मोंटेक व मनमोहन को भारत रत्न दें


योजना आयोग में 2 टायलेट में 35 लाख रूपये खर्च करने व गरीबों का जीना हराम करने का ऐतिहासिक शर्मनाक कार्य के लिए

मैं सप्रंग सरकार की प्रमुख सोनिया गांधी से पुरजोर मांग करता हॅू कि भारत में नीरो के अवतार मोंटेक सिंह को देश के विकास के संसाधनों को पानी की तरह बहा कर योजना आयोग में 35 लाख रूपये की कीमती दो टायलेटों के निर्माण करने का कीर्तिमान स्थापित करने व देश की आम जनता का मंहगाई, भ्रष्टाचार व आतंकवाद आदि कुशासनी थप्पेडों की मार से जीना हराम करने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उनकी इस विलक्षण सेवाओं के लिए संयुक्त रूप से भारत रत्न दिया जाय। े प्रधानमंत्री लोग बेकार में ही मथापच्ची कर रहे हैं कि भारत सरकार को सचिन तेंदुलकर सहित अनेक लोगों के नाम पर चर्चा करने की कि इन लोगों की महान प्रतिभा के लिए देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया जाय। परन्तु आज सप्रंग सरकार के अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के करीबी अर्थशास्त्री मोंटेकसिंह जो योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी हैं, की सरपरस्ती में उनके कार्यालय योजना भवन में 35 लाख रूपये लागत के दो टायलेट की मरमत व नवीनीकरण में ही शाही खर्चा करके 35 लाख रूपया खर्चा किया गया। मनमोहन सिंह व उनके चेहते मोंटेकसिंह पर सप्रंग सरकार की मुखिया सोनिया गांधी को भी बधाई देनी चाहिए । हालांकि सोनिया जी भी अब खुश होंगी कि कम से कम उनके समर्थन से देश के प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह व प्रधानमंत्री के चेहते योजना आयोग के मोंटेक सिंह को सवा सो करोड़ जनसंख्या जो मनमोहन सिंह के मंहगाई आदि कुशासन से खून के आंसू बहा रहे है, उनमें से एक अदने से कलम घिसू सडकछाप पत्रकार ने तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह को देश से गरीबी नहीं गरीबों पर कहर ढाहने के लिए भारत रत्न देने की मांग तो की। नहीं तो आज अण्णा हजारे व उनकी टीम ही नहीं बाबा रामदेव भी हर दिन हर पल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हर पल हाय हाय करके सत्तानन्द पर एक प्रकार का ग्रहण सा लगा रहे है।
देश में कांग्रेस से एक के बाद एक प्रदेश प्रधानमंत्री  मनमोहन सिंह के कुशासन से हाथ से निकल गये पर क्या मजाल की सप्रंग प्रमुख सोनिया गांधी का भरोसा मनमोहन से हटा हो। मनमोहन सिंह के मंहगाई, भ्रष्टाचार व आंतकवाद आदि कुशासन से देश के आम आदमियों का जीना दूश्वार रखा है। वहीं देश की जनता के जख्मों में नमक छिड़कते हुए मनमोहनी तुगलकी फरमान जारी किया कि गांवों में 28 रूपया व शहरों में 32 रूपया कमाने वाला आदमी गरीब नहीं है। मनमोहन सिंह के ये चेहते मोंटेक लगता है नीरो के भारतीय अवतार हैं, हालांकि वे खुद के विदेश खर्चे पर 2.02 लोख रूपये प्रतिदिन के हिसाब से खर्च करते है। 4 जून से जनवरी 2011 तक 242 दिन की आयोग की 42 अधिकारियों की यात्रा पर देश का 2.34 करोड़ रूपये खर्च हुए। इसी भारतीय नीरो मोंटेक सिंह ने अपने दो टायलेटों के नवीनीकरण पर 35 लाख रूपये खर्च करते जरा भी शर्म नहीं आयी कि हमारे देश के आम आदमियों के लिए खुद सरकार ने 3200रूपये का मानक रखा हुआ है। परन्तु खुद दो शाही टायलेटों के नवीनीकरण में 35 लाख रूपये खर्च कर डाले । यही नहीं इस टायलेट के दरवाजों की  सुरक्षा प्रणाली में 5.19 लाख रूपये खर्च कर डाले। योजना आयोग में बने इस शाही टायलेट की खबर शायद देश की आम जनता तक नहीं पंहुचती अगर इसके बारे में सूचना के अधिकार का प्रयोग करके इसकी जानकारी समाजसेवी  सुभाष अग्रवाल नहीं करते। सुभाष अग्रवाल ने एक प्रकार से सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली सप्रंग सरकार की मितव्यता को पूरी तरह से बेनकाब ही कर दिया। शायद सप्रंग सरकार का बचाव करते हुए कांग्रेस का कोई प्रवक्ता  सुभाष अग्रवाल का यह कार्य बाबा रामदेव व अण्णा की तरह ही देश को अस्थिर करने वाला कार्य बता कर इसके पीछे संघ का हाथ न बता दे। शायद सोनिया गांधी व मनमोहन-मोंटेक को इस बात का भान होगा कि देश के आम गरीब जनता ताउम्र 35 लाख रूपये क्या एक साथ 1 लाख रूपये भी नहीं देखे होंगे। गरीब जनता को 28 रूपये में अमीर मानने वाले, 3200 रूपये में टायलेट बनाने के लिए काफी समझने वाले व 35000 रूपये में इंदिरा आवास बनाने के लिए काफी मानने वाले मनमोहन सिंह व मोंटेक की सरकार ने योजना आयोग में 35 लाख में दो टायलेटों की मरमत व शाहीकरण करने में बहाते जरा भी लज्जा नहीं आयी। इस बेशर्मी के लिए देश की तरफ से इन दोनों को भारत रत्न दे कर सम्मानित करके दोनों को ताउम्र विश्व बैक की सेवा में भारत की तरफ से भेजने का तोहफा भी दे कर देश की रक्षा की जाय।


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