राज्य गठन आंदोलनकारी जगदीश भट्ट को पत्नी शोक
राज्य गठन आंदोलनकारी जगदीश भट्ट को पत्नी शोक
आज 27 मार्च को साढ़े पांच बजे मैं दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश सचिव व राज्य गठन आंदोलन के प्रमुख साथी हरिपाल रावत की कार में रेल भवन से केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत के तीन मूर्ति लेन स्थित आवास की तरफ बढ़ रहे थे कि तभी यकायक मुझे अपने राज्य गठन आंदोलन के अग्रणी साथी जगदीश भट्ट का फोन आया और उन्होंने एक ही सांस में बताया कि पूजा की ममी का देहान्त हो गया हैं और 1 घण्टे के अंदर ही उनका अंतिम संस्कार निगम बोध घाट में किया जायेगा। भट्ट जी के फोन पर मुझे एक बार अपने ही कानों पर विश्वास नहीं हुआ। मैने फिर भट्ट जी को फोन किया तो उन्होंने यही बात दोहरायी। मैने हरपाल रावत को यह बात बतायी, वे भी सन्न रह गये। तब तक हम केन्द्रीय मंत्री के आवास पर पंहुच गये थे। वहां से मेने अपने अग्रणी समाजसेवी साथी व राष्ट्रीय जनांदोलनों के संयोजक भूपेन्द्रसिंह रावत सहित कई मित्रों को इस दुखद समाचार से अवगत कराया।
उसके बाद मैं हरीश रावत के आवास से उत्तराखण्ड जनमोर्चा के कोषाध्यक्ष हुकमसिंह कण्डारी व चम्पावत जनपद के निवासी गणेश दत्त जोशी के संग निगम बोध घाट पंहुचा। वहां पर भूपेन्द्र रावत, देश बंधु बिष्ट, जगमोहन रावत भी पंहुच गये। उसके आधा घण्टे बाद जगदीश भट्ट जी अम्बुलेंस में अर्थी ले कर पंहुचे। वहां पर जगदीश भट्ट ने भूपेन्द्रसिंह रावत सहित हम सब साथियों की सलाह पर की सीएनजी शवगाह में ही अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। रात के साढ़े नो बजे दाह संस्कार व अस्थि का पावन यमुना जल में विसर्जन किया। इस अवसर पर आंदोलन के साथी रवीन्द्र बत्र्वाल, विनोद नेगी, सतेन्द्र रावत के अलावा जगदीश भट्ट जी के ईष्ट मित्र व परिजन उपस्थित थे। दिवंगत श्रीमती चन्द्रकला भट्ट को मैं 1994 के बाद निरंतर जगदीश भट्ट की धर्मपत्नी के रूप में परिचय था। सीमान्त जनपद पिथोरागढ़ के झूलाघाट के मूल निवासी जगदीश भट्ट जी की धर्मपत्नी चन्द्रकला भट्ट से मेरी मुलाकातें यदाकदा होती रहती थी। कई सालों से वो मुझसे एक ही शिकायत करती रहती थी कि आप हमारे जशोला बिहार घर में नहीं आये। मैने उनको वचन दिया था, जो उनके जीते जी मैं नहीं निभा सका। कभी कभार जगदीश भट्ट जी मुझसे उनकी बातें करा देते थे। उनकी यही शिकायत रहती थी। कुछ माह पहले भट्ट जी की पाॅलिटेक्निक कर रही बड़ी बेटी पूजा भट्ट जो मुम्बई में लिम्का बुक आॅफ वल्र्ड रिकार्ड में विजयी रहने पर बधाई देने के लिए भी बात हुई। उनसे मेरी अंतिम मुलाकात ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज के ज्योतिष्पीठ पर आसीन होने के अवसर पर उनके अभिनन्दन समारोह पर दिल्ली के सिविल लाइन्स स्थित शंकराचार्य आश्रम में हुए समारोह में सम्मलित होते हुए हुई थी। उस समय भी भट्ट जी सपरिवार साथ थे। उनके साथ पूजा की नानी भी थी। उनके निधन से मै सन्न रह गया। राज्य गठन आंदोलन के दौरान भी भट्ट जी ने कई बार नौकरी को तिलांजलि दी तो वो कभी कभार शिकायत भी करती थी। कई सालों से जगदीश भट्ट जी इलेक्टीकल इंजीनियर के पद पर इंदिरागांधी कला केन्द्र में कार्य करने के बाद इन दिनों गुडगांव के समीप हरियाणा में कार्यरत है। भट्ट जी बहुत ही सुलझे हुए इंसान के साथ साथ सामाजिक चिंतक व ज्योतिषी भी हैं। मेरे करीबी मित्रों में भट्ट जी 1994 के बाद निरंतर मेरे प्रायः हर संघर्ष में आगे रहे। हमारे आंदोलन के साथी जगमोहन जो टिहरी के बडियार गढ़ क्षेत्र के निवासी हैं उनकी धर्मपत्नी भी एक साल पहले भरी जवानी में स्वर्गवास हो गयी थी। छोटे बच्चों के साथ पूरे परिवार की जिम्मेदारी जगमोहन सिंह रावत की तरह जगदीश भट्ट के कंधों में आ गयी है। जगदीश भट्ट जी की बेटियां बड़ी प्रतिभाशाली हैं। भगवान भट्ट जी व उनके परिवार को इस त्रासदी को सहने का साहस व धैर्य दे । भगवान को शायद यही मंजूर था। उनकी पावन स्मृति को मैं शतः शतः नमन् करता हॅू।
अपने मित्र भट्ट को मेने इस दुखद् स्थिति में बहुत ही शांत देखा। वो कह रहे थे शायद इतना ही उनका साथ होगा। श्री भट्ट जी की माता जी झूलाघाट से भट्ट जी के ससुर के साथ दिल्ली को चल दी हैं। वहीं जगदीश भट्ट जी के छोटे भाई जो भाभा परमाणु संस्थान के वैज्ञानिक हैं वे भी इस दुखद समाचार को सुन कर दिल्ली की तरफ कूच कर दिये है।
उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के अग्रणी संगठन उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के महासचिव जगदीश भट्ट की धर्मपत्नी श्रीमती चन्द्रकला भट्ट का आज सोमवार 27 मार्च को सांय 5 बजे दिल्ली के जीवन नर्सिग होम में उपचार के दौरान आकस्मिक निधन हो गया। दिल्ली के बदरपुर क्षेत्र के समीप जशोला बिहार डीडीए फलेटस में रहने वाले पेशे से इलेक्ट्रीकल इंजीनियर जगदीश भ्ट्ट की 40 वर्षीय धर्मपत्नी को कल 26 मार्च को अचानक तबियत बिगडने से समीपवर्ती चिकित्सालय जीवन नर्सिंग होम में आपात स्थिति में भर्ती कराया गया। डाक्टरों ने उनके बचाव की सभी संभव कोशिश किया परन्तु उनके शरीर के अधिकांश अंगो ने काम करना बंद कर दिया। उन्होंने 27 मार्च को सांय 5 बजे के करीब जीवन नर्सिंग होम में अंतिम सांस ली। यहीं अस्पताल में दिवंगत चन्द्रकला भट्ट की माता जी, दो बेटियों व अन्य सम्बंधियों ने अंतिम दर्शन किये। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के निगम बोध घाट में कर दिया गया।
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