लोगों से दूरी बताते है , जो कभी उत्तराखण्ड के हितों की रक्षा के संघर्ष में दूर दूर तक सामिल नहीं रहे ऐसे सत्तालोलुपुओं को उत्तराखण्ड का मुखिया बनने का कोई नैतिक हक नहीं है। कांग्रेस को कई सालों से मै इस आश से पक्ष ले रहा था कि क्योंकि भाजपा भी घोर जातिवाद के साथ दिशाहीन नेतृत्व का शिकार है। अब वही शर्मनाक कृत्य कांग्रेस कर रही है तो उसको एक पल के लिए देश की सत्ता में आसीन रहने का हक नहीं है। मेरी इच्छा है कि देश का नेतृत्व अब आगामी लोकसभा चुनाव में नीतिश कुमार या अन्य करें। मुलायम सिंह व भाजपा को इस सरकार का नेतृत्व करने का कोई हक महाकाल न दे। देश की लोकशाही को अपनी संकीर्णता से कलंकित करने का जो भी दुशाहस करे उसको देवभूमि कभी माफ नहीं करेगी। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा या कोई अन्य। शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि औम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।
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