आलू गोबी की तरह उत्तराखण्ड में नेताओं की मंडी सजने की खबरों से जनता स्तब्य

भाजपा का षडयंत्र या कांग्रेस की चाल है भीम आर्य प्रकरण


घनसाली(प्याउ)। भले ही चंद दिनों के लिए अचानक रहस्यमय ढ़ग से भाजपा सहित तमाम नेताओं से अपने सम्पर्क काट कर अज्ञातवास में चले गये घनसाली विधानसभा सीट से भाजपा विधायक भीम लाल आर्य ने उनके कांग्रेस में सम्मलित होने की खबरों को सिरे से नकारते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि ‘मैं आलू-टमाटर नहीं जिसे खरीदा-बेचा जा सके । श्री आर्य ने एक सप्ताह तक रहस्यमय ढ़ग से अज्ञातवास में रहने के बाद जिस प्रकार से अचानक अपने आवास घनसाली में प्रकट होने के बाद उसी दिन 18 जून को भाजपा नेता भुवनचंद खंडूडी से मिलने उनके आवास देहरादून में पंहुच कर अपने को भाजपा का अनुशासित सिपाई होने के खुद ही कसीदे पढ़ने लगे। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने इस पूरे प्रकरण के लिए भाजपा को ही गुनाहगार बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए इस प्रकार के औच्छे हथकण्डे अपना रही है।
सितारगंज के भाजपा विधायक के कांग्रेस में सम्मलित होने के बाद घनसाली से भाजपा के विधायक के रहस्यमय ढ़ग से गायब रहने व उसके बाद सितार गंज से कांग्रेसी मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के समर्थन में अपना प्रत्याशी खड़ा न करने के लिए भाजपा अध्यक्ष को लिखे गये उनके तथाकथित पत्र के समाचार पत्रों के कार्यालय में पंहुचने तथा उसके बाद यकायक प्रकट हो कर भाजपा के अनुशासित सिपाई होने की भाजपा विधायक भीम लाल आर्य के पूरे प्रकरण ने प्रदेश की राजनीति को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया। लोगों के दिलों में यह बात घर बना रही है कि इस प्रदेश में भाजपा कांग्रेस ही नहीं सभी दलों के नेता एक ही थाली के बेंगन हैं, इनको उत्तराखण्ड के हक हकूकों व जनहितों से कुछ नहीं लेना इनको केवल सत्ता चाहिए चाहे उसके लिए उत्तराखण्ड को ही दाव पर क्यों न लगाना पडे।
जिस प्रकार से सितारगंज के भाजपा विधायक की खरीद परोख्त की खबरें व आरोप भाजपा सहित अन्य लोग लगा रहे हैं उसके बाद जिस प्रकार से भाजपा के कई विधायक खुद भाजपा नेताओं की नजर में कांग्रेस से सम्पर्क करने के लिए संदेह के घेरे में आ गये। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा का अपने विधायकों पर विश्वास नहीं रहा। एक प्रेस वार्ता में जब एक भाजपा के नेता ने भाजपा विधायकों के कांग्रेस में जाने की अटकलों पर प्रतिक्रिया पूछी तो मंडल प्रकरण के बाद भीम लाल आर्य की घटना तथा इसके अलावा कई अन्य भाजपा विधायकों के कांग्रेस के सम्पर्क में होने की खबरो ंपर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के वरिष्ट नेता ने खीज कर कहा कि अगर कोई आत्महत्या करने को उतारू ही हो तो उसको केसे बचाया जा सकता है। वहीं भाजपा ने किरण मण्डल प्रकरण में हुई खरीद फरोख्त की निष्पक्ष जांच सीबीआई से कराने के लिए प्रदेश के राज्यपाल को भी इसी सप्ताह ज्ञापन दिया था।
इस पूरे प्रकरण पर नजर दोड़ाने से साफ हो गया कि प्रदेश में विजय बहुगुणा के शासनकाल में जो खरीद फरोख्त का वातावरण बन रहा है उससे प्रदेश के तमाम जागरूक जनता स्तब्ध है। सितारगंज में हुई भारी खरीद फरोख्त की जो खबरे रह रह कर समाचार पत्रों में सियासी दलों व इस प्रकरण से जुडे लोगों के द्वारा एक दूसरे पर लगाया जा रहा है उसको सुन कर प्रदेश की जनता में भारी आक्रोश है जनता को समझ में नहीं आ रहा है कि क्या विजय बहुगुणा अपनी कुर्सी के खातिर प्रदेश की राजनैतिक गंगा को इतना दूषित कर देंगे कि प्रदेश गोवा व झारखण्ड की तरह आया राम गया राम की कहानी दोहराते हुए भ्रष्टाचार के कलंक को प्रदेश के माथे पर लगाये।
प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व उनके सिपाहे सलारों की राजनीति पर पैनी निगाह रखने वाले राजनैतिक समीक्षकों का अनुमान है विजय बहुगुणा अपनी सरकार पर अपने दलीय विरोधी व गठबंधन की बैशाखियों के भरोसे चलाने के बजाय खुद कांग्रेस के बहुमत से सरकार चलाना चाहते है। इसी लिए वे आधा दर्जन भाजपा विधायकों को कांग्रेस के सम्मलित करा कर उनको फिर से नया जनादेश हासिल कराकर कांग्रेसी बहुमत से सरकार चलाने को श्रेयकर समझते है। ऐसा ही आरोप भाजपा व खुद कांग्रेसी प्रतिद्वंदी भी आपसी गुपचुप बैठकों में प्रदेश सरकार पर लगा रहे है। मुख्यमंत्री की कार्यशैली से जनता ही नहीं भाजपाई ही नहीं उनके दलीय विरोधी भी भौचंक्के है।
इस प्रकरण से एक बात भी सामने आ रही है वह यह है कि भाजपा जिस प्रकार से कांग्रेस पर अपने विधायकों पर डोरे डालने का आरोप लगा रही है और सितारगंज प्रकरण के बाद अचानक हुए घनसाली प्रकरण से प्रदेश की जनता में कांग्रेस के प्रति एक आक्रोश उमड़ने लगा है। इसको भांपते हुए कांग्रेस ने हो सकता है सितारगंज उपचुनाव के परिणाम आने तक अपने भाजपा तोड़ा अभियान स्थगित कर दिया हो। इस अभियान में तेजी हो सकता है सितारगंज उप चुनाव के परिणाम के बाद आये। अभी भाजपा भी आंदोलित है। परन्तु इस सच्चाई से भाजपा नेता भी नहीं नकार पा रहे हैं कि उनके कई विधायक कांग्रेसी नेताओं के इस मोहपाश में बंधे हुए है। अब पूरी गेंद मुख्यमंत्री के पाले में है कि वह कब इन भाजपाई विधायकों को कांग्रेस में सम्मलित करने को हरि झण्डी दे रहे है। लोग हैरान है कि प्रदेश में आलू गोवी की मंडी की तरह विधायकों की मंडी सजी है। सच्चाई क्या है यह तो कुछ महिनों बाद साफ हो जायेगा। परन्तु किरण मंडल प्रकरण के बाद भीम लाल आर्य प्रकरण ने प्रदेश के लोग इस प्रश्न से स्तब्ध है कि आलू गोबी की तरह नेताओं की मंडी सजाने वाले प्रदेश व जनहित का क्या भला करेंगे। भले ही भाजपा व कांग्रेस एक दूसरे नेता बेशर्मो की तरह अपने दामन साफ बतायें परन्तु ये जो प्रकरण घटित हो रहे हैं वह स्वयं चीख चीख कर इस सच्चाई को जगजाहिर करके इनके मुखोटों को बेनकाब कर रहे है।
 

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