भाजपा के साथ कांग्रेस पर भी लगी महाकाल की वक्रदृष्टि

भाजपा के साथ कांग्रेस पर भी लगी महाकाल की वक्रदृष्टि/
हरीश रावत के बाद यशपाल ने भी दी इस्तीफे की धमकी
/
‘जाको प्रभु दारूण दुख देही, ताकी मति पहले हर लेई’ यह उक्ति आजकल भाजपा व कांग्रेस पर सटीक बैठ रही है। भगवान भी कांग्रेस व भाजपा के कृत्यों पर अब अंकुश लगाने के लिए मन बना चूका है। लगता है कांग्रेस अब कांग्रेस के बुरे दिन आ गये, उन पर भी भाजपा की तरह महाकाल का वक्र दृष्टि लग गयी है। हर काम उल्टा पुलटा ही हो रहा है। उत्तराखण्ड में बड़ी कठिनाई से कांग्रेस ने विधानसभा में चुनावी मैदान मारा, परन्तु कांग्रेस आला नेतृत्व के आंख कान बने आत्मघाति संकीर्ण जनविरोधी भ्रष्ट सलाहकारों की सलाह पर सोनिया गांधी ने देश के सबसे वरिष्ठ जननेता हरीश रावत या जनहितों के लिए समर्पित सतपाल महाराज को मुख्यमंत्री बनाने के बजाय विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बना कर प्रदेश की जनभावनाओं को रौंद ने का कृत्य करके पूरे प्रदेश में भूचाल ला दिया। इससे आक्रोशित केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में सांसद प्रदीप टम्टा,  सहित डेढ़ दर्जन विधायकों  ने विद्रोह कर दिया, वहीं देहरादून से खबर आयी है कि अपनी उपेक्षा से आहत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य ने भी अपने निवास पर गुरूवार 15 मार्च को विधायकों के समक्ष इस्तीफे देने की बात कह कर सबको हैरान कर दिया। समाचार पत्रों में छपी खबर के अनुसार बाद में यशपाल आर्य को मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने किसी प्रकार से मना कर विधानसभा में ले गये। कुल मिला कर कांग्रेस के भी दिन भाजपा की तरह इतने बुरे आ गये है कि उनके मठाधीशों की बुद्धि पर महाकाल ने पर्दा डाल दिया है ये अब आपसी द्वंद में उलझ कर खुद ही जनता की नजरों में इतना गिर जायेंगे कि जनता इनको प्रदेश की राजनीति में उप्र की तरह कुछ समय बाद हाशिये में डाल देगी।
प्रदेश की जनता इस बात से हैरान है कि भाजपा व कांग्रेस का आला नेतृत्व क्या इतना बौना है कि उनको जमीनी सच्चाई तक नहीं दिखाई देती। या इतना निकम्मा और संकीर्ण है कि उनको जातिवाद और अपना निहित स्वार्थ के अलावा जनहित कहीं दूर-दूर तक नहीं दिखाई देता। जिस प्रकार से राज्य गठन के बाद प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस के आला नेतृत्व ने प्रदेश में अपनी सरकार का मुखिया जननेताओं के बजाय अपनी जाति के लोगों स्वामी, तिवारी, खंडूडी, निशंक के बाद अब बहुगुणा थोपा, उससे पूरे प्रदेश में गहरा आक्रोश हैं। प्रदेश में लोकशाही को रौंदकर केवल जातिवाद फेलाने वाली भाजपा व कांग्रेस को भगवान हरि हर की पावन देवभूमि कभी माफ नहीं करेगी। इनको अभिशाप लग गया है देवभूमि का, भाजपा व कांग्रेस ने जो खिलवाड़ उत्तराखण्ड के समाज को जातिवाद के दंश से तबाह करने के लिए किया उससे यहां के लोगों को ब्राहमण, ठाकुर व अजा आदि में बांटने का कुकृत्य चला। उसका जवाब उत्तराखण्ड की जनता इन दोनों दलों का सफाया करके चुका रही हैं। दोनों दल व दोनों दलों के ये मोहरे उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओ ंपर अपनी संकीर्ण कुशासन से ग्रहण लगा रहे है। उत्तराखण्ड की जनता को चाहिए कि जो भी सरकार आये या जो भी व्यक्ति आये जो जनांकांक्षाओं को साकार करने के बजाय अपने निहित स्वार्थो व संकीर्णता से उत्तराखण्ड के हितों को रौंदे तो उस कुशासक को उखाडने के लिए एकजूट हों। आज इनके कुशासन से उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी गैरसेंण नहीं बन पायी, मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को दण्डित नहीं कर पाये, उत्तराखण्ड में जनसंख्या पर आधारित परिसीमन के दंश से नहीं बचा पाये, उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया, उत्तराखण्ड की प्रतिभाओं को संवेधानिक पदों पर आसीन करने के बजाय दिल्ली के हुक्मरानों के प्यादों को आसीन करके उत्तराखण्ड के हक हकूकों से खिलवाड़ किया जा रहा है। इसके लिए जो लोग उत्तराखण्ड की भाषा, संस्कृति व लोगों से दूरी बताते है , जो कभी उत्तराखण्ड के हितों की रक्षा के संघर्ष में दूर दूर तक सामिल नहीं रहे ऐसे सत्तालोलुपुओं को उत्तराखण्ड का मुखिया बनने का कोई नैतिक हक नहीं है।

Comments

Popular posts from this blog

-देवभूमि की पावनता की रक्षा की फिर भगवान बदरीनाथ ने- निशंक के बाद मनंमोहन को भी जाना होगा