शहीद राजेश रावत की शहादत का अपमान करने से बाज आयें मुख्यमंत्री बहुगुणा सहित राजनेता


उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन में करनपुर गोली काण्ड के अमर शहीद राजेश रावत को न्याय न दिला पाने के लिए उत्तराखण्ड की मान सम्मान की रक्षा न कर पाने वाली कांग्रेसी मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की सरकार को धिक्कार। जिस प्रकार कांग्रेसी मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के राज में जिस शर्मनाक तरीके से षडयंत्र के तहत भारतीय न्याय प्रणाली को कलंकित करके मुजफरनगरकाण्ड के आरोपी अनन्त कुमार को भी बरी करके उत्तराखण्ड की अस्मिता व न्याय का गला घोंटा गया। प्रदेश के स्वाभिमान को रौंदने में अनन्त कुमार का बेशर्मी से साथ देने वालों को ही विजय बहुगुणा सरकार ने प्रदेश में न्याय का रखवाला ही बना रखा है। ऐसे में सत्ता के दमनए प्रलोभन वषडयंत्र के चलते न्याय कैसे मिलता घ् आखिर क्या गुनाह किया है उत्तराखण्ड के शहीदों ने अपनी शहादत उत्तराखण्डियों के मान सम्मान की रक्षा के लिए दे कर। क्या उत्तराखण्ड राज्य के हुक्मरान बतायेगें आज 12 साल में उन्होंने न्याय दिलाने के नाम पर अनन्त कुमार को बरी करनेए बुआ सिंह को लाल कालिन बिछाने जैसे निकृष्ठ कृत करने के अलावा क्या कियाघ् क्या यही अंजाम दिया शहीदों की शहादत से गठित राज्य के खुदगर्ज हुक्मरानों ने । उस अपमान का दंश आज भी उत्तराखण्डी झेल रहे हैं। कभी मुम्बई हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रह कर भारतीय न्याय व्यवस्था को अपने फेसलों से गौरवान्वित करने वाले न्यायमूर्ति रहे विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्रीत्व में उत्तराखण्ड के मान सम्मान की रक्षा में शहादत देने वाले मुजफरनगर काण्ड के शहीदों के साथ साथ राजेश रावत व बाबा मोहन उत्तराखण्डी को सच्चा न्याय मिलेगा  । यही आशा प्रदेश की स्वाभिमानी जानता की थी। परन्तु कांग्रेस पार्टी जिसने राजेश रावत के हत्या के मुख्य आरोपी सूर्यकांत धस्माना को कांग्रेस ने जनभावनाओं को रौदते हुए बेशर्मी से अपनी पार्टी में  महत्वपूर्ण पदो पर आसीन ही नहीं किया अपितु खुद मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के सबसे खास सिपाहे सलारों में से एक है। क्या कांग्रेसी ं सूर्यकांत धस्माना  को न्यायालय के फेसले आने तक का इंतजार नहीं कर सकती। न्यायालय के फेसला आने के बाद उनको कांग्रेस पार्टी अगर जरूरी है तो पार्टी में सम्मलित करती। परन्तु बेशर्म कांग्रेसियों ने उत्तराखण्ड जनभावनाओं का सम्मान करने के बजाय सूर्यकांत को गले लगाना जरूरी समझा। सूर्यकांत अगर सचमुच निर्दोष हैं तो उनको इस प्रकरण के बाद ही प्रदेश की जनभावनाओं का सम्मान करते हुए मुजफरनगर काण्ड होने के बाद तुरंत सपा से इस्तीफा दे कर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए थी। पीडित परिजनों व प्रदेश की जनता के दर्द को समझ कर इस काण्ड के दोषियों को सजा देने की पुरजोर मांग करते। लोकशाही में जनभावनायें सर्वोच्च होती है। मुलायम सिंह व राव के कृत्यों से प्रदेश की जनता ही नहीं देश की लोकशाही शर्मसार हुई। जिन लोगों में जरा सी भी नैतिकता थी उन्होंने मुजफरनगर काण्ड की कडी भत्र्सना की थी। चाहे इसंान देश प्रदेश कहीं का हो जिसने इसे देखा व सुना उसने खून के आंसू बहाये। आज शहीदों की शहादत के बाद गठित राज्य की सरकारें इतनी खुदगर्ज हो गयी कि उनके शहादत को नमन् करने के बजाय उसका अपमान करने लगे तो यह किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जायेगा। देहरादून में 7 जून को आये सीबीआई की कोर्ट के फेसले के बाद इस मामले मे एक ही सवाल सामने आया कांग्रेसियों सहित इन राजनैतिक दलों की नजरों में उत्तराखण्ड के मान सम्मान के लिए अपनी शहादत देने वालों की कोई कीमत ही नहीं है। इनके लिए अपने संकीर्ण स्वार्थ व सत्ता ही सब कुछ है। सूर्यकांत धस्माना की इस काण्ड में संलिप्ता थी या नहीं यह तो खुद सूर्यकांत धस्माना जानते होगे या जो इस प्रकरण में उपस्थित थे उनको मालुम होगा। मेरा मानना है इस प्रकरण में अनन्त कुमारए बुआ सिंह या सूर्यकांत भले ही आरोपी रहे हों परन्तु उनसे कई अधिक गुनाहगार प्रदेश के हुक्मरान है जो जनआस्थाओं व अपने पद की गरीमा व दायित्वों का निर्वाह करने के बजाय अपने निहित स्वार्थो में अंधे बने हुए है।
प्रदेश की जनता चाहती है कि मुख्यमंत्री कम से कम जनभावनाओं का सम्मान करना चाहिए।  अगर मुख्यमंत्री में जरा सी भी नैतिकता होती तो वे इस काण्ड का फेसला आने तक आरोपी व तिवारी के कार्यकाल में अनन्त कुमार को बरी कराने वाले आरोपियों से खुद को दूर रखते। प्रदेश सरकार को इस बात का भान होना चाहिए कि आंदोलनकारियों के तमाम मामले खुद प्रदेश सरकार ने ईमानदारी से पैरवी करके शहीदों को न्याय दिलाने का काम करना चाहिए। आज उनके परिजनों व प्रदेश के हितों के लिए संघर्ष करने वालों को प्रदेश की सरकारें जिस प्रकार से अपमानित कर रही है यह बहुत ही शर्म की बात है। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सहित तमाम लोगों को इस बात का भान होना चाहिए कि व्यक्तिगत निहित स्वार्थो व रिश्तों की कीमत पर प्रदेश के हितों व सम्मान के साथ खिलवाड़ की इजाजत न तो लोकतंत्र देता है व नहीं भारतीय संस्कृति। मैं नमन् करता हॅू उत्तराखण्ड के तमाम आंदोलनकारियों व उन सपूतों को जो आज भी शहीदों की शहादत को दिल से नमन् करते हुए उनकी शहादत का अपमान करने वालो को बेनकाब करने में सत्तासीन हुक्मरानों के तमाम दमनए षडयंत्र व प्रलोभनों को दरकिनारे करने का काम करके न्याय की आवाज बुलंद कर उत्तराखण्ड की लाज रख रहे है। एक बात मैं फिर सत्तांधों को कह दूॅं भले ही दुनिया की अदालतें गुनाहगारों को सजा देने में असफल रहे परन्तु परमात्मा की अदालत से कोई भी गुनाहगार बच नहीं सकता हैं। भगवान के घर में कभी अंधेर नहीं है।

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