उत्तराखण्ड में बहुगुणा को बना कर जनादेष का अपमान किया कांग्रेस ने
उत्तराखण्ड में बहुगुणा को बना कर जनादेष का अपमान किया कांग्रेस ने/
जातिवादी कार्ड चल कर भाजपा की तरह कांग्रेस ने की आत्महत्या! /
हरीष रावत, सतपाल महाराज, यषपाल व हरक सिंह रावत सहित कांग्रेसी विधायक दें इस्तीफा/
उप्र व पंजाब की ं हाल में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में जनता द्वारा षर्मनाक रूप से नक्कारे जाने के बाद जिस उत्तराखण्ड प्रदेष ने सत्तासीन भाजपा को सत्ताच्युत कर कांग्रेस को सत्तासीन करने का काम करके उसकी लाज बचायी, उस उत्तराखण्ड प्रदेष में घोर जातिवादी मोह में भाजपा की तरह अंधे हो कर कांग्रेसी नेतृत्व ने भी विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री के रूप में थोप कर लोकषाही को रौंदने का कुकृत्य किया, उसने प्रदेष से व केन्द्र से कांग्रेस का 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी ताबूत पर सफाया की कील ठोक दी। कांग्रेस की इस कृत्य से प्रदेष की आम जनता में इस धारणा को बल मिल रहा है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों के राश्ट्रीय नेतृत्व की नजर में उत्तराखण्ड केवल ब्राहमण जाति के लिए आरक्षित कर रखा है। क्योंकि जिस प्रकार से भाजपा व कांग्रेस में सन् 2002 से लेकर 2012 तक हुए सभी विधानसभा चुनाव में विधायकों की राय को ठुकरा कर जिस प्रकार से पहले कांग्रेस ने 2002 की विधानसभा चुनाव में अधिकांष विधायकों की राय को दरकिनारे करके तिवारी को मुख्यमंत्री के रूप में बलात थोपा। उसके बाद 2007 में अधिकांष विधायकों की राय भगतसिंह कोष्यारी को नजरांदाज करके भाजपा ने खंडूडी जी को मुख्यमंत्री के रूप में थोपा। यही नहीं अब विधानसभा चुनाव 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में अधिकांष विधायकों द्वारा वरिश्ट कांग्रेस नेता हरीष रावत व सतपाल महाराज को नजरांदाज करके जिस प्रकार से कांग्रेसी आला नेतृत्व सोनिया गांधी के संकीर्ण जातिवादी सिपाहेसलारों ने फिर मुख्यमंत्री पद के लिए विजय बहुगुणा को थोप दिया। उससे साफ लगता है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों ने देवभूमि उत्तराखण्ड को जातिवाद की गर्त में धकेलने का कुकृत्य जानबुझ कर करके अपनी संकीर्णता की पूर्ति कर रहे है। विजय बहुगुणा अपने पिता हेमवती नन्दन की तरह जननेता बन कर प्रदेष की कमान संभालते तो प्रदेष के लोग उनके स्वागत में पलकें बिछा देते परन्तु उनको जिस प्रकार से कांग्रेसी जातिवादी नेताओं ने जातिवाद के मोहरे की तरह मुख्यमंत्री बनाया उसको कोई भी स्वाभिमानी उत्तराखण्डी स्वीकार नहीं कर पायेगा। प्रदेष में इन दलों द्वारा चलाये जा रहे जातिवाद व क्षेत्रवाद के दावों से उस उत्तराखण्ड के हितों का गला ही घोट दिया जा रहा है जिसने अपने विकास व स्वाभिमान की रक्षा के लिए पृथक राज्य के गठन के लिए ऐतिहासिक संघर्श व षहादत दी थी।
गौरतलब है कि प्रदेष के दिग्गज राश्ट्रीय जननेता हरीष रावत व सतपाल महाराज की षर्मनाक उपेक्षा कर विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्र.ी बनाया, उससे साफ हो गया कि कांग्रेसी आला नेतृत्व को न तो प्रदेष के हितों की चिंता है व नहीं साफ छवि तथा कांग्रेस के हितों की। सोनिया गांधी व उनके सिपाहेसलार प्रदेष की जनता को क्या यह बताने कि हिम्मत कर सकती है कि विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय उन्होंने उनके मुम्बई उच्च न्यायालय के महान निर्णयों को देख कर किया या उत्तराखण्ड के विधानसभा में उनके लोकसभा क्षेत्र की विधानसभाओं में ऐतिहासिक सफलता को देख कर लिया। सोनिया गांधी को उनके आत्मघाति सलाहकारों ने यह बताया होगा कि प्रदेष की वर्तमान विधानसभा चुनाव में अधिकांष विधायक कांग्रेस के सबसे वरिश्ट जमीनी राश्ट्रीय नेता हरीष रावत एवं विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक विधायक अपनी लोकसभा में जीताने वाले सतपाल महाराज जिनके पूरे देष में लाखों समर्थक विद्यमान है उनकी उपेक्षा क्यों की गयी। क्यों प्रदेष के भाजपा मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी को इन चुनाव में कोटद्वार विधानसभा सीट पर हराने वाले वरिश्ठ कांग्रेसी नेता सुरेन्द्रसिंह नेगी की जीत पर पीठ थपथपाने का साहस तक नही रहा। या खंडूडी जी की हार पर कांग्रेस आलाकमान व कांग्रेस के जातिवादी नेता स्वयं को अपमानित महसूस कर रहे थे क्योंकि भाजपा मुख्यमंत्री भुवनचंद खण्डूडी उप्र में कांग्रेस अध्यक्षा रीता बहुगुणा व उत्तराखण्ड के पुफेरे भाई है। नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत को तो केवल कांग्रेसी आला नेताओं ने प्रदेष के जननेताओ ंको कमजोर करने का प्रयोग कर उनकी उपेक्षा की। वहीं यषपाल आर्य को केवल प्रदेष का अध्यक्ष बना कर दलितों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया। अगर यषपाल आर्य को ही बनाया जाता तो समझा जा सकता था। उनकी पूरे प्रदेष में कांग्रेसी कार्यकत्र्ताओं व जनता में उपरोक्त प्रदेष के बडे चार नेताओं में स्वीकारोक्ति तो है। प्रदेष की जनता सदियों से जिस सामाजिक भाई चारे को अक्षुण्ण करने में लगी रही उस भाई चारे को भाजपा व कांग्रेस के इन जातिवादी नेताओं ने तार तार कर दिया। प्रदेष की जनता सदैव जागरूक रही। उसने कभी जातिवाद का कलुशित जहर यहां पर फेलने नहीं दिया। इसी कारण बहुसंख्यक ठाकुर समाज के होते हुए भी यहां पर गोविन्द बल्लभ पंत, नारायणदत्त तिवारी, हेमवती नन्दन बहुगुणा, षिवानन्द नौटियाल व खंडूडी जी जेसे नेता भी लम्बे समय तक प्रतिनिधित्व करते रहे। परन्तु राज्य बनने के बाद जिस प्रकार से भाजपा ने जानबुझ कर प्रदेष के नेतृत्व को कुद करके नित्यानन्द स्वामी को बलात थोपा। उसके बाद खण्डूडी व निषंक के राज में ही नहीं कांग्रेसी मुख्यमंत्री तिवारी के राज में अधिकांष महत्वपूर्ण मंत्रालय सहित षासन प्रषासन में अंध जातिवाद का पोशण किया गया, उससे प्रदेष के बहुसंख्यक समाज हस्तप्रद रह गया। इसी कारण जनता ने विधानसभा व लोकसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस को दण्डित किया।
गौरतलब हे कि प्रदेष गठन के बाद जिस प्रकार से भाजपा व कांग्रेस ने यहां के समाज को अपनी राजनैतिक सत्तालोलुपता को मिटाने के लिए जातिवादी मोहरे के रूप में नित्यानन्द स्वामी, खंडूडी व निषंक को थोपा वेसे ही अधिकांष विधायकों की राय को दर किनारे करके कांग्रेस ने नारायणदत्त तिवारी व अब विजय बहुगुणा को थोप दिया। यही नहीं प्रदेष के अधिकांष षासन प्रषासन के महत्वपूर्ण पदों से बहुसंख्यक समाज की षर्मनाक उपेक्षा की उससे प्रदेष की जनता का सदियों से चला आ रहा भाई चारा पर ग्रहण लग गया है। इसी कारण प्रदेष की जनता ने लोकसभा चुनाव में ही नहीं प्रदेष विधानसभा चुनाव में इन दलों को सत्ता से बेदखल किया है। प्रदेष गठन के बाद जिस प्रकार भाजपा व कांग्रेस ने जबरन जातिवाद का धृर्णित हथकण्डा थोप रखा है, उससे आक्रोषित हो कर जनता ने भाजपा व कांग्रेस को लोकसभा व विधानसभा चुनाव में समय समय पर उखाड फेंका हैं। जिस प्रकार ने प्रदेष गठन के बाद प्रदेष के नेतृत्व को नकार कर भाजपा ने जबरन नित्यानन्द स्वामी, खंडूडी व निषंक को जबरन थोपे कर बहुसंख्यक समाज व बहुसंख्यक विधायकों की उपेक्षा होगी। प्रदेष के जागरूक लोगों को चाहिए कि वह भाजपा व कांग्रेस के जातिवाद के जाल को तबाह करने के लिए आगे आये। प्रदेष के हित में भाजपा व कांग्रेस में चलाये जा रहे जातिवाद के जाल को समझ कर उसको छिन्न भिन्न करने के लिए एकजूट हों।
प्रदेष को जातिवाद में अंधा हो कर भाजपा व कांग्रेस जो तांडव मचा रही है उसका जवाब जनता ने बहुत ही सयंमित से कोटद्वार में दे दिया। यही नहीं प्रदेष की अधिकांष जनता जातिवाद से कोसों दूर है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण ठाकुर बाहुल्य सीट देवप्रयाग की जनता ने कांग्रेसी प्रत्याषी सूरवीरसिंह सजवाण को ठुकरा कर निर्दलीय मंत्री प्रसाद नैथानी तथा श्रीनगर सीट पर भाजपा के महामंत्री धनसिंह रावत को हरा कर कांग्रेस के गणेष गोदियाल को विजयी बनाया। यही नहीं प्रदेष की जनता हमेषा जातिवादी ताकतों व अन्यायी षक्तियों के विरोध में रही। इसका स्पश्ट उदाहरण है गढ़वाल लोकसभा के ऐतिहासिक उपचुनाव में इंदिरा गांधी के प्रत्याषी चन्द्रमोहन सिंह नेगी को हरा कर जिस प्रकार से यहां की जनता ने हेमवती नन्दन बहुगुणा को विजय बनाना। परन्तु राज्य गठन के बाद भाजपा व कांग्रेस नेतृत्व में कुण्डली मार कर बैठे जातिवादी प्रवृति के नैताओं ने प्रदेष में जातिवादी जहर घोलने का जो प्रयास किया उससे पूरे प्रदेष की जनता में आक्रोष है। जो अक्षम्य भूल भाजपा ने जननेता भगतसिंह कोष्यारी व यहां के अधिकांष विधायकों की राय को नजरांदाज करके जबरन खंडूडी व निषंक को थोप कर की, उससे अधिक अक्षम्य भूल सोनिया गांधी ने अपने आत्मघातिस जातिवादी सलाहकारों की सलाह पर हरीष रावत व सतपाल महाराज को नजरांदाज करके की। हरीष रावत प्रदेष के ही नहीं देष के वरिश्ट जननेता है, उत्तराखण्ड की जनता 2012 में ही नहीं 2002 में भी उनको प्रदेष का मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। वहीं सतपाल महाराज जो राज्य गठन जनांदोलन से लेकर आज तक प्रदेष की जनभावनाओं के अनरूप व प्रदेष को सही दिषा में संचालित करने के लिए निरंतर समर्पित है ऐसे प्रदेष को विकास के नई दिषा देने में सक्षम नेता की उपेक्षा करके सोनिया गांधी ने अपने संकीर्णजातिवादी मठाधीषों की सलाह पर विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया, उससे प्रदेष की जनता के विष्वास को ही नहीं अपितु लोकषाही को गहरा आधात लगा। लोगों को आष्चर्य हो रहा है कि कांग्रेस क्यों प्रदेष की भाई चारे को जातिवादी जहर में घोल कर आत्महत्या करने पर उतारू है। कांग्रेस के इस कृत्य का षायद प्रदेष का कोई स्वाभिमानी नेता विरोध करे, लगता है सबकी आत्मा पदलोलुपता के कारण दफन हो गयी। एक भी नेता ऐसा नहीं है जो अपने पद से जनरल तेजपाल सिंह की तरह इस्तीफा दे कर उत्तराखण्ड को जातिवादी भट्टी में झोकने के नापाक कृत्य से बचाने के लिए आगे आये। क्या हरीष रावत, सतपाल महाराज, यषपाल आर्य व हरकसिंह रावत सहित अधिकांष कांग्रेसी विधायकों की आत्मा दम तोड़ चूकी है। परन्तु काला बाबा के षब्द मुझे आज भी याद है कि महाकाल कभी किसी गुनाहगार को माफ नहीं करता। भगवान बदरीनाथ प्रदेष के भाईचारा नश्ट करने वाली कांग्रेस को भी भाजपा की तरह अपनी ही तरह से दण्डित करेगी। षेश श्रीकृश्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृश्णाय् नमो।
जातिवादी कार्ड चल कर भाजपा की तरह कांग्रेस ने की आत्महत्या! /
हरीष रावत, सतपाल महाराज, यषपाल व हरक सिंह रावत सहित कांग्रेसी विधायक दें इस्तीफा/
उप्र व पंजाब की ं हाल में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में जनता द्वारा षर्मनाक रूप से नक्कारे जाने के बाद जिस उत्तराखण्ड प्रदेष ने सत्तासीन भाजपा को सत्ताच्युत कर कांग्रेस को सत्तासीन करने का काम करके उसकी लाज बचायी, उस उत्तराखण्ड प्रदेष में घोर जातिवादी मोह में भाजपा की तरह अंधे हो कर कांग्रेसी नेतृत्व ने भी विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री के रूप में थोप कर लोकषाही को रौंदने का कुकृत्य किया, उसने प्रदेष से व केन्द्र से कांग्रेस का 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी ताबूत पर सफाया की कील ठोक दी। कांग्रेस की इस कृत्य से प्रदेष की आम जनता में इस धारणा को बल मिल रहा है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों के राश्ट्रीय नेतृत्व की नजर में उत्तराखण्ड केवल ब्राहमण जाति के लिए आरक्षित कर रखा है। क्योंकि जिस प्रकार से भाजपा व कांग्रेस में सन् 2002 से लेकर 2012 तक हुए सभी विधानसभा चुनाव में विधायकों की राय को ठुकरा कर जिस प्रकार से पहले कांग्रेस ने 2002 की विधानसभा चुनाव में अधिकांष विधायकों की राय को दरकिनारे करके तिवारी को मुख्यमंत्री के रूप में बलात थोपा। उसके बाद 2007 में अधिकांष विधायकों की राय भगतसिंह कोष्यारी को नजरांदाज करके भाजपा ने खंडूडी जी को मुख्यमंत्री के रूप में थोपा। यही नहीं अब विधानसभा चुनाव 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में अधिकांष विधायकों द्वारा वरिश्ट कांग्रेस नेता हरीष रावत व सतपाल महाराज को नजरांदाज करके जिस प्रकार से कांग्रेसी आला नेतृत्व सोनिया गांधी के संकीर्ण जातिवादी सिपाहेसलारों ने फिर मुख्यमंत्री पद के लिए विजय बहुगुणा को थोप दिया। उससे साफ लगता है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों ने देवभूमि उत्तराखण्ड को जातिवाद की गर्त में धकेलने का कुकृत्य जानबुझ कर करके अपनी संकीर्णता की पूर्ति कर रहे है। विजय बहुगुणा अपने पिता हेमवती नन्दन की तरह जननेता बन कर प्रदेष की कमान संभालते तो प्रदेष के लोग उनके स्वागत में पलकें बिछा देते परन्तु उनको जिस प्रकार से कांग्रेसी जातिवादी नेताओं ने जातिवाद के मोहरे की तरह मुख्यमंत्री बनाया उसको कोई भी स्वाभिमानी उत्तराखण्डी स्वीकार नहीं कर पायेगा। प्रदेष में इन दलों द्वारा चलाये जा रहे जातिवाद व क्षेत्रवाद के दावों से उस उत्तराखण्ड के हितों का गला ही घोट दिया जा रहा है जिसने अपने विकास व स्वाभिमान की रक्षा के लिए पृथक राज्य के गठन के लिए ऐतिहासिक संघर्श व षहादत दी थी।
गौरतलब है कि प्रदेष के दिग्गज राश्ट्रीय जननेता हरीष रावत व सतपाल महाराज की षर्मनाक उपेक्षा कर विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्र.ी बनाया, उससे साफ हो गया कि कांग्रेसी आला नेतृत्व को न तो प्रदेष के हितों की चिंता है व नहीं साफ छवि तथा कांग्रेस के हितों की। सोनिया गांधी व उनके सिपाहेसलार प्रदेष की जनता को क्या यह बताने कि हिम्मत कर सकती है कि विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय उन्होंने उनके मुम्बई उच्च न्यायालय के महान निर्णयों को देख कर किया या उत्तराखण्ड के विधानसभा में उनके लोकसभा क्षेत्र की विधानसभाओं में ऐतिहासिक सफलता को देख कर लिया। सोनिया गांधी को उनके आत्मघाति सलाहकारों ने यह बताया होगा कि प्रदेष की वर्तमान विधानसभा चुनाव में अधिकांष विधायक कांग्रेस के सबसे वरिश्ट जमीनी राश्ट्रीय नेता हरीष रावत एवं विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक विधायक अपनी लोकसभा में जीताने वाले सतपाल महाराज जिनके पूरे देष में लाखों समर्थक विद्यमान है उनकी उपेक्षा क्यों की गयी। क्यों प्रदेष के भाजपा मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी को इन चुनाव में कोटद्वार विधानसभा सीट पर हराने वाले वरिश्ठ कांग्रेसी नेता सुरेन्द्रसिंह नेगी की जीत पर पीठ थपथपाने का साहस तक नही रहा। या खंडूडी जी की हार पर कांग्रेस आलाकमान व कांग्रेस के जातिवादी नेता स्वयं को अपमानित महसूस कर रहे थे क्योंकि भाजपा मुख्यमंत्री भुवनचंद खण्डूडी उप्र में कांग्रेस अध्यक्षा रीता बहुगुणा व उत्तराखण्ड के पुफेरे भाई है। नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत को तो केवल कांग्रेसी आला नेताओं ने प्रदेष के जननेताओ ंको कमजोर करने का प्रयोग कर उनकी उपेक्षा की। वहीं यषपाल आर्य को केवल प्रदेष का अध्यक्ष बना कर दलितों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया। अगर यषपाल आर्य को ही बनाया जाता तो समझा जा सकता था। उनकी पूरे प्रदेष में कांग्रेसी कार्यकत्र्ताओं व जनता में उपरोक्त प्रदेष के बडे चार नेताओं में स्वीकारोक्ति तो है। प्रदेष की जनता सदियों से जिस सामाजिक भाई चारे को अक्षुण्ण करने में लगी रही उस भाई चारे को भाजपा व कांग्रेस के इन जातिवादी नेताओं ने तार तार कर दिया। प्रदेष की जनता सदैव जागरूक रही। उसने कभी जातिवाद का कलुशित जहर यहां पर फेलने नहीं दिया। इसी कारण बहुसंख्यक ठाकुर समाज के होते हुए भी यहां पर गोविन्द बल्लभ पंत, नारायणदत्त तिवारी, हेमवती नन्दन बहुगुणा, षिवानन्द नौटियाल व खंडूडी जी जेसे नेता भी लम्बे समय तक प्रतिनिधित्व करते रहे। परन्तु राज्य बनने के बाद जिस प्रकार से भाजपा ने जानबुझ कर प्रदेष के नेतृत्व को कुद करके नित्यानन्द स्वामी को बलात थोपा। उसके बाद खण्डूडी व निषंक के राज में ही नहीं कांग्रेसी मुख्यमंत्री तिवारी के राज में अधिकांष महत्वपूर्ण मंत्रालय सहित षासन प्रषासन में अंध जातिवाद का पोशण किया गया, उससे प्रदेष के बहुसंख्यक समाज हस्तप्रद रह गया। इसी कारण जनता ने विधानसभा व लोकसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस को दण्डित किया।
गौरतलब हे कि प्रदेष गठन के बाद जिस प्रकार से भाजपा व कांग्रेस ने यहां के समाज को अपनी राजनैतिक सत्तालोलुपता को मिटाने के लिए जातिवादी मोहरे के रूप में नित्यानन्द स्वामी, खंडूडी व निषंक को थोपा वेसे ही अधिकांष विधायकों की राय को दर किनारे करके कांग्रेस ने नारायणदत्त तिवारी व अब विजय बहुगुणा को थोप दिया। यही नहीं प्रदेष के अधिकांष षासन प्रषासन के महत्वपूर्ण पदों से बहुसंख्यक समाज की षर्मनाक उपेक्षा की उससे प्रदेष की जनता का सदियों से चला आ रहा भाई चारा पर ग्रहण लग गया है। इसी कारण प्रदेष की जनता ने लोकसभा चुनाव में ही नहीं प्रदेष विधानसभा चुनाव में इन दलों को सत्ता से बेदखल किया है। प्रदेष गठन के बाद जिस प्रकार भाजपा व कांग्रेस ने जबरन जातिवाद का धृर्णित हथकण्डा थोप रखा है, उससे आक्रोषित हो कर जनता ने भाजपा व कांग्रेस को लोकसभा व विधानसभा चुनाव में समय समय पर उखाड फेंका हैं। जिस प्रकार ने प्रदेष गठन के बाद प्रदेष के नेतृत्व को नकार कर भाजपा ने जबरन नित्यानन्द स्वामी, खंडूडी व निषंक को जबरन थोपे कर बहुसंख्यक समाज व बहुसंख्यक विधायकों की उपेक्षा होगी। प्रदेष के जागरूक लोगों को चाहिए कि वह भाजपा व कांग्रेस के जातिवाद के जाल को तबाह करने के लिए आगे आये। प्रदेष के हित में भाजपा व कांग्रेस में चलाये जा रहे जातिवाद के जाल को समझ कर उसको छिन्न भिन्न करने के लिए एकजूट हों।
प्रदेष को जातिवाद में अंधा हो कर भाजपा व कांग्रेस जो तांडव मचा रही है उसका जवाब जनता ने बहुत ही सयंमित से कोटद्वार में दे दिया। यही नहीं प्रदेष की अधिकांष जनता जातिवाद से कोसों दूर है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण ठाकुर बाहुल्य सीट देवप्रयाग की जनता ने कांग्रेसी प्रत्याषी सूरवीरसिंह सजवाण को ठुकरा कर निर्दलीय मंत्री प्रसाद नैथानी तथा श्रीनगर सीट पर भाजपा के महामंत्री धनसिंह रावत को हरा कर कांग्रेस के गणेष गोदियाल को विजयी बनाया। यही नहीं प्रदेष की जनता हमेषा जातिवादी ताकतों व अन्यायी षक्तियों के विरोध में रही। इसका स्पश्ट उदाहरण है गढ़वाल लोकसभा के ऐतिहासिक उपचुनाव में इंदिरा गांधी के प्रत्याषी चन्द्रमोहन सिंह नेगी को हरा कर जिस प्रकार से यहां की जनता ने हेमवती नन्दन बहुगुणा को विजय बनाना। परन्तु राज्य गठन के बाद भाजपा व कांग्रेस नेतृत्व में कुण्डली मार कर बैठे जातिवादी प्रवृति के नैताओं ने प्रदेष में जातिवादी जहर घोलने का जो प्रयास किया उससे पूरे प्रदेष की जनता में आक्रोष है। जो अक्षम्य भूल भाजपा ने जननेता भगतसिंह कोष्यारी व यहां के अधिकांष विधायकों की राय को नजरांदाज करके जबरन खंडूडी व निषंक को थोप कर की, उससे अधिक अक्षम्य भूल सोनिया गांधी ने अपने आत्मघातिस जातिवादी सलाहकारों की सलाह पर हरीष रावत व सतपाल महाराज को नजरांदाज करके की। हरीष रावत प्रदेष के ही नहीं देष के वरिश्ट जननेता है, उत्तराखण्ड की जनता 2012 में ही नहीं 2002 में भी उनको प्रदेष का मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। वहीं सतपाल महाराज जो राज्य गठन जनांदोलन से लेकर आज तक प्रदेष की जनभावनाओं के अनरूप व प्रदेष को सही दिषा में संचालित करने के लिए निरंतर समर्पित है ऐसे प्रदेष को विकास के नई दिषा देने में सक्षम नेता की उपेक्षा करके सोनिया गांधी ने अपने संकीर्णजातिवादी मठाधीषों की सलाह पर विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया, उससे प्रदेष की जनता के विष्वास को ही नहीं अपितु लोकषाही को गहरा आधात लगा। लोगों को आष्चर्य हो रहा है कि कांग्रेस क्यों प्रदेष की भाई चारे को जातिवादी जहर में घोल कर आत्महत्या करने पर उतारू है। कांग्रेस के इस कृत्य का षायद प्रदेष का कोई स्वाभिमानी नेता विरोध करे, लगता है सबकी आत्मा पदलोलुपता के कारण दफन हो गयी। एक भी नेता ऐसा नहीं है जो अपने पद से जनरल तेजपाल सिंह की तरह इस्तीफा दे कर उत्तराखण्ड को जातिवादी भट्टी में झोकने के नापाक कृत्य से बचाने के लिए आगे आये। क्या हरीष रावत, सतपाल महाराज, यषपाल आर्य व हरकसिंह रावत सहित अधिकांष कांग्रेसी विधायकों की आत्मा दम तोड़ चूकी है। परन्तु काला बाबा के षब्द मुझे आज भी याद है कि महाकाल कभी किसी गुनाहगार को माफ नहीं करता। भगवान बदरीनाथ प्रदेष के भाईचारा नश्ट करने वाली कांग्रेस को भी भाजपा की तरह अपनी ही तरह से दण्डित करेगी। षेश श्रीकृश्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृश्णाय् नमो।
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